सरकार का सपना दिल्ली को विश्व स्तरीय ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर देना है : कैलाश गहलोत
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली को विश्व स्तरीय ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर देने के उद्देश्य से आईआईआईटी दिल्ली के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया। कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली को विश्व स्तरीय ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर देने का केजरीवाल सरकार सपना है। सेंटर फॉर सस्टेनेबल मोबिलिटी के जरिए आज इसकी नींव रखी गई है। इसका केंद्र आईआईआईटी दिल्ली में होगा और इसके लिए 6.1 करोड़ रुपए फंड की व्यवस्था की गई है। आईआईआईटी दिल्ली बसों में कंटैक्टलेस टिकट उपलब्ध कराने के केजरीवाल सरकार के सपने को साकार कर चुकी है और आज प्रतिदिन 70 हजार लोग कंटैक्टलेस टिकट खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस सेंटर के जरिए तकनीक और डेटा की मदद से रिसर्च कर सार्वजनिक परिवहन को और बेहतर बनाने के लिए काम किया जाएगा। भविष्य में मेट्रो, डीटीसी, क्लस्टर, इलेक्ट्रिक बसों के रीयल टाइम लोकेशन, ईवी चार्जिंग स्टेशन के अलावा आरटीवी, ग्रामीण सेवा और आटो आदि को भी वन दिल्ली एप से जोड़ा जाएगा। परिवहन मंत्री ने क्लस्टर और डीटीसी बसों के रीयल टाइम लोकेशन और ओपन ट्रांजिट डेटा को आधार बना कर एप बनानने की इच्छा रखने वाले स्टार्टअप का स्वागत किया है।
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। कैलाश गहलोत ने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल का हमेशा सपना रहा है कि जिस प्रकार से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम हुआ है, उसी प्रकार से दिल्ली में भी परिवहन के क्षेत्र में काम किया जाए। दिल्ली में वल्र्ड क्लास पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए। इसी को आगे बढ़ाते हुए आईआईआईटी दिल्ली के साथ परिवहन विभाग ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया है।
कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली नॉलेज डेवलपमेंट फाउंडेशन के द्वारा इस करार के लिए 6.1 करोड़ की फंडिंग दी जाएगी। इस सेंटर का नाम सेंटर फॉर सस्टेनेबल मोबिलिटी रखा गया है। इसके जरिए मोबिलिटी को सस्टेनेबल बनाने पर काम किया जाएगा। दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को वल्र्ड क्लास स्तर पर ले जाने का काम किया जाएगा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जब बात करते हैं तो हर बार एक ही सवाल पूछा जाता है कि बसें कब आ रही हैं। यदि अगर आप बड़े स्तर पर देखें तो दिल्ली की सड़कों पर बसें शामिल करना एक अहम और छोटा हिस्सा है। लेकिन जब तक दिल्ली की सड़कों पर बसें किस प्रकार से दौड़ेंगी, बसों की सर्विस किस प्रकार से मिल पाएगी, बसों की जानकारी यात्रियों को किस प्रकार से मिल पाएगी, बसों को और भरोसेमंद कैसे बना सकेंगे, बसें सही टाइम पर आ रही हैं, यात्रियों को बसों की जानकारी मिल पा रही है, जब तक इन चीजों को यात्री तक नहीं पहुंचाएंगे तब तक पूरे परिवहन सिस्टम को वल्र्ड क्लास नहीं कह सकते हैं। सेंटर फॉर सस्टेनेबल मोबिलिटी के जरिए कुछ काम वर्तमान के लिए करेंगे, जबकि कुछ काम भविष्य के लिए करेंगे। यह पूरा सेंटर ट्रिपल आईटी यूनिवर्सिटी में होगा। इसमें टेक्नोलॉजी और डेटा का विश्लेषण करके परिवहन विभाग को बेहतर बनाने पर काम किया जाएगा।