राष्ट्रीय – Apni Dilli https://apnidilli.com Hindi News Paper Thu, 22 Aug 2024 12:53:39 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://apnidilli.com/wp-content/uploads/2023/09/cropped-logo-1-32x32.jpg राष्ट्रीय – Apni Dilli https://apnidilli.com 32 32 डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित “केदार से कैलाश तक, आरंभ” पुस्तक का लोकार्पण https://apnidilli.com/23947/ Thu, 22 Aug 2024 12:53:38 +0000 https://apnidilli.com/?p=23947 नई दिल्ली। डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित “केदार से कैलाश तक, आरंभ” पुस्तक का लोकार्पण यहां आयोजित एक कार्यक्रम में किया गया। पुस्तक का लोकार्पण डायमंड बुक्स के चेयरमैन नरेन्द्र कुमार वर्मा , लेखक दीपक, वरिष्ठ पत्रकार अमित कुमार, सुरेखा तिवारी, अर्चना और प्रदीप कुमार और मास्टर मानशी ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर श्री वर्मा ने लेखक को इतनी बेहतरीन किताब लिखने के लिए बधाई देते हुए कहा कि पाठक “केदार से कैलाश तक ” को पढ़ते हुए केदार की यात्रा पर जाते हैं। जो इस किताब की सबसे बड़ी खासियत है।

उन्होंने कहा कि किताब लिखना बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात है पाठक को शब्दों के रास्ते जिस मंजिल पर लेखक लेकर जाना चाहत है वो उसे (पाठक) को पहुंचा दे। दीपक जी की लेखनी यह काम करती है। मैं दीपक जी को बधाई देता हूं और उम्मीद कर हूं कि उनकी लेखनी से और बेहतरीन किताबे पाठकों को पढ़ने को मिलेंगी।

लेखक ने किताब लिखने का उद्देश्य और इसके रचना कर्म पर विस्तार से चर्चा की। अमित कुमार ने कहा कि लेखक ने किताब के माध्यम से ज्योतिर्लिंगों के बारे में जो जानकारी दी है वह रोमांचित करने वाला है। इस किताब को पढ़ते हुए महसूस होता है कि दीपक जी ने बहुत शोध के बात किताब लिखी है। मेरा तो मानना है कि जो लोग कैलाश की यात्रा पर जाना चाहते हैं उन्हें यह किताब एक बार जरूर पढ़नी चाहिए। बहुत सी जानकारी इस किताब से मिलेंगी।

दीपक कहते हैं कि पूरे भारतवर्ष, हिन्दू धर्म और भारत की संस्कृति में शिव का स्थान अद्वितीय है और उनकी विस्तृत पूजा-अर्चना की जाती है। यह पुस्तक, युवा पीढ़ी को भगवान शिव के धामों, विशेषकर ज्योतिर्लिंग से परिचित कराने का मेरा प्रयास है, जिसे एक दशक से अधिक समय की यात्रा में पूरा किया गया है। दोस्ती और प्यार के रूप में, यह पुस्तक आपको ज्योतिर्लिंगों और शिव के अन्य महत्वपूर्ण धामों तक ले जाएगी।

उन्होंने कहा कि भारत भौगोलिक रूप से विशाल और आध्यात्मिक रूप से अनंत है और मैं,  महसूस करता हूँ कि भारत का गौरवशाली अतीत और संस्कृति को देखने, जानने और समझने के लिए एक जीवन पर्याप्त नहीं है। भारत में मंदिर, अधिकांश लोगों के लिए, जिसमे मैं भी सम्मिलित हूँ, शक्ति, प्रेरणा और जादुई परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण स्रोत थे, हैं और रहेंगे।

उन्होंने कहा कि मैं एक शौकीन यात्री हूँ और मुझे इस महान देश भारत के इतिहास, संस्कृति और अतीत की खोज में गहरी दिलचस्पी है। पिछले तीन दशकों में, मैंने ज्योतिर्लिंगों, धामों, शक्तिपीठों, हिंदू तीर्थों और विभिन्न धर्मों के अनगिनत धार्मिक महत्व के स्थलों के दर्शन किये हैं। उम्मीद करता हूं कि यह किताब पाठकों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा को बढ़ाने में मदद करेगी।

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धरती कहे पुकार के बहुत हो गया, प्रकृति से छेड़छाड़ अब और नहीं अब और नहीं लेखक : डॉ. अशोक कुमार वर्मा https://apnidilli.com/23616/ Tue, 04 Jun 2024 06:27:23 +0000 http://apnidilli.com/?p=23616 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष लेख

