हमें जनता के बीच, संवाद स्थापित कर करना है : पूनम पाराशर झा
नई दिल्ली । नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में दिल्ली भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्षा श्रीमती पूनम पाराशर झा के नेतृत्व में आज सैंकड़ो की संख्या में महिला कार्यकर्ताओं ने दिल्ली प्रदेश कार्यालय से पैदल मार्च प्रारम्भ किया जो सेन्ट्रल पार्क से क्नाट प्लैस होते हुये बाबा खड्ग सिंह मार्ग से वापिस पंत मार्ग भाजपा कार्यालय पर पहुंचा यहां उपस्थित महिलाओं के जनसैलाब को राष्ट्रीय प्रवक्ता व नई दिल्ली की सांसद श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर श्रीमती राजबाला छिकारा, श्रीमती संतोष गोयल, श्रीमती लता गुप्ता उपस्थित थी।
उपस्थित महिलाओं को सम्बोधित करते हुये नई दिल्ली की सांसद श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि आज देश में भ्रमित वातावरण पैदा करके हमारे युवाओं को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है उन सभी को समझाने की जिम्मेदारी भी हमारी है क्योंकि वो हम लोगों के परिवार से सम्बन्ध रखते है। ऐसे में सबसे पहले विषय को हम समझेगें तभी गैर-जिम्मेदार ताकतों से अपने बच्चों को बचा पायेगें। मेरे जैसे अनेकों लोग ऐसे परिवारों से आते है जब 1947 में देश आजाद हुआ था और भारत के दो हिस्से हुये तो कुछ लोग पाकिस्तान से हिन्दुस्तान गये कुछ वहां से यहां आये। बाद में तीसरा हिस्सा बांग्लादेश बना। महिलाओं से जोर-जबरदस्ती हुई, विवाहित महिलाओं का जबरन विवाह करा देना, उन्हें धर्म परिवर्तन करने का दबाव डालना। ननकाना साहिब की घटना कोई पहली घटना नहीं हैं। यह काफी समय से पाकिस्तान में होता आया है। 1947 के बाद अलग अलग वर्षों में लोग धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर शरर्णार्थी बनकर भारत आये लेकिन उनको नागरिकता कई वर्षों तक नहीं मिली। 31 दिंसबर 2014 से पहले जो भी लोग भारत में आ चुके है इन्हें भाजपा लेकर नहीं आयी क्योंकि हम सत्ता में 2014 में ही आये है। यह लोग अनियमित तरीके से भारत में रह रहे थे उन्हें नियमित करने के लिए मोदी सरकार यह कानून लेकर आयी।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि शरणार्थियों को पाकिस्तान में दाह संस्कार का भी अधिकार नहीं था। पाकिस्तान और बांग्लादेश भारता का अंग थे इस नाते वहां से आये शरर्णार्थीयों को नागरिकता देना सरकार का काम था। नेहरू लियाक्त पैक्ट में जनसंख्या के आदान प्रदान को रोका गया कि यदि शरर्णार्थी लाहौर से चले जायेगें तो यहां कि सड़के कौन साफ करेगा। भारत में रहने वाले 66 प्रतिशत शरर्णार्थी दलित समुदाय के है। यही कारण है कि सीएए भारत के लिए जरूरी है। एन पी आर भारत की सरकार 2008-09 में लाई थी उस समय कांग्रेस की सरकार थी और गृह मंत्री पी चिदंबरम थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 350 करोड़ रूपये की राशि इसके लिए आंबटित की। पहली बार 2008 में, दूसरी बार 2015 में और तीसरी बार 2020 में एन पी आर आना था जिसे सीएए के साथ जोड़ कर बवाल किया जा रहा है। विपक्ष केवल षड़यन्त्रकारी नीतियों में उलझा पड़ा है। दीपीका पादुकोण अपने फिल्म प्रचार प्रसार करने गयी लेकिन उन्होनें अपनी फिल्म के विरोध को एसिड विक्टिम का विरोध करना बताया।
दिल्ली भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्षा श्रीमती पूनम पाराशर झा ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हमें अपने घर गली मौहल्लों से शुरूवात करनी है। हमें लोगों को बताना है कि यह कानून भारत के किसी भी नागरिक की नागरिकता छीनने वाला कानून नहीं है अपितु इसके तहत पाकिस्तान अफगानिस्तान बांग्लादेश से धर्म के आधार पर प्रताड़ित शरर्णार्थीयों को नागरिकता देने वाला कानून है। विपक्ष के झूठ का पर्दाफाश हमें अपने जन संवाद से करना है। सरल भाषा में लोगों से संवाद स्थापित कर जनता में जनजागरण फैलाने के लिए उपस्थित सभी महिलाएं आज यहां से संकल्प लेकर जाये।