प्रियंका वर्मा पहले प्रयास में न्यायायिक दंडाधिकारी एवं न्यायाधीश बनीं
कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पांच वर्षीय बीएएलएलबी में वर्ष 2014 में प्रवेश लेकर 2019 में विश्वविद्यालय में स्वर्ण पदक विजेता प्रियंका वर्मा ने प्रथम प्रयास में ही मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में 22वां रैंक प्राप्त किया है। वर्ष 2020-2021 में पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से एल.एल.एम. किया। पहले ही प्रयास में यूजीसी नेट और जेआरएफ उत्तीर्ण किया। प्रियंका वर्मा के दादा कली राम खिप्पल एक सैनिक थे, जबकि पिता डॉ. अशोक कुमार वर्मा हरियाणा पुलिस में उप निरीक्षक हैं और अब वे हरियाणा राज्य स्वापक नियंत्रण ब्यूरो में जागरूकता कार्यक्रम एवं पुनर्वास प्रभारी के रूप में नियुक्त हैं। उनकी माता सुषमा वर्मा विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में नियुक्त हैं। प्रियंका वर्मा को बधाई देने के लिए दादी मूर्ति देवी, बुआ कमलेश वर्मा, चाचा विनोद कुमार वर्मा, चाची अंजू एवं गीता परिवार सहित उनके निवास पुलिस लाईन में धूमधाम से पहुंचे और शुभकामनाएं दी। प्रियंका वर्मा से हुए वार्तालाप में उन्होंने कहा कि चयन का श्रेय भगवान की कृपा, माता- पिता का आशीर्वाद, अध्यापकों का मार्गदर्शन, भाई-बहन और दोस्तों का सहयोग है। किसी व्यक्ति की सफलता का श्रेय उसके समस्त परिवार के सहयोग और त्याग का परिणाम होता है। पिता डॉ अशोक कुमार वर्मा ने वार्तालाप के दौरान बताया कि उन्होंने बच्चों को बहुत पहले कह दिया था कि वे केवल उन्हें शिक्षा और साधारण सुविधाएं ही दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने उनके लिए किसी भी प्रकार का धन संचय नहीं किया है और उन्हें अपने बल पर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है। वे केवल सीमित भौतिक सुख सुविधाएं ही दे सकते हैं और सादा जीवन जीने में विश्वास करते हैं। यही कारण है कि वे अधिकतर साईकिल पर चलते हैं। प्रियंका वर्मा की कामयाबी की खबर सुन कर उनके निवास पर बड़ी संख्या में बधाई देने वाले महानुभाव पहुंचे। बधाई देने वालों में न्यायाधीश के माता-पिता, बृजेश शर्मा, डॉ. भारतेन्दु हरीश, डॉ. अरुण धीमान, दीपक चिब सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।