वर्ष 1976 में अपनाए गए 42वें संविधान संशोधन के द्वारा नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध किया गया है। संविधान के भाग IV में सन्निहित अनुच्छेद 51 ‘क’ मौलिक कर्तव्यों के बारे में है। जहां पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण की रक्षा करें। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-ए (जी) के अनुसार “जंगलों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा।” आज बड़े आश्चर्य की बात है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकार तो स्मरण रहते हैं लेकिन कर्तव्यों के बारे में सदैव चुप्पी साधे बैठा रहता है। लोग अपने झमेलों में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें इस बात से कोई लेना देना नहीं कि मेरे आस-पास क्या घटित हो रहा है। लोगों की यह भावना कि “मुझे क्या” सबसे बड़ी गंभीर समस्या है।

अभी मई और जून के माह में सभी समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर बढ़ रहे तापमान का ही वर्णन मिल रहा था। लोग गर्मी के कारण बेहाल हो गए तो पशु और पक्षियों के जीवन पर बन आई थी। ग्लोबल वार्मिंग एक ज्वलंत समस्या न केवल भारत की है अपितु संपूर्ण विश्व की बन गई है। मानव अपने विनाश को स्वयं आमंत्रित करने पर उतारू है। आज बेमौसम बरसात बेमौसम आहार-विहार और बेमौसम की उपज मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खिलवाड़ बन गई है। भौतिकतावाद के युग में मानव मानव न होकर मशीन बन गया है। अधिक भौतिक सुखों की चाहत उसके जीवन में विष की भांति शनै शनै नाश की ओर प्रशस्त कर रही है। विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ विनाश का द्योतक है। धरती पर अवैध निर्माण और अधिग्रहण प्रकृति से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है। यह सत्य है कि मनुष्य विकास के पथ पर अग्रसर है लेकिन यह भी सत्य है कि विकास की अंधी दौड़ में मनुष्य न केवल नैतिक मूल्य भूल रहा है अपितु पर्यावरण के साथ भी खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहा। मनुष्य विशेष रूप से आज का युवा एक ही रात में संसार की हर वस्तु प्राप्त करने को आतुर है। भगवान ने अच्छा किया कि मनुष्य के पंख नहीं लगाए। यदि ऐसा होता तो वो आकाश को भी पृथ्वी की भांति प्रयोग में लाता।

  साधारण भाषा में पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार करना, उसकी रक्षा करना और उसे बनाए रखना ही पर्यावरण संरक्षण है। आज प्राय: देखने में आता है कि लोग पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ साथ बढ़ रहे तापमान को और अधिक बढ़ाने में जाने अनजाने में योगदान दे रहे हैं। आज किसी भी सरकारी, निजी, सार्वजनिक स्थान पर हम देखते हैं कि लोग कूड़े कर्कट के ढेर को आग लगाकर अपने आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ करने का प्रयत्न करते हुए मिलेंगे जबकि ऐसा करके वे वातावरण को और अधिक प्रदूषित करने के साथ साथ तापमान को बढ़ाने में योगदान दे रहे होते हैं। प्राय: सार्वजनिक स्थानों पर जहां पेड़ पौधे अधिक होते हैं वहां पत्तों के ढेर में आग लगाकर वातावरण को प्रदूषित करने का कार्य करते हैं। ऐसा करने से जीवित और प्रफुल्लित पेड़ पौधे भी आग की चपेट में आकर मुरझा कर मरणासन्न हो जाते हैं और बहुत अधिक मर जाते हैं। अनेक स्थानों पर सड़कों के दोनों और कूड़े कर्कट में आग लगाने पर न केवल पौधे मरते हैं अपितु धूऐं के कारण सदा दुर्घटनाओं में वृद्धि होती है। दिन प्रतिदिन बढ़ रहे तापमान के कारण जहां आज जंगलों में आग लग रही है वहीं दूसरी और ग्लेशियर पिंघल रहे हैं। धरती अपने स्थान से खिसक रही है। सड़कों के किनारे दुकानदार और रेहड़ी वाले कूड़े कर्कट के साथ साथ प्लास्टिक और पॉलिथीन आदि को आग के हवाले करके यह सोचते हैं कि हमने अपने क्षेत्र को स्वच्छ कर लिया। विभिन्न स्थानों और सड़कों पर भंडारे एवं ठंडे पानी की छबील लगाने वाले पुण्य कमाने के स्थान पर प्लास्टिक कचरा इत्यादि फैलाकर वातावरण को प्रदूषित करने का काम कर रहे होते हैं। थोड़े समय में वह सड़कों पर बिखरे पड़े होते हैं।

