हरियाणा

जागरुकता से ही लगेगा सडक हादसों पर अंकुश : उप पुलिस अधीक्षक यातायात  

कुरूक्षेत्र (हितेश सचदेवा)। भारतवर्ष में इतनी मौतें बिमारियों से नहीं होती जितनी कि सडक दुर्घटनाओं के कारण होती हैं। आंकडों के आधार पर सडक दुर्घटनाओं के कारण भारत वर्ष में हर साल करीब 4.5 लाख सडक हादसों में करीब 1.50 लाख लोगों की मौत हो जाती है। सडक दुर्घटनाओं के मामले में भारत अग्रिम देशों में शामिल हैं। हादसों का मुख्य कारण है यातायात के नियमों के प्रति जागरुकता न होना।

इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उप पुलिस अधीक्षक यातायात श्री ओम प्रकाश ने बताया कि देश में प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है और लोगों को इस सार्वजनिक मुद्दे से अवगत होने की जरूरत है। अकेले पुलिस ही सड़क दुर्घटनाओं को कम नहीं कर सकती जब तक देश का हर नागरिक जागरूक ना हो। हमें सड़क दुर्घटना के मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि ज्यादातर मौतें लापरवाही के ही कारण होती हैं। सड़क दुर्घटनाओं के कई कारण हो सकते हैं। ड्राइवर या किसी अन्य व्यक्ति की लापरवाही सड़क दुर्घटना का मुख्य कारण है। लोग उचित रूप से यातायात निर्देशों और नियमों का पालन नहीं करते हैं और इसलिए इसका परिणाम गंभीर चोटों और मौतों के रूप में सामने आता है। हम आमतौर पर उन लोगों को देख सकते हैं जो ट्रैफिक सिग्नल तोड़ते हैं, नशे में गाड़ी चलाते हैं, सीट बेल्ट नहीं पहनते हैं। हर व्यक्ति जो सड़कों का उपयोग कर रहा है, सड़क सुरक्षा की समस्या उससे संबंधित है। सड़कों पर सुरक्षा के लिए सख्त नियमों और कानूनों की ज़रूरत है। ड्राइविंग या वाहन का उपयोग करते समय प्रत्येक व्यक्ति को निर्देश और नियमों का पालन करना चाहिए। इन दिनों युवाओं के बीच बाइक क्रेज बढ़ रहा है इसलिए उन्हें नियमों का पालन करना चाहिए जैसे हेलमेट पहनना और गति सीमा पर अंकुश रखना। कार का उपयोग करते समय हमें सीट बैल्ट का इस्तेमाल करना चाहिए और गति सीमा का पालन करना चाहिए। नशे में ड्राइविंग या तेज ड्राइविंग दुर्घटनाओं का मुख्य कारण होता है। हमारा जीवन हमारे हाथों में है और इस प्रकार सड़क का उपयोग करते समय नियम और उचित निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।

            जिस प्रकार हम अपने मोबाईल को कवर या स्क्रीन गार्ड लगाना नहीं भूलते उसी प्रकार दोपहिया वाहन पर चलते समय हमेशा हैल्मैट रखें। मोबाईल या डिश टी.वी. का रिचार्ज समय पर करवाते हैं परन्तु बाईक या गाडी का इंश्योरेन्स व प्रदूषण सर्टिफिकेट लेना भूल जाते हैं। हम बाजार, चौंक-चौराहे या कैन्टीन मे घण्टों बातचीत में बिता सकते हैं पर रैडलाईट पर 02 मिनट रुकना मुश्किल लगता है। इन सभी बातों को यदि हम अपने रोज के व्यवहार मे शामिल कर लें तो हर रोज बढ रहे सडक हादसों को कम किया जा सकता है। 

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