धर्म-कर्म

स्वर्ग की सीढ़ी हैं इन्द्रद्युम्नेश्वर महादेव

उज्जैन के मोदी की गली क्षेत्र में स्थित इन्द्रद्युम्नेश्वर महादेव 84 महादेवों में 15वें नम्बर के महादेव हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में इन्द्रद्युम्न नामक राजा था। उसने घोर तपस्या से स्वर्ग प्राप्त किया। परन्तु पुण्य के क्षीण होने पर वह पुन: पृथ्वी पर आ गया। उसने सोचा कि केवल पुण्य का संचय रहने तक ही स्वर्ग का वास मिलता है। मुझे पुन: तपस्या करनी चाहिए। ऐसा सोच कर वह हिमालय पर गया। वहां उसे मार्कण्डेय मुनि मिले। उसने उन्हें प्रणाम कर पूछा महामुनि, कौन सा तप करने से स्थिर कीर्ति प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि राजन, महाकाल वन में जाओ। वहां कलकलेश्वर लिंग के वामभाग में एक लिंग है। उसकी पूजा करने से अक्षय कीर्ति प्राप्त होती है।
तब इन्द्रद्युम्न ने महाकाल वन में आकर इस लिंग की अर्चना की। उससे प्रसन्न होकर आकश स्थिति देवताओं ने उससे कहा कि तुम्हें अक्ष्य कीर्ति प्राप्त होगी। यह लिंग तुम्हारे नाम से इन्द्रद्युम्नेश्वर कहलाएगा। जो मनुष्य चतुर्दशी को इस लिंग की पूजा करता है, उसे स्वर्ग प्राप्त होता है।

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