आज चाहे छोटा बच्चा हो, युवा हो या बुजुर्ग उन्हें आप ईंधन चलित वाहन का प्रयोग करते पाएंगे। यद्यपि चाहे उस बच्चे के पाँव ठीक से ब्रेक आदि पर न पहुँच रहे हों। आज से लगभग 30-40 वर्ष पूर्व सभी घरों में कई कई साइकिल होती थी, जिस पर वे सवार होकर अपना कार्य करते थे। सबसे बड़ी बात हमारे पूर्वज कभी अधिक बीमार नहीं होते थे क्योंकि वे अपना कार्य अपने हाथों पैरों द्वारा शारीरिक परिश्रम से करते थे। यदि ये कहें कि उनकी मुख्य सवारी साइकिल थी तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। साइकिल की सवारी करते समय कई बार एक ही साइकिल पर तीन लोग एक साथ बैठ कर यात्रा करते थे। सबसे बड़ी बात कि साइकिल चालक दो व्यक्तियों का भार भी सहजता से ही खींच लेता था।  
समय बदला, लोगों की सोच बदली, साइकिल का स्थान स्कूटर, फिर मोटर साइकिल और अब कार ने ले लिया। सबसे बड़ी बात कि एक कार और एक ही सवारी। सड़कों पर दिन प्रतिदिन वाहनों का बढ़ता बोझ ने केवल सड़क व्यवस्था को प्रभावित करता है अपितु पर्यावरण को प्रदूषित करने में भी इसकी मुख्य भूमिका है। एक बार क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो लुधियाना (भारत) आए और वहां से अपने देश के लिए कुछ हज़ार साइकिल आर्डर कर गए।   अपने देश जाकर उन्होंने सुझाव दिया कि सभी कर्मचारियों की नियुक्ति 8 किलोमीटर के क्षत्र में कर दी जाए और उन्हें एक एक साइकिल उपलब्ध कराई जाए ताकि वे कार्यालय साइकिल से आएं और जाए। इस प्रकार उन्होंने अपने देश की अर्थव्यवस्था को सुधार दिया था।  

यदि हम चाहते हैं कि बेमौसमी बारिश से फसलों की रक्षा हो तो पर्यावरण संरक्षण की ओर बढ़कर अधिक से अधिक पौधारोपण किया जाए। परंपरागत खेती को अपनाए। ईंधन के द्वारा संचालित संसाधनों पर नियंत्रण किया जाए। पहाड़ पर अनावश्यक छेडछाड न हो। साइकिल प्रयोग पर जोर देकर हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। अभी भी समय है। सावधान रहकर मनुष्य पर्यावरण प्रेमी बने। विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़, ऊँचे ऊँचे भवन, विकास के नाम पर कटते वृक्ष, जंगलों की आग, विकास के नाम पर पहाड़ों का कटाव, सिकुड़ती धरती, सड़कों का विस्तार मर्यादित हो।

(लेखक डॉ. अशोक कुमार वर्मा, हरियाणा पुलिस में सेवारत हैं और पिछले 20 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करते हुए साइकिल का प्रयोग करते हैं। 17500 से अधिक पौधे लगा चुके हैं। हरियाणा में 4 बार साइकिल यात्राएं निकाल चुके हैं। नशे के विरुद्ध प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं।)

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प्रचंड गर्मी में ठंडक देता ‘मिट्टी का घड़ा’ https://apnidilli.com/23510/ Tue, 28 May 2024 09:48:11 +0000 http://apnidilli.com/?p=23510 प्रियंका सौर

गर्मियों के मौसम में आज भी कई घरों में मिट्टी का बना घड़ा या मटका नजर आ जाता है। भारत में मटके में पानी रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। कई तरह के वॉटर प्‍यूरीफायर और कंटेनर्स आने के बाद भी आज तक लोग मिट्टी का घड़ा अपने घरों में रखते हैं। मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। इसमें लाभकारी मिनरल्स मौजूद होते हैं जो शरीर को विषैले तत्वों से मुक्ति दिलाते हैं। मिट्टी के घड़े में पानी रखने से पानी में मिट्टी की सोंधी खुशबू समा जाती थी। जब हम इस पानी को पीते थे तो प्यास बुझने के साथ ही हमें एक संतुष्टि भी मिलती थी जबकि फ्रिज का पानी पीने से ना तो प्यास ही बुझ पाती है और ना ही संतुष्टि मिलती है। मिट्टी का घड़ा हर साल बदला जाता था और कभी-कभी सीजन में दो या तीन घरों की जरूरत पड़ती थी। ऐसे में कुम्हार भाइयों को पूरे साल भर रोजगार मिला रहता था। आज हर घर में फ्रिज आ जाने से यह व्यवसाय पूरी तरीके से नष्ट हो चुका है। मिट्टी के घड़े खरीदने के दोहरे फायदे हैं। इसलिए आज ही अपने घर में एक सुन्दर सा मटका ले आइये और स्वस्थ रहिये। 

