लाइफस्टाइल

चित्र आधारित लघु कथा ‘युद्धों का परिणाम’

रानी: मां,मां,देखो वो लोग शायद हमारी तरफ़ ही आ रहे हैं।

राम्या: बिटिया,डरो मत,तेरे बापू तो धर्म की भेंट चढ़ ही चुके हैं, अब हमारे पास खोने के लिए बचा ही क्या है।
रानी: मां,अगर उन्होंने छोटू के हाथ से ये रोटी छीन ली तो,मेरा भाई भूख से बिलबिलाएगा।
राम्या: बिटिया,ये लोग हमसे हमारा सब कुछ छीन सकते हैं,परंतु हमारे हाथों पर खींची लकीरों को नहीं।
रानी: मां,मैं कुछ समझी नहीं।
राम्या: बिटिया हमारे हाथों की लकीरें हमारी किस्मत से जुड़ी होती हैं,और हमारी किस्मत ऊपर वाले ने लिखी है जिसे कोई मनुष्य नहीं बदल सकता।इसलिए घबराओ मत।
रानी: हां मां, ऊपर वाला ही अब इस युद्ध के माहौल में हमारे खाने,रहने और सुरक्षा का ख्याल रखेगा।
राम्या: हां,बिटिया!!
पिंकी सिंघल
शालीमार बाग दिल्ली
Translate »