मनोरंजन – Apni Dilli http://apnidilli.com Hindi News Paper Tue, 12 Jul 2022 06:37:05 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 http://apnidilli.com/wp-content/uploads/2023/09/cropped-logo-1-32x32.jpg मनोरंजन – Apni Dilli http://apnidilli.com 32 32 ‘द क्यू’ चैनल के फेमस शो ‘मिस्टर और मिसेस एलएलबी’ के आगामी एपिसोड्स में सामने आएगा मंदिर में चोरी का मामला* http://apnidilli.com/19166/ Tue, 12 Jul 2022 06:37:05 +0000 http://apnidilli.com/?p=19166 मचांडपुर के मंदिरों में होने लगी है चोरी, मामला पहुँचा कोर्ट में
विचित्र लोगों वाले एक अजीबों-गरीब शहर, मचांडपुर में अब धीरे-धीरे चोरियाँ बढ़ने लगी हैं। यह मामला इतना पेचीदा हो गया है कि कोर्ट में जा पहुँचा है। दरअसल ये चोरियाँ और कहीं नहीं, बल्कि मचांडपुर के मंदिरों में हो रही हैं।
देश के तेजी से बढ़ते ‘द क्यू’ हिंदी चैनल पर कोर्ट-कचहरी में हँसती-गुदगुदाती मिया-बीवी की तकरार और नोंक-झोंक वाले शो ‘मिस्टर और मिसेस एलएलबी’ को दर्शकों द्वारा खूब प्यार मिल रहा है। शो के आने वाले एपिसोड्स में मंदिरों में लगातार हो रही चोरियों के किस्से दिखाए जाएँगे, जो कि आगामी हफ्ते यानि 11 जुलाई, 2022 से आपके घरों में ठहाकों की वजह बनेंगे। कोर्ट-कचहरी की बागडौर को बखूबी सँभालने वाली जोड़ी के गुदगुदाने वाले किस्से ‘द क्यू’ हिंदी चैनल पर सोमवार से शुक्रवार, रात 9:00 बजे प्रसारित हो रहे हैं।
तो कहानी कुछ यूँ है कि पिछले कुछ दिनों से मचांडपुर के मंदिरों में चोरियाँ हो रही हैं, जिसका आरोप रमेश नाम के एक शख्स पर है। अब मसला यह है कि रमेश को इस बात का अंदाज़ा ही नहीं है कि वह किसी प्रकार की चोरी में शामिल है। रमेश का कहना है कि उसे स्प्लिट पर्सनालिटी डिसऑर्डर है। यानि उसके भीतर दो लोग हैं, एक है ‘अंदर का रमेश’ और दूसरा है ‘बाहर का रमेश’। लेकिन अभी इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि चोरी को अंजाम अंदर का रमेश देता है या बाहर का रमेश।
एक ही शख्स के भीतर छिपे दो लोगों के बीच की इस लड़ाई और अजीबों-गरीब गुत्थी को जज राजिंदर चौधरी बड़ी ही सूझ-बूझ से सुलझाते दिखाई देंगे। कहानी का सबसे मज़ेदार हिस्सा तब देखने को मिलेगा, जब मचांडपुर के लोग इस गुत्थी के चलते अपना आपा खोने लगेंगे। अब देखना यह है कि जज राजिंदर, रमेश के भीतर छिपे शख्स से किस तरह पर्दा हटते हैं। यह दर्शकों द्वारा हँसी से लोटपोट हो जाने पर मजबूर कर देगा।
मामले की गंभीरता को देखते हुए अनिरुद्ध अग्रवाल रमेश का केस लड़ते दिखाई देंगे, तो वहीं उनकी पत्नी पायल, मंदिर के लिए अपनी आवाज़ उठाएँगी। इस मामले को सुलझाने के लिए मिया-बीवी की खटपट को अनिरुद्ध और पायल कैसे कुछ समय के लिए किनारे कर देते हैं, यह देखना लाजवाब होगा। अब देखना यह है कि आखिर में जीत किसकी होती है। चोरी से खुद को बचाने के लिए रमेश ने यह पूरा नाटक रचा है या वह सच में बीमार है, यह तो मचांडपुर कोर्ट में ही उजागर हो सकेगा। यह केस सुनने में जितना दिलचस्प है, देखने में उतना ही मज़ेदार होगा।
मिया-बीवी और कोर्ट-कचहरी की इस गुदगुदाने वाली कहानी ‘मिस्टर और मिसेस एलएलबी’ का प्रसारण ‘द क्यू’ हिंदी टीवी चैनल पर सोमवार से शुक्रवार, रात 9:00 बजे किया जा रहा है।
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ज़िंदगी अनमोल है जाया न कीजिए’ http://apnidilli.com/18899/ Tue, 07 Jun 2022 06:13:04 +0000 http://apnidilli.com/?p=18899 भावना ठाकर ‘भावु’ बेंगलोर। आज लोगों की मानसिकता देखकर आनंद फ़िल्म का राजेश खन्ना जी द्वारा प्रस्तुत एक डायलोग याद आ रहा है कि “बाबू मोशाय ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं मैं मरने से पहले मरना नहीं चाहता” पर गौर कीजिए, हम लोग मरने से पहले मर रहे है। फ़ालतू की बातों में अपना वक्त जाया कर रहे है। कोई ज़िंदगी का महत्व नहीं समझता। आनन फ़ानन में उम्र काट कर निकल जाना है क्या? ज़रा रुकिए, सोचिए ज़िंदगी को हल्के में मत लीजिए। ईश्वर ने एक मौका दिया है इंसान के रुप में धरती पर हमें जो जन्म मिला है वो अपने आप में एक अलौकिक क्रिया है। उम्र की एक अवधि होती है, हममें से कोई नहीं जानता हमारी उम्र कितनी है। रात के सोए अगले दिन की सुबह देखेंगे या नहीं ये भी नहीं जानते। एक बार सीने के भीतर धड़क रहे मशीन ने धड़कना बंद कर दिया हमारा सारा खेल ख़त्म। ये जो देह, ये जो ज़िंदगी मिली है वो एक बार ख़त्म हो गई तो वापस कभी नहीं मिलेगी। पुनर्जन्म की बातें हमनें सिर्फ़ सुनी है वापस जन्म मिलता है या नहीं कोई नहीं जानता। क्यूँ हम किसी बीमार इंसान को बचाने में अपना सबकुछ दाँव पर लगा देते है? हम जानते है की ज़िंदगी कितनी कीमती है, एक बार जो हाथ से निकल गई फिर कभी नहीं मिलती। तो जो जितना वक्त हमारे हाथ में है उस एक-एक पल को क्यूँ न शांत चित्त से मोज में रहकर सबके साथ मिलजुल कर हंसी खुशी से बिताएं। तो आज अभी इसी वक्त से अपना सारा ध्यान ज़िंदगी को जश्न की तरह मनाने में लगा दीजिए। कुछ भी साथ नहीं जाएगा तो एक दूसरे के प्रति इतना वैमनस्य क्यूँ पालना। दुन्यवी एक-एक नज़ारों का लुत्फ़ उठाते, मुस्कान बांटते अपनी शख़्सीयत को दुनिया में प्रस्थापित करते क्यूँ न जिया जाएँ कि, जानें के बाद भी हमारी खुशबू अपनों के दिल में तरों ताज़ा रहे।