मुझे याद है आज से 20-25 साल पहले जब हम छोटे हुआ करते थे उम्र यही कोई पांच 7 साल के आसपास, तब घरों में फ्रिज बहुत ही दुर्लभ चीज हुआ करती थी। जिसके घर में फ्रिज होता था हम उसे बहुत अमीर आदमी मानते थे। हमारे घर में फ्रिज नहीं था तो हमें यह लगता था कि हम बहुत गरीब हैं। उस समय फ्रिज की आइसक्रीम खाने के लिए पूरा मोहल्ला किसी एक ही घर परिवार पर आश्रित रहता था। लेकिन ठंडा पानी पीने के लिए लगभग सभी घरों में घड़े हुआ करते थे। और आज जब लगभग सभी घरों में फ्रिज है तो मैं उन दिनों को याद करता हूं जब हम छत पर सोते थे और एक छोटी सी सुराही भी अपने साथ लेकर सोते थे कि अगर रात में पानी पीने की जरूरत हो तो उस सुराही से निकाल कर के पी सकें।

 गर्मियों में फ्रिज का पानी पीना सब को अच्छा लगता है। परंतु फ्रिज का पानी पीने से कुछ देर के लिए तो हमें ठंडक मिलती है लेकिन बाद में बहुत ही जल्दी प्यास लगाती है और यह गर्मी भी प्रदान करता है। परंतु मटके का पानी जो प्यास बुझाता है उसका मुकाबला फ्रिज के पानी से नहीं किया जा सकता। मटके का पानी कई बीमारियों को दूर करता है जबकि दूसरी ओर फ्रिज का पानी कई बीमारियों को जन्म देता है। मटका शुद्ध मिट्टी से बना हुआ होता है। इसलिए मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है। मटके का पानी पीने से काफी देर तक प्यास नहीं लगती है जबकि फ्रिज का पानी पीने से उसी समय दुबारा पानी पीने का मन करता है। फ्रिज का पानी चाहे कितनी बार भी क्यों न पी लो परंतु प्यास बुझती ही नहीं है। मटके का पानी पीने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। मटके का पानी पीने से पेट में गैस नहीं बनती है और पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। सबसे बड़ी बात मटके का पानी पीने से हमारे मटका बनाने वाले भाइयों को रोजगार मिलता है।

  मिट्टी के घड़े में पानी बाहरी तापमान के अनुसार ही ठंडा रहता है। अगर बाहरी तापमान में गर्मी ज्यादा है तो मिट्टी के घड़े का पानी ज्यादा ठंडा होगा और अगर बाहरी तापमान थोड़ा कम गर्म है तो पानी भी कम गर्म रहेगा। ऐसे में मिट्टी के घड़े में रखा पानी हमेशा शरीर के तापमान के अनुसार ही ठंडा रहता था और यही कारण है कि मिट्टी के घड़े का ठंडा पानी कभी भी नुकसान नहीं करता जबकि फ्रिज से निकाला हुआ पानी पीने से सर्दी जुकाम की संभावना बनी रहती है। मिट्टी के घड़े में पानी रखने से मिट्टी में उपस्थित बहुत से खनिज तत्व उस पानी में मिल जाते हैं और जब हम उस पानी को पीते हैं तो वह खनिज तत्व हमारे शरीर में पहुंचकर हमारे शरीर को पोषित करते हैं। जैसा हम जानते हैं कि मिट्टी में लगभग 80 प्रकार के खनिज तत्व विभिन्न मात्रा में मौजूद होते हैं। इन तत्वों में बहुत सारे तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। आज लोग फ्रिज का पानी पी रहे हैं लेकिन साथ ही मिनरल सप्लीमेंट भी ले रहे हैं। जबकि पहले किसी को मिनरल सप्लीमेंट लेने की जरूरत नहीं होती थी।

 मिट्टी के घड़े में पानी रखने से पानी में मिट्टी की सोंधी खुशबू समा जाती थी। जब हम इस पानी को पीते थे तो प्यास बुझने के साथ ही हमें एक संतुष्टि भी मिलती थी जबकि फ्रिज का पानी पीने से ना तो प्यास ही बुझ पाती है और ना ही संतुष्टि मिलती है। मिट्टी का घड़ा हर साल बदला जाता था और कभी-कभी सीजन में दो या तीन घरों की जरूरत पड़ती थी। ऐसे में कुम्हार भाइयों को पूरे साल भर रोजगार मिला रहता था। आज हर घर में फ्रिज आ जाने से यह व्यवसाय पूरी तरीके से नष्ट हो चुका है। मिट्टी के घड़े में पानी फ्रिज के अपेक्षा ज्यादा शुद्ध रहता था साथ ही मिट्टी के घड़े से पानी हमेशा किसी अन्य बर्तन में लेकर पिया जाता था जिससे घड़ा भी शुद्ध रहता था लेकिन आज फ्रिज में रखी बोतल से सीधे पानी पिया जाता है। यह बोतलें परजीवी संक्रमण की दृष्टि से बहुत ही नुकसानदायक है साथ ही प्लास्टिक अपने आप में ही स्वास्थ के लिए बहुत नुकसानदायक है।

