लाइफस्टाइल

संयुक्त परिवारों की सुंदरता

हर परिवार के अपने नियम और कानून होते हैं जिसके हिसाब से उस घर के सदस्यों को अपना जीवन व्यतीत करना होता है। नियम बनाने का तात्पर्य यह नहीं है कि घर के सदस्यों को किन्हीं बेड़ियों में जकड़ा जाता है। नियम और कानून इसलिए बनाए जाते हैं ताकि घर के सभी सदस्यों में आपसी तालमेल बना रहे और बिना किसी दिक्कत परेशानी के जीवन आगे बढ़ता रहे।
संयुक्त परिवार के नियम एकल परिवार के नियमों से थोड़े हटकर हो सकते हैं क्योंकि वहां सदस्यों की संख्या ज्यादा होने पर आपसी मतभेद होने के चांस भी एकल परिवारों की तुलना में ज्यादा हो सकते हैं।
 परंतु यदि बात संयुक्त परिवार से एकल परिवार में आकर रहने की होती है तो मुझे नहीं लगता कि कुछ मामूली सी परेशानियों को छोड़कर किसी को भी बहुत अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता हो। परिपक्वता भी तो कोई चीज होती है।एक परिवार से दूसरे परिवार में आने के बाद व्यक्ति स्वयं को वहां के अनुसार ढाल लेता है। हां ,यह अवश्य है कि उसे नए माहौल में ढलने में कुछ समय अवश्य लगता है जहां पहले उसे गिने-चुने चार या पांच लोगों के साथ तालमेल बिठाना पड़ता था, वहीं अब संयुक्त परिवार में आने के पश्चात सदस्यों की संख्या ज्यादा होने की वजह से उसे समन्वय स्थापित करने के लिए अधिक आत्मविश्वास, सहनशीलता और व्यापक दृष्टिकोण और बुद्धिमता की आवश्यकता पड़ती है।
मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि बच्चे केवल इन सब छोटी मोटी दिक्कत और परेशानियों की वजह से अलग रहना चाहते हैं।व्यक्तिगत स्वतंत्रता सभी को अच्छी लगती है परंतु व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अपने कुछ नुकसान भी हैं जिन्हें आज की जनरेशन के बच्चे भी भली प्रकार समझने लगे हैं और यही वजह है कि अब एक बार फिर से एकल परिवारों का स्थान संयुक्त परिवार लेने लगे हैं ।
आज की पीढ़ी के बच्चे भी चाहते हैं कि वे अपने सभी रिश्तों जैसे चाचा ,ताऊ और कजिंस वाले परिवार में रहें ,मस्ती करें,विभिन्न पारिवारिक मौकों को मिलकर सेलिब्रेट करें और इन सब के लिए वे काफी चीजों में समर्पण का भाव रखने से भी पीछे नहीं हटते हैं,और बस यही सुंदरता है संयुक्त परिवार की।
पिंकी सिंघल
अध्यापिका-शालीमार बाग, दिल्ली
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