ज़िंदगी बहुत हसीन है यारों जात-पात धर्म और परंपरा के नाम पर लड़ते झगड़ते मत बिताओ। क्यूँ न रिश्तेदारों और पास पड़ोसियों के साथ प्यार और अपनापन रखकर ज़िंदगी की पारी ऐसे खेलकर निकलें की वर्ल्ड रेकार्ड बन जाए, ज़माना याद करें हमारे वजूद को ऐसी छाप छोड़ जाएँ।
असंख्य खुशियाँ बिखरी है हमारे आसपास उसे गले लगाईये। खुद का ख़याल रखिए आपके परिवार के लिए आप सबकुछ है, पैसों से सब खरीदा जा सकता है ज़िंदगी नहीं, बहुत अनमोल है ज़िंदगी इसे व्यर्थ की उलझनों में उलझकर मत गंवाईये। खुद को ढूँढिए, ईश्वर से मिलिए ज़िंदगी ढ़ोने का नाम नहीं ज़िंदगी उत्सव सी मनाने का नाम है। क्यूँ हम सरल सहज ज़िंदगी नहीं बीता सकते? राग-द्वेष, बैर-नफ़रत पालकर क्यूँ जीते है। भूल जाईये आसपास क्या हो रहा है। हर शै से खुशियाँ, प्यार और आनंद ढूँढिए और भाईचारा फैलाईये, क्यूँकि आनंद बक्षी साहब ने कहा है कि  “ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते है जो मुकाम वो फिर नहीं आते, कुछ लोग एक रोज़ जो बिछड़ जाते हैं वो हजारों के आने से मिलते नहीं उम्र भर चाहे कोई पुकारा करे उनका नाम वो फिर नहीं आते” इसलिए खुद को जो ज़िंदगी मिली है उसको, परिवार को और दोस्तों को सहजकर रखिए और ज़िंदगी को जश्न की तरह मनाते भरपूर जी लीजिए। कल किसीने नहीं देखा आज का मजा लीजिए।
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वास्तविकता से रूबरू करा रही है हीमोलिम्फ http://apnidilli.com/18839/ Mon, 06 Jun 2022 09:35:43 +0000 http://apnidilli.com/?p=18839 निर्देशक सुदर्शन गामारे की बहु-प्रतीक्षित फिल्म हेमोलिम्फ को सेंसर बोर्ड से ‘ए’ सर्टिफिकेट मिला है। फिल्म 27 मई 2022 को रिलीज़ हुई।
बॉलीवुड के सफर की शुरुआत करने के लिए वास्तविक जीवन की कहानियाँ आमतौर पर पसंदीदा विकल्प नहीं होती हैं, लेकिन रियाज़ अनवर और रुचिरा जाधव ने न सिर्फ इसे एक चुनौती के रूप में लिया, बल्कि इसे हासिल करने में भी कामयाब भी रहे।
इसके बारे में बात करते हुए रियाज़ कहते हैं, “यह प्रोजेक्ट मेरे दिल के बेहद करीब है, और मैं शुरू से ही इसमें शामिल रहा हूँ। मैं वाहिद से कई बार मिल चुका हूँ और मैं उनकी जिंदगी को पर्दे पर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था। मैंने बहुत रिसर्च की और वाहिद के वीडियोज़ देखे और उनके किरदार में गहराई से उतरने के लिए उनसे और उनके परिवार से बात की। मैंने सभी क्रू मेंबर्स से कहा कि वे मुझे पूरी फिल्म के दौरान मेरे किरदार के नाम से पुकारें, ताकि मैं किरदार में रह सकूँ। शूटिंग शुरू होने से काफी पहले, मैंने वाहिद जैसे कपड़े पहनना शुरू कर दिया था। मैंने वाहिद के काम की दिनचर्या का अनुभव करने के लिए मुंब्रा से सीएसटी तक रोजाना यात्रा की।”
रुचिरा ने साजिदा शेख (वाहिद की पत्नी) की भूमिका निभाई है, इस भूमिका के लिए बहुत दृढ़ विश्वास की आवश्यकता रही और चूँकि फिल्म में अभिनेत्री का चेहरा नहीं दिखाया गया है, इसके एवज में रुचिरा ने अपनी आँखों, बॉडी लैंग्वेज और आवाज के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है। इसके बारे में बात करते हुए वे कहती हैं, “जब निर्देशक सुदर्शन इस स्क्रिप्ट के साथ मेरे पास आए, मैं इसका हिस्सा बनने को लेकर काफी रोमांचित थी। मुझे कहानी और मेरा किरदार बेहद पसंद आया, मुझे पूरी स्क्रिप्ट सुनाने के बाद, उन्होंने कहा कि केवल एक बात का ध्यान आपको रखना होगा कि फिल्म में आपका चेहरा सामने नहीं आएगा। आपको अपनी आँखों और हाव-भाव से अभिनय करना होगा और दर्शकों को उन भावनाओं के लिए राजी करना होगा, जो आप व्यक्त कर रहे हैं।” वे आगे कहती हैं, “मैंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। यह कठिन था, लेकिन इससे मुझे अपने कौशल को सुधारने में मदद मिली और हमने सेट पर बहुत मज़ा किया।”
जब निर्देशक सुदर्शन गामारे से पूछा गया कि क्या फिल्म बनाना आसान है, तो इसके जवाब के रूप में वे कहते हैं, “वाहिद जी ने कई निर्देशकों को अस्वीकार कर दिया, जो उनके बारे में फिल्म बनाना चाहते थे। क्योंकि उन्हें यकीन नहीं था कि वे फिल्म में वास्तविक सच्चाई दिखाएँगे। यही कारण था कि वे सभी को मना कर दिया करते थे। मेरे साथ भी उन्होंने फिल्म के लिए हाँ कहने से पहले पूरा स्क्रीनप्ले देखने को कहा।” वे आगे कहते हैं, “जब हम कोर्ट रूम सीक्वेंस कर रहे थे, तब 15-20 मिनट बैठने के बाद वाहिद जी हमारे सेट से नीचे उतरे, उस समय हम बहुत घबरा गए थे। उनकी आँखों में आँसुओं का सैलाब था। जब हमने उनसे बात की, तो उन्होंने कहा, “कुछ देर के लिए मैं उस समय में चला गया था, जिस दौरान ये घटनाएँ वास्तव में हुई थीं और मैं इसे अब और नहीं सह सकता।”
मेकर्स ने असली कहानी को जिंदा रखा है। इस कहानी को ग्लैमरस बनाने के लिए किसी तथ्य को तोड़-मरोड़ कर पेश नहीं किया गया है। इस प्रकार निर्देशक ने सिनेमा बनाने की कला के प्रति वास्तविकता पेश की है। हीमोलिम्फ एक स्कूल शिक्षक, अब्दुल वाहिद शेख की वास्तविक कहानी है, जिन पर 11 जुलाई, 2006 को मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में आरोप लगाया गया था। इस आरोप ने न केवल उनका जीवन, बल्कि उनके परिवार को भी बर्बाद कर दिया था। फिल्म न्याय के लिए उनकी लड़ाई और उन अन्य लोगों के बारे में है, जिनका जीवन इस तरह के हालातों से प्रभावित हुआ है।
