नहीं रहीं लता दीदी
*सुरों की सरगम की थीं हर लय की आवाज़*
*तुम से ही तो बुलंद थी संगीत की परवाज़*
सुरों की साम्राज्ञी ,हर दिल अज़ीज़, हिंदुस्तान की पहचान और अपनी मधुर आवाज से हर किसी को दीवाना बना देने वाली महान शख्सियत स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रहीं। लता मंगेशकर का वास्तविक नाम हेमा मंगेशकर था। उनका जन्म 28 सितंबर 1929 में इंदौर में हुआ था। लता दीदी के यूं हम सब को छोड़ जाने के बाद एक युग का अंत हुआ है। सुर कोकिला अपने संगीत के माध्यम से पूरे विश्व के बीच सदैव जीवित रहेंगी, उनकी आवाज हमारे दिलों को ऐसे ही धड़काती रहेगी।
92 साल की लता मंगेशकर ने 6 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली जहां वह पिछले 28 दिन से दाखिल थीं। लीजेंडरी सिंगर लता जी ने आखिर कोविड के सामने हिम्मत हार ही दी और हम सब को सदा सदा के लिए रोता छोड़ परलोक गमन कर गई।उनके निधन से पूरा बॉलीवुड जगत सदमे में है। देश के प्रधानमंत्री समेत अनेक दिग्गजों ने महान गायिका लता मंगेशकर जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।
उनके निधन से ना केवल भारत अपितु पूरे विश्व में शोक की लहर दौड़ गई है ।बॉलीवुड में उनका निधन एक अपूरणीय क्षति बताया जा रहा है। कोरोना होने के साथ-साथ उन्हें निमोनिया की शिकायत भी हो गई थी जिसकी वजह से उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी और 6 फरवरी 2022 रविवार की सुबह उन्होंने अपनी अंतिम सांसे लीं।
उनके करियर और जीवन से संबंधित बातें करें तो लता मंगेशकर भारत की सबसे अधिक लोकप्रिय गायिका रही जिन्हें भारत सरकार की तरफ से भारत रत्न दिया गया। उन्होंने आजीवन अविवाहित रहकर खुद को संगीत को समर्पित कर रखा था ।उनके पिताजी का नाम दीनानाथ मंगेशकर था जो स्वयं एक कुशल रंगमंच के गायक थे। उनसे ही लता जी ने संगीत की शिक्षा ली। उनके परिवार में लता जी की बहनें आशा ,उषा और मीना भी संगीत सिखा करती थी।
सत्य है कि प्रत्येक सफल इंसान को जीवन में अनेक संघर्षों से गुजरना पड़ता है ।ऐसा ही लता जी के साथ भी हुआ। बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए लता जी को भी बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा,बहुत जद्दोजहद करनी पड़ी, परंतु अपनी लगन, मेहनत और प्रतिभा के दम पर उन्होंने कामयाबी हासिल की।
लता मंगेशकर को राष्ट्र की आवाज, सेहराबदी की आवाज ,भारत कोकिला, स्वर साम्राज्ञी आदि नामों से भी जाना जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो लता मंगेशकर एक मैजिक वॉइस है जिन्होंने 30000 से भी ज्यादा गाने गाए।
अपने पिता की मृत्यु के बाद लता मंगेशकर ने ही अपने सभी छोटे भाई बहनों को संभाला, और घर की सारी जिम्मेदारी निभाई। 1945 में लता जी मुंबई आ गई। 1949 में उन्होंने अनेक हिट फिल्मों में गाने गाए और यहां से शुरू हुआ उनका सुहाना सफर।लता जी को सर्वाधिक गीत रिकॉर्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फिल्मी और गैर फिल्मी दोनों ही प्रकार के गाना गाने में लता जी को महारत हासिल थी फिल्मी जगत में उनकी एक अनूठी पहचान बनी हुई थी जो उनके चले जाने के बाद भी ऐसी ही रहने वाली है। उनके प्रशंसकों की संख्या अनगिनत है।उन्होंने अनेक प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया और सभी ने उनकी प्रतिभा को खूब सराहा। इनकी सुरीली आवाज की वजह से ही सैंकड़ों फिल्में ने खूब कमाई की। इनमें से कुछ फिल्में थी ,महल, बरसात ,बड़ी बहन ।
