धर्म-कर्म

लोकपालेश्वर महादेव के दर्शन से होती है स्वर्ग लोक की प्राप्ति

उज्जैन के हरसिद्धि द्वार पर स्थित लोकपालेश्वर महादेव 84 महादेवों में 12वें नम्बर के महादेव हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन युग में हिरण्यकश्यप की छाती से अनके दैत्य पैदा हुए। उन्होंने सारी पृथ्वी को उथल-पुथल कर दिया। यज्ञ नष्ट हो गए। तब लोकपाल डरकर भगवान विष्णु के पास गए और अपनी रक्षा हेतु निवेदन किया कि भगवन आपने पहले भी नमुचि, वृषपर्वा, हिरण्यकशिप, नरक, मुर आदि से हमारी रक्षा की है। अब इन राक्षसों से भी हमारी रक्षा करो। तब विष्णु उन्हें मारने के लिए आगे बढ़े। इस पर दैत्य समुद्र में छिप गए। वे रात्रि को बाहर आकर उत्पात मचान लगे। स्वर्ग में जाकर उन्होंने इन्द्र को, दक्षिण दिशा में धर्मराज को, पश्चिम दिशा में वरुण को और उत्तर में कुबेर को जीत लिया। तब देवता और लोकपाल विष्णु के पास गए। विष्णु जी ने समझाया कि महाकाल वन में जाओ। पंचमुद्रा-भस्म, घण्टा, नूपुर, खट्वांग, कपाल आदि धारण कर ब्रह्मा जी को साथ लेकर लोकपाल यहां आए और उन्होंने एक बड़ा लिंग देखा। उसकी स्तुति करने पर उसमें से भयंकर ज्वालाएं निकली, जिससे दैत्य भस्म हो गए। उसके बाद इस लिंग का नाम लोकपालेश्वर हो गया। तब देवता लोकपालों के साथ अपने अपने स्थान को लौट गए। इस शिवलिंग का सोमवार अष्टमी, चतुर्दशी और संक्रांति को दर्शन करने से स्वर्गलोक प्राप्त होता है।

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