यह फिल्म टिकटबारी और एबी फिल्म्स एंटरटेनमेंट द्वारा आदिमन फिल्म्स के सहयोग से बनाई गई है। इसके सह-निर्माता एननडी9 स्टूडियोज़ हैं। फिल्म सुदर्शन गामारे द्वारा लिखित और निर्देशित है। फिल्म में अब्दुल वाहिद शेख की भूमिका रियाज़ अनवर ने निभाई है। वहीं मुज्तबा अज़ीज़ नाज़ा ने बैकग्राउंड स्कोर दिया है, डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी रोहन राजन मापुस्कर हैं और फिल्म का संपादन एचएम ने किया है।
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‘निंदक नियरे राखिए’ http://apnidilli.com/18788/ Wed, 01 Jun 2022 09:38:42 +0000 http://apnidilli.com/?p=18788 प्रशान्त जैन ‘गांधरा’
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, जैन कान्फ्रेंस, नई दिल्ली

नदी को सागर तक पहुंचने में कई अवरोधों का सामना करना पड़ता है। बड़ी-बड़ी चट्टानें उसके मार्ग में आती हैं और रुकावट डालती हैं। इन अवरोधों से टकराकर नदी के प्रवाह में उत्तेजना जरूर होती है किन्तु वह अपने बहने की निरन्तरता को नहीं तोड़ती। अन्त में एक क्षण ऐसा आता है जब उन अवरोधों को अपने आप हट जाना या मिट जाना पड़ता है ।
ठीक इसी तरह मानव जीवन में भी अन्त तक अवरोधों का सामना करना पड़ता है। जितने उच्च लक्ष्य, कार्यक्रम होंगे उसी अनुपात में मनुष्य को विरोधों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए जीवन को संघर्षमय कहा गया है। कोई भी व्यक्ति अथवा समाज जब किसी महान लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है तो दूसरे लोग अकारण ही विरोध करने लगते हैं। उससे ईष्र्या करने लगते हैं उसके मार्ग में रुकावटें डालते हैं, उपहास करते हैं। प्रत्येक प्रगतिपोषक व्यक्ति को तो अवश्य ही अपने जीवन में इन तत्वों का सामना करना पड़ता है। किन्तु मनस्वी लोग इन विरोध, रुकावटों को ही अपनी प्रगति और सफलता की फसल के लिए खाद और पानी बना लेते हैं। वास्तव में कठिनाई और विरोध का अवसर आने पर ही मनुष्य के पराक्रम और आत्म-विश्वास का विकास होता है। विरोध उत्साहियों के उत्साह को कई गुना बढ़ा देता है।
इस तरह विरोधी वास्तव में हमारी सहायता ही करता है क्योंकि उससे हमारे गुणों का विकास होता है। हममें उत्साह और स्फूर्ति की वृद्धि होती है। कई बार लोग विरोध के सामने आत्म-समर्पण कर बैठते हैं। हार मान लेते हैं और आगे बढऩे के विचार ही छोड़ देते हैं। लेकिन यह मानसिक कमजोरी ही मानी जाएगी। प्रतिरोध को अनुकूलता में ढाल लेना एक महत्वपूर्ण सफलता है। जो इस सीमा को पार कर लेते हैं, वे जीवन में सफलता की मंजिल पार कर ही लेते हैं।
किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करते ही मनुष्य को दूसरे लोगों के उपहास का सामना करना पड़ता है। लोग कहने लगते हैं ‘अरे! यह क्या कर लेगा?’ बेकार दूसरों की नकल करता है। अपने पैर देखकर तो चलता नहीं आदि आदि। लोग व्यर्थ ही उसकी खिल्ली उड़ाने लगते हैं। बार-बार टोकते हैं। तरह-तरह से उपहास करते हैं। इस तरह मनुष्य को अपने कार्य के आरम्भ में ही भारी विरोध का सामना करना पड़ता है और बहुत से दुर्बल मन वाले लोग यहीं हारकर बैठ जाते हैं। उनका संकल्प, उनकी आकांक्षाएं जन्म लेते ही मर जाती हैं।
यह भी देखा गया है कि जब दृढ़ संकल्पी व्यक्ति इस तरह के उपहास की परवाह न कर अपने प्रयत्न जारी रखते हैं तो प्रतिपक्षी लोग खुलकर विरोध करने लगते हैं। संकल्पित व्यक्ति के मार्ग में रुकावटें डालते हैं विघ्न उपस्थित करते हैं। उसके आचरण, चरित्र पर आक्षेप करने लगते हैं। उसके सहयोगियों को बहकाते-फुसलाते हैं। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में उलटा सीधा कहते हैं। इस स्थिति में भी कई लोगों का धैर्य डगमगा जाता है और बहुत से लोग यहां आकर अपने पांव को पीछे हटा लेते हैं। तथा अपने लक्ष्य और शुभ कार्य को छोड़ बैठते हैं।
किन्तु मनस्वी लोग जब इस तरह के विरोधों की परवाह न कर एकाग्रता के साथ लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं और उनके अथक परिश्रम और लगन के कारण जब सफलता के आसार दीखने लगते हैं तो वे ही विरोधी, आलोचक अपनी सहानुभूति दिखलाने लगते हैं यहां तक कि वे लोग उनके साथ ही आ मिलते हैं। अधिकांश विचार विरोधी तो विरोध करना ही छोड़ देते हैं। इसलिए शुभ कार्यों में लगने वालेए उन्नति और विकास की ओर बढऩे वालों के समक्ष एक ही मार्ग है दृढ़ता के साथ अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर गतिशील रहना। एक बार लक्ष्य और उत्कृष्ट मार्ग का चुनाव कर फिर उस ओर निरन्तर आगे बढ़ते रहना कर्मवीर के लिए आवश्यक है।
मार्ग में क्या-क्या मिलता है, किन अवरोधों का सामना करना पड़ता है, क्या-क्या गुजरता है, इसकी परवाह किए बिना उपहास, विरोध, आक्षेपों को सहन करते हुए जो अन्त तक लगा रहता है वह अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त कर ही लेता है। इस तरह संघर्ष करते हुए सफलता न भी मिले तो अपने उद्देश्यपूर्ण लक्ष्य के लिए मर मिटना या असफल होना भी हारकर बैठ जाने से श्रेयस्कर है। वस्तुत: प्रयत्न के दौरान प्राप्त होने वाली असफलता सफलता का ही दूसरा स्वरूप है। उससे मिलने वाला आत्म-संतोष किसी बड़ी सफलता से कम नहीं होता।
