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कोरोना वायरस का प्रभाव शिक्षा और अर्थ व्यवस्था पर लंबे समय तक रहेगा : मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली। ऑनलाइन शिक्षा, ऐकडेमिक कैलेंडर इत्यादि जैसे शिक्षा के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशांकÓ ने देश के सभी शिक्षा मंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा मीटिंग बुलायी, जिसमें शामिल हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ अहम मुद्दों पर बल दिया।
दिल्ली सरकार पिछले तीन-चार हफ्तों से तकनीक का इस्तेमाल कर लाखों बच्चों तक शिक्षा पहुंचा रही है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य की दृष्टि से आज नहीं तो कल हम कोरोना से बाहर निकल ही जाएंगे, लेकिन इसका शिक्षा और अर्थ व्यवस्था पर जो प्रभाव पड़ेगा वह दूरगामी होगा। इसलिए हम सब शिक्षा मंत्रियों की जिम्मेदारी बनती है कि इससे कम से कम नुक़सान हो, इसके लिए हम अभी से तैयार रहें।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिस तरह 9वीं और 11वीं कक्षा के लिए इंटर्नल असेस्मेंट और अब तक हुई परीक्षा के आधार पर बच्चों को माक्र्स देने का निर्णय लिया है, वहीं निर्णय 10वीं और 20वीं के बच्चों के लिए भी लिया जाए। ऐसा इसलिए, क्योंकि निकट भविष्य में भी सोशल डिस्टन्सिंग की वजह से बची हुई परीक्षाएं कराना संभव नहीं होगी। इसलिए इस मुद्द्दे पर अनिश्चितता खत्म करते हुए तुरंत निर्णय लेने चाहिए। दिल्ली देश का एकमात्र एसा प्रदेश है, जिसका अपना बोर्ड नहीं है लिहाजा सीबीएसई ही उसका बोर्ड है। अत: सीबीएसई को दिल्ली के सुझाव पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
आइआइटी नीट यूनिवर्सिटी प्रवेश जैसे सभी परीक्षाएं कराना आगे भी मुश्किल होगा। बच्चों का वर्ष खऱाब ना हो, उन्हें तनाव न हो, उसके लिए 12वीं के छात्रों को उनके माक्र्स पर इस साल मेरिट के हिसाब से एडमिशन दिए जाए।
इस साल के सीबीएसई व एनसीइआरटी सिलेबस में 30 प्रतिशत की कटौती की जाए और अगले साल के सीबीएसई बोर्ड इग्ज़ाम, आईआईटी जेईई, नीट यूनिवर्सिटी भी उसी हिसाब से हों।
कोरोना के दौर में दिल्ली में टेक्नॉलजी के माध्यम से बच्चों तक शिक्षा पहुँचाने के प्रयासों के बारे में बताते हुए उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बहुत से बच्चों के घर में स्मार्टफोन नहीं होते। दिल्ली में भी 68 प्रतिशत बच्चों के पास अभी स्मार्ट फोन इसलिए हैं क्यूँकि उनके माता पिता घर पर हैं। शिक्षा मंत्री ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर दिल्ली सरकार को समय मिल पाए, जिससे कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के टीचर एलेमेंटरी, सेकंडेरी और हायर सेकंडेरी शिक्षा की इंटरैक्टिव कक्षाएं लें और बच्चे उसी लेसन प्लान के आधार पर पढ़ाई कर सकें जो उनके स्कूल में फॉलो किया जाता है।

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