 गर्मियों के मौसम में आज भी कई घरों में मिट्टी का बना घड़ा या मटका नजर आ जाता है। भारत में मटके में पानी रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। कई तरह के वॉटर प्‍यूरीफायर और कंटेनर्स आने के बाद भी आज तक लोग मिट्टी का घड़ा अपने घरों में रखते हैं। इसके कई फायदे हैं और इसे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी अच्छा माना जाता है। अक्सर गर्मी लगने पर कई बार आप फ्रिज में रखा ठंडा पानी पी लेते हैं। ये आपके गले और शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है। गले की कोशिकाओं का तापमान अचानक गिर जाता है और इसके कारण बहुत सी समस्यायें हो जाती हैं। गले की ग्रंथियों मे सूजन आ जाती है। जबकि आप अगर घड़े का पानी पीते हैं तो उसका कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता है। घड़े में रखे पानी में मौजूद विटामिन और मिनरल्‍स शरीर के ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये शरीर को ठंडक प्रदान करने का काम करते हैं। अगर आप नियमित तौर पर घड़े का पानी पीते हैं तो व्यक्ति का इम्‍युन सिस्‍टम मजबूत होता है। जबकि प्लास्टिक की बोतल में पानी रखने से उसमें अशुद्धियां इकट्ठी हो जाती हैं। मिट्टी के घड़े खरीदने के दोहरे फायदे हैं। इसलिए आज ही अपने घर में एक सुन्दर सा मटका ले आइये और स्वस्थ रहिये।

-प्रियंका सौरभ 

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,

कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045

(मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप) 