विरोध और विघ्नों से निपटने का दूसरा मार्ग है विरोधियों से सीखना। समाज में संकीर्ण प्रकृति के लोग, परम्परा के अन्धानुयायी, कूपमण्डूक लोगों की कमी नहीं होती। इनका एक बड़ा वर्ग होता है। यही कारण है कि सदा से नवीन पथ को खोज निकालने वाले, प्रगति और विकास के उपासकों को इन लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा है। ऐसे लोग व्यर्थ ही ईष्र्या, द्वेष या अपने स्वार्थों से प्रेरित होकर सज्जनों के मार्ग में रोड़े अटकाते हैं, उन्हें भला-बुरा कहते हैं मजाक उड़ाते हैं। किन्तु इसका एक ही समाधान है ऐसे लोगों की दुष्प्रवृत्तियों को उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाय। उन्हें अपनी निम्नता को प्रकट करने दीजिए लेकिन आप अपनी सज्जनता और शालीनता न छोड़ें। अपने मार्ग पर अडिग रहें। ऐसे लोगों से उलझने में आपकी शक्ति व्यर्थ ही नष्ट होगी।
निहितार्थ यह है कि हम सभी प्रयत्नशील लोगों को सदैव आगे की ओर देखना चाहिए। वंचक आएंगे जाएंगे, सफलता मिलेगी, हो सकता है न भी मिले पर मुझे विश्वास है कि सत्प्रयास की ओर की गई हमारी यह यात्रा शुभ और मंगलदायी होगी।

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न्यूज 24 (बीएजी नेटवर्क) ने पॉडकास्ट 24- आवाज सबकी किया लॉन्च http://apnidilli.com/18728/ Mon, 23 May 2022 13:03:34 +0000 http://apnidilli.com/?p=18728 नोएडा। श्रीमती अनुराधा प्रसाद के नेतृत्व में बीएजी नेटवर्क ने आज अपना नया डिजिटल प्लेटफॉर्म पॉडकास्ट 24-आवाज सबकी लॉन्च किया। पॉडकास्ट 24 में राजनीति, खेल जगत, बॉलीवुड, अपराध, महिला और स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयों पर जानकारियां और कहानियां सुनाई जाएँगी। इतना ही नहीं समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श भी पॉडकास्ट 24 पर किया जायेगा। अपने सैटेलाइट चैनलों की सफलता और सोशल मीडिया पर प्रभावशाली उपस्थिति के बाद बीएजी नेटवर्क पॉडकास्ट 24 के साथ एक नई शुरुआत करने जा रहा है।

न्यूज़ 24 की एडिटर इन चीफ अनुराधा प्रसाद ने कहा कि पॉडकास्ट 24-आवाज़ सबकी, समाचार  और श्रोताओं के बीच की दूरी को मिटायेगा। पॉडकास्ट 24 आम लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाने की कोशिश करेगा। न्यूज 24 के सभी दर्शक पॉडकास्ट 24 पर न्यूज 24 के सभी प्रमुख कार्यक्रम जैसे कि इतिहास गवाह है, अनुराधा प्रसाद के साथ, अनसुने किस्से, राजीव शुक्ला के साथ, सबसे बड़ा सवाल, संदीप चौधरी के साथ, माहौल क्या है? राजीव रंजन के साथ और  राष्ट्र की बात मानक गुप्ता के साथ सुन सकेंगे। पॉडकास्ट24 को स्पोटिफाई, अमेजॉन, गूगल आदि पर सुन सकेंगे। पॉडकास्ट 24 न्यूज 24 की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगा। पॉडकास्ट 24 की नई शुरुआत का आप भी हिस्सा बनें और अपने प्यार और विश्वास से हमारा प्रोत्साहन करें।

 

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फिर गर्मी नहीं करेगी परेशान http://apnidilli.com/18144/ Tue, 29 Mar 2022 13:25:08 +0000 http://apnidilli.com/?p=18144 दोस्तों,गर्मियों के मौसम ने दस्तक दे दी है और इस साल तो समय से काफी पूर्व ही हम सब के पसीने छूटने लगे हैं। कहां तो होली पर्व के बाद ही थोड़ी बहुत गर्मी शुरू हुआ करती थी परंतु इस वर्ष गर्मियां कुछ ज्यादा ही जल्दी आ चुकी हैं।
खैर, मौसम तो बदलते रहते हैं ।ऋतु परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। सर्दी,गर्मी,गर्मी के बाद बारिश ,बारिश के बाद सर्दी ,सर्दी के बाद गर्मी यह सब तो चलता ही रहता है। ऋतु देर सवेर आती जाती रहती हैं।किंतु इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि हम ऋतु परिवर्तन में स्वयं का ध्यान ना रखें और ऋतु परिवर्तन से होने वाली परेशानियों को झेलें।
अपने इस आलेख के माध्यम से मैं अपने अनुभवों के आधार पर आप सभी से गर्मियों से बचने के उपाय साझा करना चाहती हूं। वैसे तो मेरे पाठकगण मुझ से कहीं अधिक समझदार एवं अनुभवी होंगे परंतु यह भी सत्य है कि कभी-कभी सब कुछ हमारे सामने होते हुए भी हम कुछ चीजों को संयोग से कहें या जल्दबाजी में, नजरअंदाज कर देते हैं और इसी का खामियाजा फिर हमारे स्वास्थ्य को भुगतना पड़ता है।तो ऐसा ना हो, इसलिए हमें गर्मी से बचाव के तरीकों को ध्यान में रखना होगा और जब तक गर्मी अपना असर करना कुछ हद तक कम ना कर दें तब तक हमें कुछ नियमों का नियमित रूप से पालन करना होगा और ऐसी कुछ सावधानियां बरतनी होंगी जिसके पश्चात गर्मियां हम पर अपना दुष्प्रभाव नहीं छोड़ पाएंगी। ऐसे ही कुछ उपायों और सावधानियों को आप सभी के लिए लेकर आज मैं उपस्थित हूं, ताकि हम सेहत के खजाने से खुशियों के मोती सदैव चुनते रहें।
* गर्मियां शुरू होने से पहले ही हमें गर्मियों के दौरान पहने जाने वाले कपड़ों को अलमारियों अथवा सूटकेस से बाहर निकाल कर धो लेना चाहिए और यदि धोना संभव ना हो तो कम से कम कपड़ों को धूप में अवश्य रखना चाहिए क्योंकि लंबे समय से अलमारी और सूटकेस में बंद कपड़ों में अक्सर कीटाणु घर कर जाते हैं और यदि उन्हें डायरेक्ट पहन लिया जाए तो काफी लोगों को एलर्जी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
*गर्मी से स्वयं को बचाने के लिए ठंडे पदार्थों का सेवन करें जितना संभव हो सके तेज गर्म चीजों को ना ही खाया जाए। ठंडे पदार्थों से यहां मेरा तात्पर्य फ्रिज में रखे हुए पदार्थों से कदापि नहीं है।सर्दियां हो चाहे गर्मियां ,कभी भी फ्रीज में रखी चीजों को तुरंत नहीं खाना चाहिए। ठंडे पदार्थों से मेरा मतलब उन पदार्थों से है जिन की तासीर ठंडी होती है और जो हमें गर्मी से राहत देते हैं। ऐसे कुछ घरेलू पदार्थ जैसे आम पन्ना ,नींबू की शिकंजी और गोंद कतीरा को दूध में डालकर पीने से स्वास्थ्य को लाभ मिलता है और गर्मी का असर भी कम होता है।
