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मदद के आगे माया का नहीं है कोई मोल

दूसरों की मदद करो, बड़े आदमी बन जाओगे…. कई मंदिर-मस्जिदों के बाहर ये पंक्तियाँ लिखी हुई मिल जाती हैं। कुछ लोग आर्थिक रूप से सक्षम होने के बावजूद ऐसी तमाम प्रेरक बातों तथा विचारों से ओतप्रोत नहीं होते, जबकि कुछ लोग दिल से जरूरतमंदों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक संसाधनों की कमी के चलते वे खुद को इस नेक कार्य में पिछड़ा हुआ पाते हैं। इस प्रकार कई लोग इसे नजरअंदाज करते हुए आगे निकल जाते हैं, तो कई अनचाही चुप्पी साध लेते हैं, क्योंकि जाने-अनजाने में वे सहायता करने के लिए धन को ही प्रखर समझते हैं। लेकिन असल में मदद करने का धन से कोई अटूट नाता नहीं है। बिना धन के भी मदद की जा सकती है। यकीन मानिए, इस उलझन भरे जीवन में जो सुकून किसी की सहायता करके मिलता है, यह सारे दुखों को भुलाने वाला होता है, साथ ही बेशुमार खुशी का सृजन करने में अभूतपूर्व योगदान देता है।
पीआर 24×7 के फाउंडर, अतुल मलिकराम कहते हैं, यदि आप वास्तव में किसी की सहायता करना चाहते हैं, तो माया का कोई मोल नहीं है। मदद, माया से कई पायदान ऊपर है। आप एक धनवान व्यक्ति से कई गुना अधिक धनी हैं, यदि मदद करने की अद्भुत उपज आपके मन में प्रखर है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी गुण का धनी होता है, जिसका उपयोग वह किसी की सहायता करने के उद्देश्य से कर सकता है। यानी धन से परे अपने गुणों से भी आप किसी जरूरतमंद के काम आ सकते हैं। पुराने समय के जिस भी चलन तथा परंपरा आदि को हम खंगालेंगे, अद्भुत उपहारों के रूप में हर समस्या का समाधान पाएंगे। पुराने समय में प्रचलित वस्तु विनिमय प्रणाली से भी आप वाकिफ होंगे ही। इसके अंतर्गत उचित मूल्य के अनुसार आवश्यक वस्तुओं का लेन-देन किया जाता था, क्योंकि उस समय धन का प्रचलन नहीं था। कहने का तात्पर्य यह है कि सहायता उस समय भी की जाती थी, जब धन नहीं था। इस प्रकार यह प्रणाली किसी विरासत से कम नहीं है, आवश्यकता है, तो इसे सहेजने की।
क्यों मौजूदा समय में हम इस अद्भुत प्रणाली का लाभ नहीं लेते हैं? किस किताब में लिखा है कि किसी वस्तु विशेष का लेन-देन करने के लिए पैसों की ही आवश्यकता होती है? यदि आपमें पढ़ाने का गुण निहित है, तो आप जरूरतमंद बच्चों आदि को बेहतर भविष्य प्रदान कर सकते हैं। यदि आप किसी कला आदि में निपुण हैं, तो इसका उपयोग करके भी किसी की सहायता कर सकते हैं, जिसके बदले में आप कुछ न लें, या अन्य व्यक्ति के साथ अपने अन्य गुणों या कलाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं। यह अटल सत्य है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, उन्हें कम तनाव रहता है, साथ ही वे मानसिक शांति और आनंद का अनुभव करते हैं। वे अपनी आत्मा से ज़्यादा जुड़े हुए महसूस करते हैं, और उनका जीवन संतोषपूर्ण होता है। जीवन के अंत में मनुष्य अपने पीछे कर्म छोड़ जाता है, जिसके बलबूते पर ही उसे अरसे तक याद किया जाता है। चलिए, हम भी इन चुनिंदा लोगों की श्रेणी में अपना नाम दर्ज कराते हैं, एक बार फिर वस्तु विनिमय प्रणाली को अपनाते हैं।
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