पित्रों को मोक्ष दिलवाते हैं सिद्धेश्वर महादेव
उज्जैन के सिद्धनाथ क्षेत्र में सिद्धेश्वर महादेव के नाम से 11वें महादेव विराजमान हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवदारु वन में ब्राह्मण एकत्र होकर अपने लिए सिद्ध प्राप्त करने हेतु अनेक प्रकार से तप करने लगे। परन्तु उन्हें सिद्धि प्राप्त नहीं हुई। तब उनका तप से विश्वास उठ गया और वे नास्तिक हो गए। तब आकाशवाणी हुई कि आपने स्वयं के स्वार्थ के लिए एक दूसरे से स्पर्धा करते हुए तप किया है इसलिए तुम्हें सिद्धि प्राप्त नहीं हुई। आप महाकाल वन में जाओ और वहां वीरभद्र के पास स्थित लिंंग की पूजा करो। उसकी पूजा करने से सनकादि को सिद्धि प्राप्त हुई। राजा वसुमति को खडग़ सिद्धि, हैहय को आकाशगमन की सिद्धि, कृतवीर को हजार घोड़े, अरुण को अदृश्य होने की ऐसी कई सिद्धियां प्राप्त हुई हैं, उस लिंग की पूजा से तुम्हें भी सिद्धि प्राप्त होगी।
तब वे ब्राह्मण महाकाल वन में आए। उन्हें उस लिंग के दर्शन से सिद्धि प्राप्त हुई। जो मनुष्य छ: महीने तक नियम पूर्वक सिद्धेश्वर का दर्शन करता है, उसे वांछित सिद्धि प्राप्त होती है। कृष्णपक्ष की अष्टमी और चतुर्दशी को जो सिद्धेश्वर के दर्शन करता है, उसे शिवलोक प्राप्त होता है। संक्रांति, सोमवार और ग्रहण पर जो सिद्धेश्वर की पूजा करता है, उसके सब पितर तर जाते हैं।