*गर्मियों में अक्सर लू का दुष्प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। लू से बचने के लिए जब भी घर से बाहर निकले तो त्वचा पर सनस्क्रीन का प्रयोग अवश्य करें,छाते के बिना घर से बाहर ना निकलें,यदि छाते का प्रयोग संभव ना हो तो सिर पर एक कैप या सूती कपड़ा अवश्य पहन कर ही घर से निकलें।
*जितना संभव हो ,तले भुने पदार्थों का सेवन कम से कम करें ।बाहर बाजार के पके हुए खाने से बचें एवं घर का बना हुआ ताजा खाना ही खाएं ।परंतु रोजमर्रा की जिंदगी में यह संभव नहीं है कि हम बाहर का खाना बिल्कुल ही अवॉइड कर पाएं, इसलिए बाहर का खाना यदि खाना भी पड़े तो किसी अच्छी जगह पर ही खाएं ताकि पेट संबंधी रोगों से दूर रहा जा सके ।उसमें भी अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का ही सेवन करें तो बेहतर होगा।
*गर्मियों में अक्सर शरीर के भीतर पानी की कमी हो जाती है क्योंकि गर्मियों में पसीना बहुत अधिक आता है। पानी की कमी ना होने पाए, अत: गर्मियों में हर रोज 8 से 10 गिलास पानी पीना बहुत जरूरी है।इसके अतिरिक्त दूध लस्सी, छाछ, जूस इत्यादि का सेवन भी किया जा सकता है।
*गर्मियों में अधिकतर सूती वस्त्रों का ही प्रयोग करें ।ज्यादा चटकीले भड़कीले और रेशमी कपड़ों को पहनने से बचें  सूती कपड़े पहनने में काफी आरामदायक भी होते हैं जिससे हमें गर्मी का ज्यादा एहसास नहीं होता।
*दिन में तीन से चार बार अपने चेहरे को फेस वॉश से धोएं। फेस वॉश ना होने की स्थिति में केवल सादे पानी से भी चेहरे को धोने से चेहरे पर जमी धूल और गंदगी साफ हो जाती है और गर्मी का प्रभाव भी कम हो जाता है।
*गर्मी के मौसम में जितना जरूरत हो उतना ही मेकअप करें।आवश्यकता से अधिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से त्वचा को हानि पहुंच सकती है ।ध्यान रहे,अच्छे से अच्छे ब्रांड के ब्यूटी प्रोडक्ट्स भी कभी-कभी गर्मियों में हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
*यदि आप कहीं बाहर गर्मी से घर में अथवा एसी वाली बस ,ट्रेन या कार में जा रहे हैं तो तुरंत एसी का प्रयोग ना करें ।ऐसी स्थिति में जुखाम होने का डर होता है ।  5 से 10 मिनट का इंतजार करें और पसीना सूखने के बाद ही एसी चालू करें.
*लू के मौसम में जितना संभव हो घर के भीतर ही रहें,परंतु यदि घर से बाहर निकलना ही पड़ता है तो अपने साथ ठंडे पानी की बोतल,सनग्लासेज, कैप,रूमाल,सूती कपड़ा और छाता अवश्य रखें।
*गर्मी की वजह से शारीरिक गतिविधियों में कटौती करने की कतई आवश्यकता नहीं है। यदि आप मॉर्निंग और इवनिंग वॉक पर नियमित रूप से जाते हैं तो गर्मियों में भी सूरज ढलने के बाद बाहर जाया जा सकता है। परंतु ध्यान रहे कि पसीना आने की स्थिति में ठंडा पानी बिल्कुल ना पिएं क्योंकि इससे भी जुकाम लग सकता है।
अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात जिस प्रकार गर्मी हम मनुष्यों पर असर करती है उसी प्रकार पशु पक्षियों पर भी,इसलिए अपने घर के बाहर अथवा मुंडेर या छत पर पानी से भर कर एक बर्तन अवश्य रखें ताकि वहां से गुजरने वाले अबोध पशु पक्षी भी अपनी प्यास बुझा सकें।
पिंकी सिंघल, अध्यापिका
शालीमार बाग दिल्ली
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हाय मैं शर्म से गुलाबी हुई (लघु संस्मरण) http://apnidilli.com/18041/ Mon, 21 Mar 2022 06:34:48 +0000 http://apnidilli.com/?p=18041 यह बात दो साल पहले अर्थात कोरोना से पहले की है ।मेरे 17 वर्षीय बेटे का एक एंट्रेंस एग्जाम था और तब उसे छोड़ने मैं भी उसके साथ गई थी। हमने वहां सेंटर पर पहुंचकर सबसे पहले गेट के बाहर रोल नंबर का नोटिस बोर्ड पढ़ा और उसके हिसाब से हम ने पता लगाया कि बेटे को कौन सी फ्लोर पर कौन से रूम नंबर में जाना है।पेपर शुरू होने से 15मिनट पहले ही गेट खोल दिया गया और सारे बच्चे स्कूल, जो कि परीक्षा केंद्र था,के अंदर घुसने लगे।
बेटे के साथ-साथ मैं भी अंदर चली गई।मुझे नहीं मालूम था कि बच्चे के साथ पेरेंट्स का जाना अलाउड नहीं है।मुझे यही था कि मैं बेटे को क्लासरूम तक छोड़कर आऊं।दूसरी बात, ना ही बीच में मुझे किसी ने रोका,जबकि हम क्लास रूम के बाहर तक पहुंचे उस से पहले बीच में हमें दो से तीन गार्ड रास्ते में मिले ,परंतु मुझे किसी ने नहीं रोका तो मुझे यही लगा कि शायद पेरेंट्स को बच्चों को अंदर छोड़ने जाना अलाउड है ताकि सब अपने अपने बच्चों को रूम में बैठा कर वापस आ जाएं।
परंतु ,जैसे ही हम एग्जामिनेशन रूम के बाहर तक पहुंचे तो वहां एक सर रूम के बाहर दरवाजे पर ही खड़े थे।उन्होंने पहले बेटे से रोल नंबर मांगा, बेटे ने अपना रोल नंबर दिखाया और अंदर चला गया।फिर उन्होंने मुझसे कहा कि आप अपना रोल नंबर दिखाइए, मैं हैरान हो गई ।मैंने कहा :सर मैं तो अपने बेटे को छोड़ने आई थी जो अभी अभी अंदर गया है वह मेरा बेटा ही तो था।सर अचंभित होकर मेरी तरफ देखने लगे और बोले”आप उस बच्चे की मम्मी हैं? ऐसा कैसे हो सकता है ,मुझे तो यही लगा कि आप भी कैंडिडेट अर्थात स्टूडेंट हैं और पेपर देने आई हैं,और शायद यही गलतफहमी नीचे से यहां तक बीच में आने वाले सभी गार्ड्स को भी हुई होगी ,इसीलिए उन्होंने आपको नहीं रोका ,वरना पेरेंट्स का तो गेट के अंदर आना ही अलाउड नहीं था ।
