धर्म-कर्म

सभी कार्यों को पूर्ण करते हैं ईशानेश्वर महादेव

उज्जैन के मोदी की गली क्षेत्र में स्थित ईशानेश्वर महादेव 84 महादेवों में 16वें नम्बर के महादेव हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय तुहुण्ड नामक राक्षस ने देवताओं को जीत लिया। इन्द्र के ऐरावत हाथी और उच्चै: श्रवा घोड़े को अपने अधीन कर लिया। तब देवताओं ने एकत्र होकर इस विपदा से उबरने का विचार किया। इसी समय नारदजी वहां उपस्थित हो गए। देवताओं ने उनसे अपने कष्ट का निवेदन किया। तब नारदजी ने ध्यान करके बतलाया कि महाकाल वन में जाओ। वहां इन्द्रद्युम्नेश्वर के पीछे ईशानेश्वर का लिंग है, उसकी आराधना से मन वांछित फल मिलता है। ईशान कल्प में भी ईशानेश्वर का पूजन करने से मुनियों को शिवलोक प्राप्त हुआ था। तब देवताओं ने जाकर ईशानेश्वर की आराधना की। तब उस लिंग से भयंकर ज्वाला उत्पन्न हुई, जिससे तुहुण्ड अपनी सेना साहित दग्घ हो गया। तब देवताओं को अपना लोक प्राप्त हो गया। जो मनुष्य प्रतिदिन ईशानेश्वर का दर्शन करते हैं, उनके सब कार्य सिद्ध होते हैं।

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