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अब मध्य प्रदेश में होगी वास्तविकता की बात, वाभापा को मिलेगा जनता का साथ : डॉ वरदमूर्ति मिश्र https://apnidilli.com/20156/ Wed, 11 Jan 2023 06:41:35 +0000 http://apnidilli.com/?p=20156 भोपाल । मध्य प्रदेश की सियासत के लिए साल 2023 कई मायनों में अहम होने वाला है। नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव, भाजपा-कांग्रेस जैसेदिग्गजों के लिए कुछ नई समस्याएं और चुनौतियां लेकर आ रहा है। प्रदेश में तेजी सेउभर रहीं क्षेत्रीय या छोटी पार्टियां, तीसरे दल के रूप मेंबड़ी चुनौतियां देने को तैयार हैं। साल के अंत में होने वाले प्रदेश के सियासीघमासान में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादीपार्टी के साथ-साथ पूर्व आईएएसअधिकारी डॉ वरदमूर्ति मिश्र की वास्तविक भारत पार्टी भी दमख़म दिखाने की तैयारी कररही है। 26 वर्षों से अधिक केप्रशासनिक अनुभव के साथ राजनीति में कदम रखने वाले डॉ वरदमूर्ति मिश्र सभी 230सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को उतारने की घोषणा पहले हीकर चुके हैं।राज्य प्रशासनिक सेवा के 1996 बैच के डिप्टी कलेक्टर रह चुके, वाभापा संस्थापक वअध्यक्ष डॉ वरदमूर्ति मिश्र ने कहा, “सन 1956 में मध्य प्रदेश केगठन के बाद से, प्रदेश की सेवा करनेका मौका सिर्फ दो ही राजनीतिक दलों को मिला है। विगत वर्षों में प्रदेश की प्रगतिव उन्नति के लिए कई काम भी हुए हैं, लेकिन अब समय बदलावका है। अब समय अनुभव के साथ नई सोच और युवा जोश को धरातल पर काम करने की आजादीदेने का है, जो नवाचार के साथ-साथ प्रदेश को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, रोजगार और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में मजबूत बना सकें। हमने हर घर कामपहुंचाने की योजना बनाई है। वाभापा में हम राजनीति के साथ कानून, मीडिया, तकनीक, शासन प्रशासन या सामाजिक आर्थिक मामलों के जानकारों के साथ, जनसेवा से जुड़ रहे हैं, ताकि समाज के विभिनक्षेत्रों और वर्गों को उचित उम्मीदवार के साथ सेवा का अवसर मिल सके।”जनता के बीच रहकर काम करने वाले अधिकारी की छवि के साथ डॉ वरदमूर्ति मिश्र नेविभिन्न जिलों में टीम गठन करना शुरू कर दिया है। पार्टी हर स्तर पर, साफ सुथरी छवि वाले, पढ़े लिखे प्रतिष्ठितव्यक्तियों को अपने साथ जोड़ रही है। पार्टी नेतृत्व का दावा है कि प्रदेश मेंसरकार गठन में वास्तविक भारत पार्टी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। चूंकि प्रदेशमें सरकार पर कर्ज लगातार बढ़ रहा है। शिक्षित युवा बेरोजगार काम न मिलने सेप्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। करोड़ों रुपए से प्रदेश में सरकारी अस्पताल बन रहे हैंलेकिन आधे से अधिक मेडिकल स्टॉफ और डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं। ऐसे अन्य तमाममुद्दों के साथ पार्टी, प्रदेश की सभी सीटोंपर अपनी उम्मीदवारी पेश करने की कवायद में लग गई है।वाभापा ने 2022 में व्यवस्थापरिवर्तन का एक संकल्प लिया और जनता से मिले भरपूर समर्थन ने इस संकल्प को और अधिकमजबूत बना दिया है। पार्टी का मानना है कि 2023 परिवर्तन का वर्ष है और प्रदेश की जनता ने इस बार परिवर्तन का मन पक्का करलिया है। ]]> लुपिन ने रांची में अपनी पहली रेफरेंस लैबोरेटरी शुरू की  https://apnidilli.com/19243/ Tue, 19 Jul 2022 11:31:38 +0000 http://apnidilli.com/?p=19243 रांची। विश्व की अग्रणी फार्मा कंपनियों में से एक, लुपिन लिमिटेड (लुपिन) ने आज बताया कि लुपिन डायग्नोस्टिक्स ने रांची में अपनी पहली रेफरेंस लैबोरेटरी की शुरुआत की है। रांची में नई रेफरेंस लैबोरेटरी, साइटोजेनेटिक्स, फ्लो साइटोमेट्री, हिस्टोपैथोलॉजी, साइटोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, सीरोलॉजी, हेमेटोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और रूटीन बायोकेमिस्ट्री के क्षेत्र में व्यापक तौर पर नियमित और विशेष परीक्षणों का संचालन करने के लिए तैयार है।
लुपिन डायग्नोस्टिक्स के पास नवीनतम तकनीकें उपलब्ध हैं जिनसे डॉक्टर रोगियों का सटीक निदान कर पाएंगे। झारखंड के लोग अब 10 स्थानों पर निवारक हेल्थ चेकअप, होम कलेक्शन और परीक्षण केंद्रों का लाभ उठा सकते हैं।
