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युवा दिमाग को दिशा देना समाज का सामूहिक दायित्व : डिप्टी सीएम

नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने किशोरों के लिए एक बेहतर दुनिया के निर्माण पर जोर दिया है। उन्होंने टेक महिंद्रा फाउंडेशन द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। ‘अनलॉकिंग माइंड्स कीज : टू द लॉकर रूमÓ विषय पर बोलते हुए श्री सिसोदिया ने कहा कि युवा दिमाग को दिशा देना समाज का सामूहिक दायित्व है।
श्री सिसोदिया ने किशोरों के सामने मौजूद चुनौतियों की चर्चा करते हुए जीवन के इन प्रारंभिक एवं सर्वाधिक जटिल वर्षों में पूरे मनोबल के साथ उनसे निपटने के लिए सक्षम बनाने की दिशा में दिल्ली सरकार के प्रयासों की जानकारी दी। वेबिनार में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से शिक्षकों, शिक्षाविदों, कौंसिलर्स, अभिभावकों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।
किशोरों से जुड़े विषयों पर अपने विचार साझा करते हुए श्री सिसोदिया ने कहा कि युवा दिमाग को सही दिशा देने का सामूहिक दायित्व पूरे समाज पर है। श्री सिसोदिया ने लैंगिक भेदभाव की चर्चा करते हुए कहा कि एक लड़की बताती है कि किस तरह प्रतिदिन उसके भाई को घर में हर मामले में ज्यादा महत्व दिया जाता है। भाई को अच्छा भोजन परोसा जाता है जबकि उससे एक लड़की होने के कारण हर चीज में एडजस्ट करने की उम्मीद की जाती है।
श्री सिसोदिया के अनुसार उस लड़की ने यह भी बताया कि हैप्पीनेस क्लासेस के कारण उसे अपनी मानसिक शांति बनाए रखने और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलता है।
मौजूदा चुनौतियों और उनसे निपटने के तरीकों की चर्चा करते हुए श्री सिसोदिया ने कहा कि हमारे देश में एक चैथाई बच्चे अवसाद के शिकार हैं। यहां तक कि हर घंटे देश में एक बच्चा आत्महत्या कर लेता है। श्री सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा में अच्छा करने के निरंतर दबाव में बच्चे ऐसे चरम कदम उठाने को मजबूर होते हैं। किशोरावस्था किसी व्यक्ति के जीवन के प्रारंभिक वर्ष होते हैं। हार्मोनल परिवर्तन, शैक्षणिक अपेक्षाओं, सहकर्मी दबाव के मामले में किशोरों को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार के 16 लाख छात्रों को स्कूल अपनी कक्षाओं के शुरू होने से पहले माइंडफुलनेस का अभ्यास कराया जा रहा है। हमारे उद्यमिता पाठ्यक्रम द्वारा के कारण बच्चे रोज नए विचारों के साथ आ रहे हैं। पुराने किस्म की शिक्षा और रटंत शिक्षा ने हमारे छात्रों को डर में जीने के लिए प्रेरित किया है। लेकिन उद्यमिता पाठ्यक्रम छात्रों को नए विचारों के साथ आने में मदद करता है, अपने स्वयं के कुछ के साथ अन्वेषण और शुरुआत करता है।
श्री सिसोदिया ने दिल्ली सरकार द्वारा अपनाए गए दो प्रमुख कार्यक्रमों के स्वरूप् पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि युवा छात्रों को प्रभावित करने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए हैप्पीनेस कुरिकुलम चलाया जाता है। इसमें कक्षा नर्सरी से कक्षा 8 तक के लिए माइंडफुलनेस कक्षाएं शामिल हैं। उद्यमशीलता मानसिकता पाठ्यक्रम है जो छात्रों को जोखिम लेने, उद्यम करने और विकसित पेशेवर के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
श्री सिसोदिया ने कहा कि किशोर बच्चे हमारे पास आते हैं और हैप्पीनेस कुरिकुलम के कारण मिले अवसरों के संबंध में शिक्षकों और साथियों के साथ अपने अनुभव साझा करते हैं।
श्री सिसोदिया ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर एक छात्र की माँ ने मुझे बताया कि उसका बेटा अबघर की वित्तीय स्थिति के प्रति अधिक संवेदनशील हो गया है। अब वह खुद खाना खाने से पहले मां से पूछता है कि उसके लिए खाना बचा है या नहीं। यहां तक कि वह बच्चा कीचेन में जाकर सुनिश्चित करना है कि मां के लायक भोजन उपलब्ध है। श्री सिसोदिया के अनुसार यह हैप्पीनेस क्लास का प्रभाव है।

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