महिला सशक्तिकरण के लिए शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण महत्वपूर्ण : नायडू
नई दिल्ली। भारत के उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज इस बात पर बल दिया कि महिला सशक्तिकरण के लिए शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है।
महिला दिवस के मौके पर आज हैदराबाद में आईडब्लूआईएन (अंतर्राष्ट्रीय महिला नेटवर्क) के उद्घाटन पर बोलते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि अगर महिलाओं को समान अवसरों से वंचित रखा गया और उन्हें पीछे रहने के लिए ही छोड़ दिया गया, तो कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता है। शिक्षा को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक या सामाजिक सशक्तिकरण की कुंजी बतलाते हुए श्री नायडू ने कहा कि हममें से हर एक का यह कर्तव्य है कि कोई भी बच्ची स्कूल जाने से न छूटे। उन्होंने अपनी राय रखी कि एक शिक्षित महिला में कौशल, आत्मविश्वास होगा और वह बेहतर अभिभावक बन सकती है। उन्होंने आगे कहा कि वह बेहतर पोषण भी प्रदान करेगी और इस तरह से सुनिश्चित करेगी कि उसका बच्चा स्वस्थ हो।
इस लिहाज से, उप राष्ट्रपति ने सभी स्तरों पर लड़कियों के सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाने में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओÓ के जबरदस्त प्रभाव पर प्रसन्नता जाहिर की।
मानसिकता में बदलाव का आह्वान करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि इस बात की तत्काल आवश्यकता है कि कम उम्र से ही लड़कों को लड़कियों का सम्मान करना सिखाएं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं में महिलाओं को हमेशा सम्मानजनक स्थान दिया गया और हमें अपनी जड़ों की ओर लौटने की जरूरत है।
यह कहते हुए कि जीवन को हमेशा महिलाओं की जरूरत होती है श्री नायडू ने अपने अलग अंदाज में कहा कि पहले यह विद्या (शिक्षा) है, तब लक्ष्मी (धन) और आखिर में यह शक्ति और शांति (पीस) है।
उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं की पहचान सबसे सुशील और प्रकृति में जीवन देने वाले तत्वों के तौर पर होती है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में नदियों के नाम भी महिलाओं पर रखे गए हैं। ऊषा (भोर) से सांध्य (गोधूलि बेला) तक हम अन्नपूर्णा (भोजन) के लिए काम कर रहे हैं।
आध्यात्मिक प्रतीकों का वर्णन करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि चाहे हम गायंत्री (मंत्र) पढ़ें या गीता (महाकाव्य) पढ़ें या ईश्वर की आराधना करने के लिए हम श्रद्धा के साथ वंदना, पूजा या आरती करें, हम महिलाओं के साथ होते हैं।
नारीत्व को सबसे बड़ा मानव मूल्य बताते हुए श्री नायडू ने कहा कि जब हम बड़े होते हैं, हम करुणा (कॉम्पैशन) या ममता (लव) चाहते हैं। उनसे जो हमसे नाराज हो जाते हैं, हम क्षमा चाहते हैं।