चहक उठे बच्चे,महक उठे स्कूल
वाकई बहुत ही सुखद प्रतीत होता है यह देखकर कि कोरोना का दुष्प्रभाव और असर अब बहुत कम दिखाई पड़ रहा है ।बहुत ही हर्ष का विषय है कि वैश्विक महामारी कोरोना जिसने पिछले वर्ष बेहिसाब तबाही मचाई थी का असर अब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। बड़ी ही राहत की बात है कि लोगों के मन से कोरोना का डर धीरे धीरे कम हो रहा है। हां यह जरूर है कि हम सभी अभी भी कोरोना से बचने के उपायों में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं।नियमित रूप से बार-बार हाथ धोना ,मास्क और सैनिटाइजर का समय समय पर इस्तेमाल करना सामाजिक दूरी संबंधी नियमों का पालन करना, इन सभी का बाकायदा ध्यान रख रहे हैं जो हमें कोरोना से बचा रहा है।
साथ ही साथ सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावी कदम भी इस दिशा में अत्यंत सार्थक सिद्ध होते नजर आ रहे हैं। बहुत ही कम समय में सरकार ने इस वैश्विक बीमारी या यूं कहें वैश्विक महामारी पर विजय प्राप्त की है, जिससे यह साबित होता है कि हमारी सरकार के लिए अपने देश से बढ़कर और कुछ नहीं है।विश्व स्तर की बात करें तो प्रत्येक राष्ट्र ने अपने अपने स्तर पर जितना संभव बन पड़ा उतने प्रयास किए और जनशक्ति को इस बीमारी से दूर रखने के बेशुमार प्रयत्न भी किए, जिसमें उसने काफी हद तक विजय भी हासिल की।यही तो असल मायनों में मानवता है।
कोरोना के असर को कम देखते हुए ही विभिन्न राष्ट्रों की सरकारों ने अपने-अपने देशों में शिक्षा रूपी मंदिरों अर्थात विद्यालयों को दोबारा खोलने का निश्चय किया था।अभी कुछ समय पहले से एक बार फिर सभी देशों के अधिकतर राज्यों ने अपने अपने स्कूल खोलने के निर्देश जारी किए थे।
हमारे देश भारत की राजधानी दिल्ली में भी पिछले कुछ दिनों से सभी सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थान और स्कूल खोल दिए गए हैं जिसकी वजह से शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास एक बार फिर से किया जा रहा है। शिक्षक और छात्र तथा साथ ही साथ सरकारी मदद के सहयोग से शिक्षा को एक नया आयाम देने की कोशिश की जा रही है।बहुत ही अच्छा लगता है यह देखकर कि इतने लंबे अंतराल के बाद जब बच्चे स्कूल आ रहे हैं तो स्कूल स्कूल की तरह नजर आ रहे हैं ,एक अलग ही प्रकार का सुख महसूस होता है यह देखकर कि बच्चे स्कूल में आने के लिए कितने उत्साहित हैं।
पेशे से अध्यापिका होने की वजह से मुझे इस बात की बहुत ही खुशी है कि मेरे और मेरे जैसे अनेक अन्य विद्यालयों में बच्चे भारी संख्या में प्रतिदिन स्कूल आ रहे हैं और पढ़ाई में रुचि भी दिखा रहे हैं जिसका सीधा संबंध शिक्षा के स्तर से है।अगर इसी प्रकार बच्चे शिक्षा में रुचि दिखाते रहे और प्रतिदिन नियमित रूप से विद्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब कोरोना महामारी की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में जो खाई उत्पन्न हुई है, वह बहुत जल्दी भर जाएगी और एक बार फिर हमारी शिक्षा का स्तर पहले से कहीं अधिक ऊंचा उठेगा जिसका संपूर्ण श्रेय सामूहिक रूप से हमारे छात्रों,अध्यापकों एवं हमारी सरकार के ईमानदार पूर्ण प्रयासों को जाता है,जिन्होंने शिक्षा के ढांचे को यथावत ना छोड़कर उसमें सुधार करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी और हर संभव प्रयास किया कि बच्चों को सुरक्षित और दबाव मुक्त वातावरण में शिक्षा दी जा सके तथा साथ ही साथ शिक्षकों के लिए भी सरकार ने बहुत ही अच्छी योजनाएं बनाई ताकि शिक्षक भी भयमुक्त वातावरण और बिना किसी दबाव में बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकें जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही मॉड के जरिए निरंतर रूप से जारी रह पाए।
सच ही कहा गया है कि बिना बच्चों के विद्यालय प्रांगण उस रेगिस्तान के समान है जहां केवल रेत ही रेत नजर आती है। बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आना चाहते हैं और अध्यापकों द्वारा आयोजित गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, कक्षा कार्य और गृह कार्य में अत्यधिक रूचि दिखाने वाले छात्र घर पर रुकना ही नहीं चाहते जो कि शिक्षा के क्षेत्र के लिए एक शुभ संकेत माना जा सकता है।शिक्षा की इस मुहिम में अध्यापक भी पीछे नहीं हैं,वे भी एक से बढ़कर एक रुचिकर गतिविधि बच्चों के साथ साझा कर रहे हैं और अपनी मनोरंजक और सरल सहज शिक्षण तकनीकों और विधियों के माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे हैं जिससे भारी संख्या में बच्चे प्रतिदिन विद्यालय पहुंच रहे हैं और साथ ही साथ स्कूलों में दाखिले में भी वृद्धि हो रही है।
बस ईश्वर करें अब यह सिलसिला यूं ही जारी रहे।बच्चों की चहक से विद्यालय का वातावरण कितना खुशनुमा और आनंदमय हो जाता है इसका अनुभव मैंने किया है और मुझ जैसे अनेक अध्यापकों के भी अनुभव बिल्कुल इसी प्रकार के हैं। बच्चों की चहक से पूरा विद्यालय गुंजायमान होता है तो लगता है जैसे मंदिर में असंख्य घंटियां एक साथ बजकर यह संदेश दे रही हैं कि बस यही पल है ,यही वह क्षण है जब सभी के मन की मुरादें पूरी होने वाली है और शिक्षा का फल हम सभी को अति शीघ्र मिलने वाला है। शायद हमारे बच्चों और हम सब के इन्हीं सार्थक प्रयासों की वजह से ईश्वर भी हमारा साथ दे रहे हैं और कोरोना महामारी को दिन प्रतिदिन हमसे दूर और को बहुत दूर करते जा रहे हैं।
पिंकी सिंघल
अध्यापिका-शालीमार बाग, दिल्ली