जल बोर्ड का निजीकरण होने से हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे : चौ. अनिल कुमार
नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार ने अरविन्द सरकार पर आरोप लगाया कि अक्षमताओं और प्रशासनिक असफलताओं के कारण दिल्ली जल बोर्ड में वन जोन वन ऑपरेटर मॉडल लागू करने का निर्णय ले रही है, क्योंकि दिल्ली जल बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार ने इसे नुकसान वाली संस्था बना दिया है। चौ. अनिल कुमार ने कहा आम आदमी पार्टी द्वारा मुफ्त पानी देने की वोट बैंक की राजनीति पर भी बहुत कम लोगों यह लाभ मिल पा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड जैसे एक महत्वपूर्ण विभाग के प्रबंधन कुशलतापूर्व चलाना और नि:शुल्क पानी देना दोनो विरोधाभास है, क्योंकि आम आदमी पार्टी की सरकार कामकाज में सुधार नहीं कर पाई और जल बोर्ड टैंकर माफिया के पूर्ण आधीन है। उन्हांने कहा कि अरविन्द सरकार के कार्यकाल में दिल्लीवासियों को पीने लायक पानी नही दिया जा रहा है, इसका खुलासा 16 नवम्बर 2019 की सर्वेक्षण रिपोर्ट हुआ, जिसमें बताया गया परीक्षण में 21 शहरों के पानी की गुणवत्ता में दिल्ली का पानी सबसे खराब हालत में पाया गया।
प्रदेश कार्यालय, राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि चौ. अनिल कुमार ने कहा कि कोविड-19 महामारी में लाखों लोगों बेरोजगारी के कारण जीविका की समस्या से जूझ रहे है, अगर अरविन्द सरकार इस संकट के दौर में दिल्ली जल बोर्ड का निजीकरण करती है तो हजारों लोगों के रोजगार पर सीधा असर पड़ेेगा। उन्होंने कहा कि अरविन्द सरकार सभी मोर्चो पर फेल होने के साथ-साथ दिल्लीवालों को पीने लायक पानी मुहैया कराने में असफल साबित हुई है और मोदी सरकार के निजीकरण के मॉडल का ही अनुसरण कर रहे है। संवाददाता सम्मेलन में चौ. अनिल कुमार के साथ उपाध्यक्ष जय किशन, प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष अमृता धवन और एडवोकेट सुनील कुमार मौजूद थे।
चौ. अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली बोर्ड का गठन 1998 में शीला दीक्षित की कांग्रेस सरकार ने किया। कुशल प्रबंधन और वितरण प्रणाली के द्वारा दिल्ली के 80.31 प्रतिशत घरों को पीने का पानी मुहैया कराया गया। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने 2015 के चुनावी घोषणा पत्र में दिल्ली के हर घर को पानी देने का वायदा किया, लेकिन यह सच यह है कि दिल्ली की कई कॉलोनियों में मुख्यत: संगम विहार और देवली आज भी अपनी जरुरत के लिए टैंकर और ट्यूब वेल पर निर्भर है और इन कॉलोनियों में प्रतिदिन लगभग 20 लाख रुपये पानी बेचा जाता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द के टैंकर माफिया को खत्म करने के दावे के बावजूद दिल्ली में पानी के टैंकरों की संख्या 2012 में 817 से बढ़ाकर 2019 में 1062 तक पहुंच गई। आम आदमी पार्टी के विधायक के उत्पीडऩ के कारण टैंकर मालिक डॉ. राजेन्द्र सिंह ने अपनी असमर्थता जताते हुए आत्महत्या कर ली। चौ. अनिल कुमार ने कहा कि आप पार्टी की सरकार भी मोदी सरकार की तरह सरकारी विभागों के निजीकरण करने का अनुसरण कर रही है। जिस तरह भाजपा सरकार ने 2019 में उत्तर प्रदेश के आगरा और गाजियाबाद में पानी और सीवर व्यवस्था को निजी हाथों में सौंप दिया।
चौ. अनिल कुमार ने कहा कि जब कांग्रेस दिल्ली की सत्ता में थी, दिल्ली जल बोर्ड सुव्यस्थित ढंग से कार्य हो रहा था, परंतु अरविन्द सरकार के अन्तर्गत दिल्ली जल बोर्ड पिछले 6 वर्षो से लगभग 4000 करोड़ घाटे में चल रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल-आर्थिक सर्वे 2019 के अनुसार अरविन्द सरकार पिछले 6 वर्षो में दिल्ली जल बोर्ड के द्वारा पानी सप्लाई में केवल एक प्रतिशत घरों की बढ़ौत्तरी ही कर पाई है। चौ. अनिल कुमार ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द ने दिल्ली सरकार के मुखिया होने के बावजूद पिछले 6 वर्षो में टैंकर माफिया की पकड़ को खत्म क्यों नहीं कर पाये? उन्होंने सरकार से प्रश्न किया कि इन 6 वर्षों में आप सरकार के कार्यकाल में कितनी पाईप लाईन बिछाई गई है?