ओ सजना बरखा बहार आई जैसे गीतों से सबका दिल जीतने वाली लता दीदी की जितनी तारीफ की जाए कम ही है ।हर गीत में अपनी आवाज के जादू से जीवंतता भरने वाली लता जी ने युगल गीत भी गाएं हैं ।देशभक्ति गीत गाने में तो लताजी का कोई सानी ही नहीं है, “ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी” देश भक्ति गीत को सुनकर शायद ही ऐसा कोई जन होगा जिसकी आंखों से आंसू न बह निकले इस गाने को सुनकर सब अति भाव विभोर हो जाते हैं।
कुछ प्रसिद्ध फिल्मों के गानों में लता जी की आवाज ने अपना जादू बिखेरा। इन फिल्मों में अनारकली, राम लखन हिना, नागिन ,बरसात, सत्यम शिवम सुंदरम,मुगले आज़म, अमर प्रेम ,गाइड ,प्रेम रोग इत्यादि हैं।लता जी ने गीत ,भजन ,संगीत के हर क्षेत्र में अपनी कला का प्रदर्शन किया है ।कोई भी गीत चाहे वह शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो अथवा पाश्चात्य धुन पर हर गीत को लता जी की आवाज से जीवंतता मिलती थी और जिसके जादू से श्रोता उनकी ओर खींचे चले जाते थे।
पुरस्कारों की गिनती की बात करें तो लता जी को ना जाने कितने ही अवार्ड मिले। 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड लता जी के नाम है ।भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न 2001 लताजी को दिया गया ।इसके अलावा पद्म भूषण,पद्म विभूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, राजीव गांधी पुरस्कार, नूरजहां पुरस्कार ,महाराष्ट्र भूषण इस तरह के ना जाने कितने ही पुरस्कार दीदी ने अपने नाम किए हैं। उन का सबसे बड़ा पुरस्कार यही था कि उन्होंने न केवल पुरुस्कार जीते अपितु परलोक गमन के बाद भी हम सभी के दिलों में सदैव जीवित रहेंगी इससे बढ़कर पुरस्कार शायद ही किसी के जीवन में कोई अन्य होता हो।
उनके गाए हुए कुछ पसंदीदा गाने इस प्रकार हैं, हमको हमी से चुरा लो, ऐसा देश है मेरा, हो गया है तुझको तो प्यार सजना ,दुश्मन ना करे दोस्त ने वो काम किया है, ऐ मालिक तेरे बंदे हम ,प्यार हुआ इकरार हुआ ,आयेगा आयेगा आयेगा आनेवाला, मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां हैं ,कबूतर जा जा जा ,सुन साहिबा सुन, दीदी तेरा देवर दीवाना ,दिल तो पागल है, मेरे ख्वाबों में जो आए ,पंख होते तो उड़ जाती रे ,आ लौट के आजा मेरे मीत ,जिंदगी उसी की है, मन डोले मेरा तन डोले ,प्यार किया तो डरना क्या आदि आदि।
जीवन का अंत तो सभी का होता है परंतु चांद सूरज जैसा बनकर कोई कोई कोई चमकता है लता दीदी उन्हीं चांद तारों जैसी हैं जो सदा सदा संगीत और सुरों के फलक पर चमकती रहेंगी और हम सब को सदैव प्रेरित करती रहेंगी।
*जहां भी जाएगा रोशनी लुटाएगा*
*किसी चिराग का कोई मकान नहीं होता*
पिंकी सिंघल
अध्यापिका
शालीमार बाग दिल्ली