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सार्वजनिक अस्पतालों में लीवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता है : राष्ट्रपति

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने नई दिल्ली में यकृत और पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) के 10वें स्थापना दिवस और 7वें दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ाई और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में हमें हर वर्ष करीब दो लाख लीवर प्रत्यारोपणों की आवश्यकता पड़ती है, जबकि केवल कुछ हजार लीवर ही प्रत्यारोपित हो पाते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ और सार्वजनिक अस्पतालों में लीवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता है और आईएलबीएस इस संबंध में आवश्यक विशेषज्ञता प्रदान कर सकता है, लेकिन सबसे कठिन काम अंग दान को प्रोत्साहित करना और इसके बारे में जागरूकता फैलाना है। किसी की जान बचाने के लिए आवश्यक अंग और उसकी उपलब्धता के बीच एक काफी अंतर है। अंग दान के बारे में जागरूकता की कमी की वजह से दानदाताओं की कमी रहती है। उन्होंने आईएलबीएस से आग्रह किया कि वह लीवर दान करने को प्रोत्साहित करने के तरीके बताने के लिए एक रोडमैप तैयार करें, ताकि संबंधित प्रक्रिया में सुधार लाया जा सके और वर्तमान की तुलना में अधिक संख्या में लीवर प्रत्यारोपित किए जा सकें।
राष्ट्रपति ने कहा कि लीवर की बीमारियां बढऩे के मामलों का संबंध हमारी खराब जीवनशैली है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चार भारतीयों में से एक का चर्बीदार लीवर होता है और अत्याधिक चर्बी होने के कारण इनमें से दस प्रतिशत लीवर की बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति मधुमेह और दिल की बीमारी का पूर्व लक्षण है और मधुमेह के मरीज को अन्य की तुलना में लीवर की बीमारी अधिक देखने को मिलती है। आईएलबीएस जैसे संस्थान का कर्तव्य है कि वह अनुसंधान करें, जिससे हमारी जीवनशैली और लीवर की बीमीरियों के बीच संबंध स्पष्ट हो सके। इससे जीवनशैली में बदलाव पर आधारित रोकथाम प्रणाली विकसित करने में मदद मिलेगी।

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