होली मनाएं,परंतु मर्यादा का पालन भी करें
*होली के हुडदंग में कदापि न दीजे मर्यादा बिसार*
*प्रेम सद्भाव और उल्लास संग ही मनायें यह त्योहार*
हमारा देश भारत प्राचीन काल से ही मर्यादा जैसे विषयों को लेकर बहुत ही संवेदनशील रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि यहां हर छोटी बड़ी बात में मर्यादा का अत्यधिक ध्यान रखा जाता है और सामने वाले की भावनाओं की बेहद कद्र की जाती है। कोई भी उत्सव हो,पर्व हो अथवा त्यौहार हो, यहां प्रत्येक अवसर को इस प्रकार मनाया जाता है जिससे किसी की भावनाएं आहत ना हों और सभी मौकों को भी हंसी खुशी मनाया जा सके।
मेरी उपरोक्त पंक्तियों को पढ़कर शायद आप सभी समझ गए होंगे कि आज का मेरा यह आलेख किस दिशा में जाना चाह रहा है। जी हां ,आपने बिल्कुल सही समझा!!! आज मैं आने वाले पावन पर्व होली के विषय में आप सबसे कुछ बातें साझा करना चाह रही हूं ।
होली रंगों का त्योहार है और इसे रंगोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि इस रंग भरे उत्सव में हम सभी अपनी पुरानी दुश्मनी और बैर भूलकर एक दूसरे को गले लगा लेते हैं और जीवन की एक नई शुरुआत करते हैं ।हमारे हृदय से हर प्रकार की कलुषता हट जाती है और प्रेम भाव जागृत होने लगता है। हम सब मिल जुल कर रंगों का यह विशेष त्योहार मनाते हैं और प्राचीन भारतीय संस्कृति को पूरा पूरा सम्मान देते हैं।
परंतु त्योहारों की हंसी खुशी और उत्सव के माहौल में हमें यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि त्योहारों की भी अपनी एक मर्यादा होती है जिसे मद्देनजर रखते हुए ही हमें हर त्योहार को मनाना चाहिए। त्योहारों की खुशी में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जिन लोगों के साथ हम त्योहार मना रहे हैं वे लोग हमारे अपने हैं और उनके मान सम्मान और प्रतिष्ठा का पूरा पूरा ध्यान रखना भी हमारा कर्तव्य बनता है। त्योहारों की धूम में हमें कुछ ऐसा नहीं करना चाहिए जिसका हमें बाद में पछतावा हो और सामने वाले की इज्जत पर आंच आए।
आज के मेरे इस आलेख का सिर्फ और सिर्फ यही लक्ष्य और उद्देश्य है कि हमें त्योहारों की गरिमा का ध्यान रखकर ही उन्हें मनाना चाहिए।त्यौहार लोगों को करीब लाते हैं इसलिए हमें त्योहारों को मनाते समय उन लोगों का सम्मान अवश्य करना चाहिए जिनके साथ हम इन त्योहारों को मना रहे हैं।त्यौहार हम लोगों से हैं ना कि हम लोग त्योहारों से। अर्थात त्योहारों का वजूद हम लोगों से ही है ,हमारा वजूद त्योहारों से नहीं।
*पर्व हमारे हमको देखो कितना करीब हैं लाते*
*इसीलिए तो त्योहारों को हम इतने मन से मनाते*
यह बात तो आप भी मानते हैं ना कि अपने जीवन में खुशियां भरने के लिए ही हम सब लोग त्योहार मनाते हैं।इसलिए हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे रंग में भंग पड़ जाए। कई लोग त्योहारों की भीड़ भाड में कुछ ऐसे कृत्य कर डालते हैं जो किसी भी सूरत में शोभनीय नहीं होते।त्योहारों की आड़ में मर्यादा का उल्लंघन करने में ऐसे लोग जरा भी नहीं हिचकते। होली जैसे त्यौहार पर तो ऐसा सबसे अधिक होता है। जो लोग ऐसा गलत व्यवहार सहन करते हैं, वे लोग त्यौहार खराब ना हो, इस शर्म से अपना मुंह नहीं खोलते और बस इसी बात का फायदा उठा कर गलत लोग उत्सवों को गंदा कर डालते हैं।
होली जैसे मौकों पर कुछ लोग भांग के नशे का बहाना बनाकर भी जानबूझकर लड़कियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी करते हैं । ऐसा करकर वे अपने गलत मसूबों को अंजाम देते हैं जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए ।ऐसे लोगों को तो त्योहार मनाने से ही वंचित कर दिया जाना चाहिए और साथ ही उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया जाना चाहिए।
*गलत व्यवहार पर चुप अब बिल्कुल नहीं रहेंगें हम*
*त्योहारों की आड़ में कुछ अब गलत नहीं सहेंगें हम*
हम सभी जानते हैं कि होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है ,इसलिए ऐसे अवसरों पर उन लोगों की बुराइयों को तो बिलकुल इग्नोर नहीं करना चाहिए और उन्हें उनकी बुराई रुपी गलतियों की सजा भी मिलनी ही चाहिए।वैसे तो कोई किसी का त्यौहार खराब नहीं करना चाहता ,परंतु जब बात इज्जत ,मान और सम्मान पर आती है तो सब जायज है।
होली का पर्व अवश्य मनाएं, हंसी खुशी मिल जुलकर मनाएं, रंगों में सराबोर हो जाएं, परंतु त्योहार मनाते समय यह भी कभी नहीं भूलना चाहिए कि त्योहारों की मस्ती के साथ साथ हमें मर्यादा का भी बहुत ध्यान रखना है।
होली तो पर्व ही है आपसी मेल मिलाप और आनंद पाने का।हम सभी को होली जैसे पावन उत्सव को मनाते समय ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि होली के रंगों में रंग कर हम सभी का जीवन सुंदर,सरल,स्वस्थ, सरस और सुखी हो जाए,सबका कल्याण हो और हमारा राष्ट्र विकास व प्रगति के पथ पर अग्रसर हो,समाज से सभी प्रकार की बुराइयों का खात्मा हो जाए और संपूर्ण विश्व बंधुत्व की भावना के साथ मिलजुल कर एक नया इतिहास रचे।
हम कदापि यह ना भूलें कि हम भारतीयों की मर्यादा ही विश्व में हमारी सबसे बड़ी पहचान है जिसे हमें रंग,अबीर और होली के हुड़दंग के बीच किसी भी हालत में भूलना नहीं है,अपितु,इसके साथ ही हमें होली और अन्य सभी पर्व मनाने हैं।
बुराई पर अच्छाई को हर हाल में जीत दिलानी है
इज़्ज़त मान सम्मान से विश्व के दिल में जगह बनानी है
पिंकी सिंघल
अध्यापिका, शालीमार बाग दिल्ली