विहिप ने की वेब जगत के लिए राष्ट्रीय नियामक बोर्ड बनाने की मांग
नई दिल्ली। वेब-जगत(www) के बढ़ते दुष्प्रभाव से बचने हेतु विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने उसे समाज व देश हित में नियंत्रित करने के लिए एक वेब-जगत नियामक बोर्ड के गठन की मांग की है। विहिप के केन्द्रीय महा-मंत्री श्री मिलिंद परांडे ने इस सम्बन्ध में एक पत्र आज केन्द्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर को भेजा है।
पत्र में कहा गया है कि आज का युग इंटरनेट का युग है तथा विश्व कि सभी अच्छी-बुरी जानकारी व हर प्रकार का मनोरंजन आज वेब जगत में सरलता से उपलब्ध है जिसे कोई भी व्यक्ति जगत के किसी भी कोने में बैठ कर आसानी से उपयोग कर सकता है। यह वेब जगत जहां ज्ञान, सूचनाओं, जानकारियों, उपलब्धियों तथा समाचारों का सुगम व त्वरित उपलब्ध माध्यम है वहीँ इसमें अनेक विकृतियाँ भी हैं।
वेब-जगत के दुष्प्रभावों का जिक्र करते हुए पत्र में कहा गया है कि इस के माध्यम से संसार के अनेक अधर्मों, पापों, अपराधों, दुष्कर्मो, व्यसनों, दुराचारों के साथ आतंकवाद, साम्प्रदायिकता, विद्वेष तथा देश-द्रोह तक को प्रोत्साहन मिलता है तथा धार्मिक सामाजिक व राष्ट्रीय मानविन्दुओं का उपहास उड़ाया जाता है। नन्हे-मुन्ने बच्चे, किशोर व युवा इसके आसानी से बुरी तरह शिकार बनते देखे गए हैं। इसके कारण ही अनेक लोग अपने धर्म पथ से विमुख हो कर देश, धर्म, समाज व न्याय व्यवस्था के ही नहीं बल्कि स्वयं के भी जानी दुश्मन बनते देखे गए हैं।
मिलिंद परांडे ने कहा है कि इस वेब जगत में असंख्य वेब साइट्स, वीडियो, वेब सिरीजें, एप्लीकेशन, टिक-टॉक इत्यादि 24X7 चलते रहते हैं। इन सभी के गुण-दोष दोनों ही हैं। किन्तु इनकी समालोचना या सार-सम्भाल करने वाला कोई नहीं हैं। ये पूरी तरह से अनियंत्रित निरंकुश अव्यवस्था का हिस्सा हैं। जिस प्रकार फिल्मों को प्रमाणित करने के लिए फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड है तथा टीवी सीरियलों को भी उनके प्रसारण पूर्व बारीकी से जांचा-परखा जाता है। इस प्रकार की कोई व्यवस्था इस सम्पूर्ण वेब जगत पर लागू नहीं होती। विश्व हिन्दू परिषद ने मांग की है कि वेब जगत के दोषों के निवारण तथा उसे समस्त भारत-वासियों के लिए सर्वथा उपयोगी बनाने हेतु भारत से अपलोड होने वाले या भारत में दिखाए जाने वाली समस्त वेब जगत की सामग्री की जांच व प्रमाणन की उचित व्यवस्था हो। इसके लिए एक वेब जगत नियामक बोर्ड बनाया जाए जिससे इसके दोषों को दूर कर सभी के लिए उपयोगी बनाया जा सके।
भवदीय