उनकी यह बात सुनकर जहां एक तरफ मैं हैरान थी,वहीं दूसरी तरफ मुझे अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा अच्छा महसूस भी हो रही था क्योंकि उनका वह कहना मेरे लिए किसी कंपलीमेंट से कम नहीं थाउनकी इस बात से कुछ देर के लिए ही सही ,पर, मेरे चेहरे का रंग जरूर बदला था। मैं शर्म से लाल नहीं तो गुलाबी तो जरूर हो गई थी
आज भी जब हम उस वाकया को याद करते हैं तो मुझे बहुत अच्छा फील होता है।
पिंकी सिंघल, दिल्ली
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चहक उठे बच्चे,महक उठे स्कूल http://apnidilli.com/18025/ Sat, 19 Mar 2022 13:02:33 +0000 http://apnidilli.com/?p=18025 वाकई बहुत ही सुखद प्रतीत होता है यह देखकर कि कोरोना का दुष्प्रभाव और असर अब बहुत कम दिखाई पड़ रहा है ।बहुत ही हर्ष का विषय है कि वैश्विक महामारी कोरोना जिसने पिछले वर्ष बेहिसाब तबाही मचाई थी का असर अब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। बड़ी ही राहत की बात है कि लोगों के मन से कोरोना का डर धीरे धीरे कम हो रहा है। हां यह जरूर है कि हम सभी अभी भी कोरोना से बचने के उपायों में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं।नियमित रूप से बार-बार हाथ धोना ,मास्क और सैनिटाइजर का समय समय पर इस्तेमाल करना सामाजिक दूरी संबंधी नियमों का पालन करना, इन सभी का  बाकायदा ध्यान रख रहे हैं जो हमें कोरोना से बचा रहा है।
 साथ ही साथ सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावी कदम भी इस दिशा में अत्यंत सार्थक सिद्ध होते नजर आ रहे हैं। बहुत ही कम समय में सरकार ने इस वैश्विक बीमारी या यूं कहें वैश्विक महामारी पर विजय प्राप्त की है, जिससे यह साबित होता है कि हमारी सरकार के लिए अपने देश से बढ़कर और कुछ नहीं है।विश्व स्तर की बात करें तो प्रत्येक राष्ट्र ने अपने अपने स्तर पर जितना संभव बन पड़ा  उतने प्रयास किए और जनशक्ति को इस बीमारी से दूर रखने के बेशुमार प्रयत्न भी किए, जिसमें उसने काफी हद तक विजय भी हासिल की।यही तो असल मायनों में मानवता है।
कोरोना के असर को कम देखते हुए ही विभिन्न राष्ट्रों की सरकारों ने अपने-अपने देशों में शिक्षा रूपी मंदिरों अर्थात विद्यालयों   को दोबारा खोलने का निश्चय किया था।अभी कुछ समय पहले से एक बार फिर सभी देशों के अधिकतर राज्यों ने अपने अपने स्कूल खोलने के निर्देश जारी किए थे।
हमारे देश भारत की राजधानी दिल्ली में भी पिछले कुछ दिनों से सभी सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थान और स्कूल खोल दिए गए हैं जिसकी वजह से शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास एक बार फिर से किया जा रहा है। शिक्षक और छात्र तथा साथ ही साथ सरकारी मदद के सहयोग से शिक्षा को एक नया आयाम देने की कोशिश की जा रही है।बहुत ही अच्छा लगता है यह देखकर कि इतने लंबे अंतराल के बाद जब बच्चे स्कूल आ रहे हैं तो स्कूल स्कूल की तरह नजर आ रहे हैं ,एक अलग ही प्रकार का सुख महसूस होता है यह देखकर कि बच्चे स्कूल में आने के लिए कितने उत्साहित हैं।
 पेशे से अध्यापिका होने की वजह से मुझे इस बात की बहुत ही खुशी है कि मेरे और मेरे जैसे अनेक अन्य विद्यालयों में बच्चे भारी संख्या में प्रतिदिन स्कूल आ रहे हैं और पढ़ाई में रुचि भी दिखा रहे हैं जिसका सीधा संबंध शिक्षा के स्तर से है।अगर इसी प्रकार बच्चे शिक्षा में रुचि दिखाते रहे और प्रतिदिन नियमित रूप से विद्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब कोरोना महामारी की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में जो खाई उत्पन्न हुई है, वह बहुत जल्दी भर जाएगी और एक बार फिर हमारी शिक्षा का स्तर पहले से कहीं अधिक ऊंचा उठेगा जिसका संपूर्ण श्रेय सामूहिक रूप से हमारे छात्रों,अध्यापकों एवं हमारी सरकार के ईमानदार पूर्ण प्रयासों को जाता है,जिन्होंने शिक्षा के ढांचे को यथावत ना छोड़कर उसमें सुधार करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी और हर संभव प्रयास किया कि बच्चों को सुरक्षित और दबाव मुक्त वातावरण में शिक्षा दी जा सके तथा साथ ही साथ शिक्षकों के लिए भी सरकार ने बहुत ही अच्छी योजनाएं बनाई ताकि शिक्षक भी भयमुक्त वातावरण और बिना किसी दबाव में बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकें जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही मॉड के जरिए निरंतर रूप से जारी रह पाए।
सच ही कहा गया है कि बिना बच्चों के विद्यालय प्रांगण उस रेगिस्तान के समान है जहां केवल रेत ही रेत नजर आती है। बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आना चाहते हैं और अध्यापकों द्वारा आयोजित गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, कक्षा कार्य और गृह कार्य में अत्यधिक रूचि दिखाने वाले छात्र घर पर रुकना ही नहीं चाहते जो कि शिक्षा के क्षेत्र के लिए एक शुभ संकेत माना जा सकता है।शिक्षा की इस मुहिम में अध्यापक भी पीछे नहीं हैं,वे भी एक से बढ़कर एक रुचिकर गतिविधि बच्चों के साथ साझा कर रहे हैं और अपनी मनोरंजक और सरल सहज शिक्षण तकनीकों और विधियों के माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे हैं जिससे भारी संख्या में बच्चे प्रतिदिन विद्यालय पहुंच रहे हैं और साथ ही साथ स्कूलों में दाखिले में भी वृद्धि हो रही है।
