दूषित पेयजल समस्या को लेकर शालीमार बाग से पीतमपुरा तक जुलूस निकाला
नई दिल्ली। तिलकराज कटारिया नेता सदन उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के द्वारा जनता को दी जा रही सुविधाओं की हवा-हवाई घोषणाओं को उनकी पांच साल की नाकामियों पर पर्दा डालने की चाल हैं।
कटारिया ने शालीमार स्थित यू एण्ड वी ब्लाक की रेड लाईट से पीतमपुरा स्थित जल बोर्ड आफिस तक एक जलूस का नेतृत्व किया। जलूस में लोग गंदे पानी की बोतलें और मुंह पर कपड़ा बांधकर प्रचंण्ड़ प्रदर्शन करते हुये केजरीवाल सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थें।
कटारिया ने जलूस के दिल्ली जल बोर्ड ऑफिस, पीतमपुरा पंहुचने, पर जनसभा को संबोधित करते हुये कहा कि यदि दिल्ली सरकार में राजनैतिक नैतिकता है तो वह गंदे पानी और दूषित हवा के विषय में श्वेत पत्र जारी करें।
कटारिया ने जनता से कहा है कि हवा और पानी यह दोनों चीजें जीवनदायिनी है लेकिन केजरीवाल ने इन दोनों को ही जहरीला बनाने के साथ ही, इनके लिए सारी जिम्मेदारी का ठीकरा पड़ोस की सरकारों और जनता के सर फोड़ रहे है। आड और ईवन के नाम पर सारी दिल्ली की व्यापारिक और आफिसों की व्यवस्था को तहस नहस कर दिया, करोड़ो रूप्ये खर्च कर दिये और लेकिन प्रदूषण चक्र दिल्ली की जनता की सांसों को लगातार कम कर रहे है।
दिल्ली जल बोर्ड के उतरी दिल्ली नगर निगम द्वारा पीने के पानी की जलशुद्धि नापाने के लिए जो नमूने लिए गये उनमें भी 134 नमूने अशुद्ध एवं पीने के लिए अयोग्य पाये गये। सवाल यह नही की पाने के पानी के कितने नमूने फेल हुये, सवाल यह है कि इनके पीने से कितने लाख आदमी बीमार हुये। गंदे पानी सप्लाई का दूसरा पहलू यह है कि यह ज्यादातर मलीन बस्तीयों में सप्लाई किया जा रहा है। जहां के निवासी इसके पीने से बीमार ही नही पड़तें बल्कि उनकी रोजी रोटी पर भी बुरा असर पड़ता है।
दिल्ली से ग्रीन टैक्स के रूप में 1174 करोड़ इकत्र किये गए। परन्तु प्रदूषण को नियत्रिंत करने के समुचित उपाय नही किये गए-1174 करोड़ में से 20 प्रतिशत खर्च किये गए। झूठे विज्ञापनों के माध्यम से दिल्ली को गुमराह किया जा रहा है। आड ईवन के 15 दिनों मे चैराहों पर-आम आदमी कार्यकर्ताओं को 700 प्रतिदिन के हिसाब से एक चैहारें पर 700 प्रतिदिन खर्च करना- यह पैसे का दुप्रयोग- किया जा रहा है।
मौहल्ला क्लिनिक पर भी दुप्रयोग खर्च हो रहा है। दिल्ली मंत्रिमडंल के लोग अपने परिवारों के ईलाज दिल्ली से बाहर करवाते है- आर.टी.आई से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 50 लाख रूपये अपने परिवार के इलाज पर खर्च करना-मोहल्ला क्लिनिक की पोल खुल रही है।
दिल्ली में एक दिशाहीन सरकार है, जो केवल घोषणाएं करती है, पर प्रत्यक्ष कुछ नही करती। दिल्ली की सरकार जनता के सामने बेनकाब हो चुकी है। जब यह कुछ करती ही नही है, तो इसे सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार नही है। और इसे त्यागपत्र सौपना चाहिये।