राज्यसभा टीवी से 37 मीडियाकर्मियों को निकालना अमानवीय फैसला: आनंद राणा
नई दिल्ली। प्रेस कॉउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य आनंद प्रकाश राणा ने उपराष्ट्रपति एवं सभापति राज्य सभा श्री एम वेंकैया नायडु को पत्र लिखकर कोरोना महामारी के बीच राज्यसभा टीवी से 37 मीडियाकर्मियों को नौकरी से निकाल देने के फैसला को पूर्णत: अमानवीय बताते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त की है। श्री राणा ने सभी 37 मीडियाकर्मियों की सेवाओं को देखते हुए इन सभी की नौकरी बहाली की मांग की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि श्री नायडु इस विषय में सकारात्मक फैसला लेते हुए संबंधित मीडियाकर्मियों के हक में खड़े होंगे।
प्रेस कॉउंसिल सदस्य आनंद राणा ने कहा है कि संबंधित मीडियाकर्मियों की नौकरी छीनने का यह कदम उठाने के पीछे जो भी कारण रहे हों पर यह निर्णय किसी भी नजरिये से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी लॉक डॉउन की घोषणा करते समय प्राइवेट सेक्टर से अपील की थी कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी कर्मचारी को नौकरी से न निकाला जाए। बावजूद इसके दुखद यह है कि भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के टेलीविजन से ही 37 मीडियाकर्मियों को बेरोजगारी की दलदल में धकेल दिया गया। ऐसे समय में जब प्राइवेट सेक्टर के लघु एवं मध्यम श्रेणी तक के बहुत से कारोबारी अपने कर्मचारियों की नौकरी बचाये रखने की नजीर पेश कर रहे हों तब राज्यसभा टीवी के नीति-निर्धारकों का उक्त फैसला मानवीयता के मूल्यों पर गहरा आघात है। उन्होंने कहा है कि प्रेस कॉउंसिल के सदस्य के तौर पर मैंने कभी यह कल्पना भी नहीं की थी कि राज्यसभा टीवी के भीतर से भी मीडियाकर्मियों की छंटनी कोरोना महामारी के घोर संकटकाल में कर दी जायेगी।
श्री राणा ने अपने पत्र में लिखा है कि पिछले कुछ समय से पत्रकारिता के मूल्यों एवं सिद्धांतों में लगातार गिरावट के बातें सुनने को मिल रही हैं, न्यूज चैनल्स को लेकर नकारात्मक टीका-टिप्पणी आम लोगों से लेकर अदालतों तक में चर्चा का केन्द्र बनी हुई हैं, ऐसे दौर में राज्यसभा टीवी देश के सबसे सम्मानित चैनल के तौर पर पिछले कई सालों से जनमानस के बीच स्थापित है। यह बहुत ही गौरवमयी उपलब्धि है और इसे हासिल करने में राज्यसभा टीवी के उपरोक्त 37 मीडियाकर्मियों ने भी अपने अन्य सहयोगियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अत्यंत परिश्रम किया है। ऐसे में इनकी नौकरी छीनना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।