बस ईश्वर करें अब यह सिलसिला यूं ही जारी रहे।बच्चों की चहक से विद्यालय का वातावरण कितना खुशनुमा और आनंदमय हो जाता है इसका अनुभव मैंने किया है और मुझ जैसे अनेक अध्यापकों के भी अनुभव बिल्कुल इसी प्रकार के हैं। बच्चों की चहक से पूरा विद्यालय गुंजायमान होता है तो लगता है जैसे मंदिर में असंख्य घंटियां एक साथ बजकर यह संदेश दे रही हैं कि बस यही पल है ,यही वह क्षण है जब सभी के मन की मुरादें पूरी होने वाली है और शिक्षा का फल हम सभी को अति शीघ्र मिलने वाला है। शायद हमारे बच्चों और हम सब के इन्हीं सार्थक प्रयासों की वजह से ईश्वर भी हमारा साथ दे रहे हैं और कोरोना महामारी को दिन प्रतिदिन हमसे दूर और को बहुत दूर करते जा रहे हैं।
पिंकी सिंघल
अध्यापिका-शालीमार बाग, दिल्ली
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होली मनाएं,परंतु मर्यादा का पालन भी करें http://apnidilli.com/18016/ Thu, 17 Mar 2022 11:55:48 +0000 http://apnidilli.com/?p=18016 *होली के हुडदंग में कदापि न दीजे मर्यादा बिसार*
*प्रेम सद्भाव और उल्लास संग ही मनायें यह त्योहार*
हमारा देश भारत प्राचीन काल से ही मर्यादा जैसे विषयों को लेकर बहुत ही संवेदनशील रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि यहां हर छोटी बड़ी बात में मर्यादा का अत्यधिक ध्यान रखा जाता है और सामने वाले  की भावनाओं की बेहद कद्र की जाती है। कोई भी उत्सव हो,पर्व हो अथवा त्यौहार हो, यहां प्रत्येक अवसर को इस प्रकार मनाया जाता है जिससे किसी की भावनाएं आहत ना हों और सभी मौकों को भी हंसी खुशी मनाया जा सके।
मेरी उपरोक्त पंक्तियों को पढ़कर शायद आप सभी समझ गए होंगे कि आज का मेरा यह आलेख किस दिशा में जाना चाह रहा है। जी हां ,आपने बिल्कुल सही समझा!!! आज मैं आने वाले पावन पर्व होली के विषय में आप सबसे कुछ बातें साझा करना चाह रही हूं ।
होली रंगों का त्योहार है और इसे रंगोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि इस रंग भरे उत्सव में हम सभी अपनी पुरानी दुश्मनी और बैर भूलकर एक दूसरे को गले लगा लेते हैं और जीवन की एक नई शुरुआत करते हैं ।हमारे हृदय से हर प्रकार की कलुषता हट जाती है और प्रेम भाव जागृत होने लगता है। हम सब मिल जुल कर रंगों का यह विशेष त्योहार मनाते हैं और प्राचीन भारतीय संस्कृति को पूरा पूरा सम्मान देते हैं।
परंतु त्योहारों की हंसी खुशी और उत्सव के माहौल में हमें यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि त्योहारों की भी अपनी एक मर्यादा होती है जिसे मद्देनजर रखते हुए ही हमें हर त्योहार को मनाना चाहिए। त्योहारों की खुशी में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जिन लोगों के साथ हम त्योहार मना रहे हैं वे लोग हमारे अपने हैं और उनके मान सम्मान और प्रतिष्ठा का पूरा पूरा ध्यान रखना भी हमारा कर्तव्य बनता है। त्योहारों की धूम में हमें कुछ ऐसा नहीं करना चाहिए जिसका हमें बाद में पछतावा हो और सामने वाले की इज्जत पर आंच आए।
आज के मेरे इस आलेख का सिर्फ और सिर्फ यही लक्ष्य और उद्देश्य है कि हमें त्योहारों की गरिमा का ध्यान रखकर ही उन्हें मनाना चाहिए।त्यौहार लोगों को करीब लाते हैं इसलिए हमें त्योहारों को मनाते समय उन लोगों का सम्मान अवश्य करना चाहिए जिनके साथ हम इन त्योहारों को मना रहे हैं।त्यौहार हम लोगों से हैं ना कि हम लोग त्योहारों से। अर्थात त्योहारों का वजूद हम लोगों से ही है ,हमारा वजूद त्योहारों से नहीं।
*पर्व हमारे हमको देखो कितना करीब हैं लाते*
*इसीलिए तो त्योहारों को हम इतने मन से मनाते*
यह बात तो आप भी मानते हैं ना कि अपने जीवन में खुशियां भरने के लिए ही हम सब लोग त्योहार मनाते हैं।इसलिए हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे रंग में भंग पड़ जाए। कई लोग त्योहारों की भीड़ भाड में कुछ ऐसे कृत्य कर डालते हैं जो किसी भी सूरत में शोभनीय नहीं होते।त्योहारों की आड़ में मर्यादा का उल्लंघन करने में ऐसे लोग जरा भी नहीं हिचकते। होली जैसे त्यौहार पर तो ऐसा सबसे अधिक होता है। जो लोग ऐसा गलत व्यवहार सहन करते हैं, वे लोग त्यौहार खराब ना हो, इस शर्म से अपना मुंह नहीं खोलते और बस इसी बात का फायदा उठा कर गलत लोग उत्सवों को गंदा कर डालते हैं।
होली जैसे मौकों पर कुछ लोग भांग के नशे का बहाना बनाकर भी जानबूझकर लड़कियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी करते हैं । ऐसा करकर वे अपने गलत मसूबों को अंजाम देते हैं जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए ।ऐसे लोगों को तो त्योहार मनाने से ही वंचित कर दिया जाना चाहिए और साथ ही उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया जाना चाहिए।
*गलत व्यवहार पर चुप अब बिल्कुल नहीं रहेंगें हम*
*त्योहारों की आड़ में कुछ अब गलत नहीं सहेंगें हम*
हम सभी जानते हैं कि होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है ,इसलिए ऐसे अवसरों पर उन लोगों की बुराइयों को तो बिलकुल इग्नोर नहीं करना चाहिए और उन्हें उनकी बुराई रुपी गलतियों की सजा भी मिलनी ही चाहिए।वैसे तो कोई किसी का त्यौहार खराब नहीं करना चाहता ,परंतु जब बात इज्जत ,मान और सम्मान पर आती है तो सब जायज है।
होली का पर्व अवश्य मनाएं, हंसी खुशी मिल जुलकर मनाएं, रंगों में सराबोर हो जाएं, परंतु त्योहार मनाते समय यह भी कभी नहीं भूलना चाहिए कि त्योहारों की मस्ती के साथ साथ हमें मर्यादा का भी बहुत ध्यान रखना है।
होली तो पर्व ही है आपसी मेल मिलाप और आनंद पाने का।हम सभी को होली जैसे पावन उत्सव को मनाते समय ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि होली के रंगों में रंग कर हम सभी का जीवन सुंदर,सरल,स्वस्थ, सरस और सुखी हो जाए,सबका कल्याण हो और हमारा राष्ट्र विकास व प्रगति के पथ पर अग्रसर हो,समाज से सभी प्रकार की बुराइयों का खात्मा हो जाए और संपूर्ण विश्व बंधुत्व की भावना के साथ मिलजुल कर एक नया इतिहास रचे।
हम कदापि यह ना भूलें कि हम भारतीयों की मर्यादा ही विश्व में हमारी सबसे बड़ी पहचान है जिसे हमें रंग,अबीर और होली के हुड़दंग के बीच किसी भी हालत में भूलना नहीं है,अपितु,इसके साथ ही हमें होली और अन्य सभी पर्व मनाने हैं।
बुराई पर अच्छाई को हर हाल में जीत दिलानी है
इज़्ज़त मान सम्मान से विश्व के दिल में जगह बनानी है
पिंकी सिंघल
अध्यापिका, शालीमार बाग दिल्ली
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चलो घंटी बजी स्कूल की http://apnidilli.com/17677/ Wed, 16 Feb 2022 13:04:27 +0000 http://apnidilli.com/?p=17677

देश के अनेक राज्यों में शैक्षणिक संस्थान खोल दिए गए हैं जो कि बहुत ही हर्ष का विषय है।कोरोना महामारी के चलते पहले ही शिक्षा का स्तर काफी नीचे गिर गया है ,जिसको वापस ठर्रे पर लाना होगा।हमारे नौनिहालों का बहुत ही अधिक नुकसान हो चुका है जिसकी भरपाई करने में ना जाने अब कितना वक्त लगेगा। माना कि ऑनलाइन शिक्षण अधिगम प्रक्रिया द्वारा शिक्षक और बच्चों ने बहुत ही धैर्य के साथ शिक्षा के क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी निभाई है परंतु ऑनलाइन शिक्षण कभी भी ऑफलाइन शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का स्थान नहीं ले सकता।
यह हम सब जानते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा कभी भी ऑफलाइन शिक्षा की विकल्प नहीं हो सकती।खुले वातावरण में फेस टू फेस एक दूसरे को कहना और सुनना समझना इन सब चीजों का स्थान कंप्यूटर शिक्षण कभी नहीं ले सकता। शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का अपना अलग महत्व है परंतु टेक्नोलॉजी भी तो तभी कारगर सिद्ध होती है जब उस टेक्नोलॉजी को प्रयोग सही तरीके से किया जाए और समझने समझाने वाले लोग एक दूसरे के समक्ष विचार विनिमय कर सकें और अपनी समस्याओं को एक दूसरे की सहायता से समझ कर सुलझा सकें
दिल्ली में भी 14 फरवरी 2022 से एक बार फिर से स्कूल खुल गए हैं ।गौरतलब है कि 7 फरवरी 2022 से कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के स्कूल पहले ही खोले जा चुके हैं क्योंकि इस उम्र के अधिकतर बच्चों को वैक्सीन की सुविधा दी जा चुकी है इसलिए उन्हें संक्रमण का खतरा ना के बराबर है।
हम सभी जानते हैं कि अब वायरस कोरोना का असर काफी कम पड़ रहा है किंतु फिर भी हमें सतर्क रहने की उतनी ही आवश्यकता है ।परिस्थिति बदलते देर नहीं लगती इसलिए सामाजिक दूरी का अभी भी हम सभी को पालन करना होगा,समय-समय पर साबुन से अच्छे तरीके से हाथ धोने होंगे और सेनेटाइजर का प्रयोग भी नियमित रूप से करना होगा ताकि हमारी पिछले 2 सालों की मेहनत खराब ना होने पाए जब हमने इनसे नियमों का सख्ती से पालन किया और कोरोना वायरस पर काफी हद तक जीत हासिल करने का प्रयास भी किया जिसका असर आज भी देखा जा सकता है। उन्हीं प्रयासों की वजह से आज कोरोना वायरस का असर कम होता दिख रहा है। यह तो हम सभी जानते हैं कि हमने बहुत ही मेहनत और अथक प्रयासों से यह मुकाम हासिल किया है। अबे अब हमें और अधिक सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है।
स्कूल आने वाले बच्चों को सुरक्षा संबंधी नियम समझाने के लिए,उन्हें प्रेरित और प्रोत्साहित करने हेतु, उन्हें संक्रमण से बचने के तरीकों से अवगत कराना होगा और व्यवहार में भी उन्हें सिखाना होगा कि किस प्रकार अब भी अच्छे से साबुन से बार-बार हाथ धोने चाहिएं एवं सामाजिक दूरी का पालन करते हुए सदैव मास्क पहनकर रहना चाहिए ।
शिक्षकों को भी अभी कुछ समय के लिए बच्चों को ग्रुप एक्टिविटीज से दूर रखकर ही शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए और यदि फिर भी बहुत आवश्यक हो तो छोटे-छोटे ग्रुप्स बनाकर इन गतिविधियों को अंजाम देना चाहिए।
दिल्ली सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि दिल्ली वासियों को हर प्रकार के संक्रमण से बचा कर रखे एवं सभी लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं प्रदान करे।
एक तरफ यदि दिल्ली सरकार हमारे लिए इतना सोच रही है और ईमानदारी से इतने अधिक प्रयास कर रही है तो हम दिल्लीवासियों का भी फर्ज बनता है कि हम सरकार की इस मुहिम में उनका साथ दें एवं अपने बच्चों को अच्छी प्रकार से ट्रेंड कर और समझाने के पश्चात ही स्कूल भेजें एवं शिक्षा के स्तर को ऊंचा कर आगे बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। हम निसंदेह, हम सब के सामूहिक प्रयासों से ही शिक्षा का स्तर ऊंचा उठेगा और तब दिल्ली एक बेहतरीन शहर के रूप में सफलता की सीढ़ियां चढ़ेगी।

पिंकी सिंघल
अध्यापिका, शालीमार बाग दिल्ली

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