लुपिन डायग्नोस्टिक्स के वाइस प्रेसिडेंट एवं हेड रवींद्र कुमार ने कहा कि “हम अपनी डायग्नोस्टिक सेवाओं का विस्तार करने को लेकर रोमांचित हैं। इन सेवाओं के तहत झारखंड में व्यापक परीक्षण और क्यूरेटेड हेल्थ चेकअप पैकेज उपलब्ध हैं। रांची में हमारी रेफरेंस लैबोरेटरी उच्च मानकों वाली निदान प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह रोगी के स्वास्थ्य का सटीक पता लगाने, सुरक्षित हस्तक्षेप करने और समग्र रूप से रोगी की सेहत में सुधार लाने के लिए डॉक्टरों को सक्षम बनाएगी।”
उन्होंने कहा कि “लुपिन डायग्नोस्टिक्स की सेवाओं के हिस्से के रूप में, मरीज घर पर मुफ्त सैम्पल कलेक्शन कर सकते हैं और रियल टाइम में उनको ट्रैक कर सकते हैं। हमारी पर्सनलाइज्ड और इटेरैक्टिव रिपोर्ट रोगियों और डॉक्टरों को स्वास्थ्य मानकों के ऐतिहासिक रुझानों को समझने की सुविधा प्रदान करती हैं, जिससे डॉक्टरों को साक्ष्य-आधारित उपचार संबंधी निर्णय लेने में मदत मिलती है।”
पूर्वी भारत में व्यापक रूप से सेवा प्रदान करने के लिए, लुपिन डायग्नोस्टिक्स ने असम, पश्चिम बंगाल और बिहार में प्रोसेसिंग लैबोरेटरी की स्थापना के बाद रांची, झारखंड में एक रेफरेंस लैबोरेटरी स्थापित की है। वर्तमान में, लुपिन डायग्नोस्टिक्स के 100  से अधिक लुपिमित्र (लुपिन के फ्रैंचाइज़ी कलेक्शन सेंटर) हैं, जो पहले से ही पूर्वी भारत में अपने परिचालन के लिए नामांकित हैं।
लुपिन डायग्नोस्टिक्स डॉक्टरों, मरीजों और उपभोक्ताओं को डायग्नोस्टिक सेवाओं की विस्तृत रेंज प्रदान करता है। इसकी कुछ प्रमुख उपभोक्ता-केंद्रित विशेषताओं में जीपीएस-सक्षम तापमान-नियंत्रित सैम्पल मूवमेंट, स्मार्ट रिपोर्ट, प्रत्येक प्रयोगशाला के लिए एनएबीएल मान्यता, ट्रेंड रिपोर्ट एनालिसिस और लाइव होम कलेक्शन बुकिंग और ट्रैकिंग शामिल हैं। कंपनी ने नवी मुम्बई में 45,000 वर्ग फुट क्षेत्रफल वाली अत्याधुनिक नॅशनल रेफरेंस लैबोरेटरी की स्थापना की है, जिसमें विश्व स्तरीय उपकरण, प्रशिक्षित प्रौद्योगिकीविदों के साथ काम करने वाले अनुभवी डॉक्टर उपलब्ध हैं और यहां कड़े गुणवत्ता नियंत्रण प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है।
लुपिन के बारे में
लुपिन इनोवेशन-केंद्रित अंतरराष्ट्रीय दवा कंपनी है जिसका मुख्यालय भारत के मुम्बई में है। कंपनी ब्रांडेड और जेनेरिक फॉर्मूलेशन, बायोटेक्नोलॉजी उत्पादों और एपीआई की विस्तृत रेंज का विकास और व्यवसाय करती है, जो अमेरिका, भारत, दक्षिण अफ्रीका और पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र (एपीएसी), लैटिन अमेरिका (एलएटीएएम), यूरोप और मध्य-पूर्व क्षेत्र के 100 से अधिक बाजारों में उपलब्ध है।
कंपनी की कार्डियोवैस्कुलर, एंटी-डायबिटिक और रेस्पिरेटरी सेगमेंट में नेतृत्वकारी भूमिका है और एंटी-इनफेक्टिव, गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल (जीआई), सेंट्रल नर्वस सिस्टम (सीएनएस) और महिला स्वास्थ्य के क्षेत्रों में अहम मौजूदगी है। प्रिस्क्रिप्शंस (नुस्खे) के आधार पर, लुपिन अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी दवा कंपनी है। वित्त वर्ष 2022 में कंपनी ने अपने राजस्व का 8.7% अनुसंधान और विकास में निवेश किया।
लुपिन के 15 मॅन्यूफैक्चरिंग सेंटर्स और 7 रिसर्च सेंटर्स हैं। कंपनी में 20,000 से अधिक कर्मचारी वैश्विक स्तर पर काम कर रहे हैं, और यह बायोटेक्नोलॉजी तथा फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में लगातार ‘काम करने के शानदार कार्यस्थल’ के रूप में मान्यता प्राप्त है।
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डालमिया भारत ने झारखंड में श्रावणी मेले के दौरान सामाजिक परिवर्तन की पहल से अपनी क्षेत्रीय उपस्थिति मजबूत की https://apnidilli.com/19187/ Fri, 15 Jul 2022 06:23:34 +0000 http://apnidilli.com/?p=19187 रांची,  झारखंड। डालमिया भारत लिमिटेड (डीबीएल)  फिर से बहाल हुए देवघर के श्रावणी मेले में भागीदारी करते हुए अपनी क्षेत्रीय उपस्थिति को मजबूत कर रहा है। कंपनी ने कांवर की अदम्य भावना का सम्मान करते हुए जय कांवर अवार्ड व शिक्षा को प्रोत्साहित करने जैसे कई सामाजिक परिवर्तन की पहल की शुरुआत की है।
श्रावणी मेले के दौरान डीबीएल विशेषज्ञों को सलाम जैसी पहल के साथ अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता का नवीनीकरण कर रहा है। देवघर के सामाजिक नायकों के साथ साक्षा तालमेल बिठाते हुए पूर्वी क्षेत्र को डालमिया डीएसपी—ढलाई विशेषज्ञ जैसे विषय विशेष की प्रवीणता का लाभ देने के साथ कंपनी ने स्थानीय नायकों को अपने नवस्थापित जय कांवर अवार्ड से सम्मानित कर उनका मान बढ़ाया है।
अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में अदम्य धैर्य व प्रवीणता का परिचय देकर सामुदायिक प्रयासों में योगदान देने वाले श्री मयंक राय, श्रीमती सानिया सुमन व श्री कुमार गौरव को अवार्ड सेरेमनी के दौरान सम्मानित किया गया। कंपनी ने उत्सव के आने वाले संस्करण में मेले में आने वाले भक्तों के स्वागत के लिए भगवान शिव की 16 फुट ऊंचे प्रतिरुप व दो कांवर स्थापित कर अपनी मजबूत स्थानीय उपस्थिति को दर्शाया है। डीबीएल के वरिष्ठ एक्जीक्यूटिव्स व चैनल पार्टनरों के द्वारा आधिकारिक रुप से उद्घाटन की गयी जीवंत विशाल प्रतिमा के साथ ही देबारग्राम में निर्मित एक विशेष रुप से तैयार गेट भी शामिल है जहां से पूरे भारत व दुनिया भर से भगवान शिव के दर्शन को आ रहे व पवित्र जल चढ़ाने वाले भक्तों का विंहगम दृश्य नजर आएगा। इसके अतिरिक्त अन्य अभिनव प्रतिष्ठान देवघर शहर के चकाई, चोपा मोर व बासुकीनाथ में स्थापित किए गए हैं।
उक्त पहलों के अतिरिक्त कंपनी देवघर में एक विशेष कार्यक्रम में अपने 20 टाप कांट्रैक्टरों को उनके परिवारों के साथ सम्मानित करेगी। साथ ही संस्था इस क्षेत्र में शिक्षा को प्रोत्साहित करने की मुहिम के तहत इन कांट्रैक्टरों के बच्चों को स्कूल बैग आदि के सहित स्कूल किट भी प्रदान करेगी।
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टीम मानवता ने वृद्धाश्रम में मनाया जन्मदिन https://apnidilli.com/19119/ Fri, 08 Jul 2022 06:46:00 +0000 http://apnidilli.com/?p=19119
बिलासपुर। टीम मानवता औऱ आश्रयनिष्ठा वेलफेयर सोसायटी ने खुशियों के पल, अपनों के संग के तहत बलराज का जन्मदिन कोनी स्थित सुवानी वृद्धाश्रम में मनाया। इस अवसर पर बुजुर्गों को फ़ल, बिस्किट व मिठाई का वितरण किया गया। आश्रयनिष्ठा वेलफेयर सोसायटी की संस्थापिका व सचिव अरुणिमा मिश्रा ने बताया कि संस्था के सदस्यों का जन्मदिन वृद्धाश्रम में मनाने की परंपरा रही है उसका बखूबी निर्वहन किया जा रहा है।कार्यक्रम में अरुणिमा मिश्रा,नितिन त्रिपाठी,हिमांशु कश्यप, मुरारी धीवर, पूजा तिवारी, प्रिंस वर्मा व गोविंद रॉय औऱ सुनील चिंचोलकर उपस्थित थे।
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सेफ एक्सप्रेस ने उत्तराखंड के हरिद्वार में अपना 70वां अल्ट्रा-मॉडर्न लॉजिस्टिक्स पार्क लॉन्च किया https://apnidilli.com/19116/ Fri, 08 Jul 2022 06:43:17 +0000 http://apnidilli.com/?p=19116 हरिद्वार। भारत की सबसे बड़ी सप्लाई चेन एवं लॉजिस्टिक्स कंपनी, सेफएक्सप्रेस ने उत्तराखंड में अपना अल्ट्रा-मॉडर्न लॉजिस्टिक्स पार्क लॉन्च किया। यह स्टेट-ऑफ-द-आर्ट लॉजिस्टिक्स पार्क राष्ट्रीय राजमार्ग-334 के पास सिडकुल बाईपास रोड पर एक महत्वपूर्ण जगह पर स्थित है। उत्तराखंड के हरिद्वार में सेफएक्सप्रेस लॉजिस्टिक्स पार्क का शुभारंभ करने के अवसर पर सेफएक्सप्रेस के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
हरिद्वार एक प्रमुख औद्योगिक शहर के रूप में तेजी से विकसित हुआ है और इसकी वजह उत्तराखंड राज्य सरकार की एजेंसी द्वारा 2002 में सिडकुल की स्थापना है। इसने कई प्रमुख और महत्वपूर्ण औद्योगिक घरानों को आकर्षित करने में मदद की है जिन्होंने मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की हैं और हरिद्वार में  काफी आमदनी और रोजगार पैदा किया है।
हरिद्वार, उत्तराखंड में सेफएक्सप्रेस लॉजिस्टिक्स सुविधा 1 लाख वर्ग फुट के भूमि क्षेत्र में फैली हुई है, जो अल्ट्रा-मॉडर्न ट्रांसशिपमेंट और 3पीएल सुविधाओं के साथ है। यह तेजी से कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और इस क्षेत्र की भंडारण और वेयरहासिंग की जरूरतों को बढ़ावा देगी। नया लॉजिस्टिक्स पार्क क्रॉस-डॉक है, जो एक साथ 30 से अधिक वाहनों की लोडिंग और अनलोडिंग कर सकता है। इसमें 80 फीट से अधिक का कॉलम-लेस स्पैन है, जो फैसिलिटी के भीतर माल की बाधारहित आवाजाही की सुविधा प्रदान करता है। माल की हर मौसम में लोडिंग और अनलोडिंग करने के लिए, फैसिलिटी में 16 फीट चौड़ा कैंटिलीवर शेड मौजूद है।
लॉजिस्टिक्स फैसिलिटी में आपात स्थितियों से निपटने के लिए आवश्यक अग्निशमन उपकरण और प्रशिक्षित लोग हैं। यह फैसिलिटी प्रकृति-अनुकूल पहलों और टेक्नोलॉजी का एक आदर्श मिश्रण है। इस फैसिलिटी में एकीकृत वर्षा जल संचयन व्यवस्था है, इसमें एक समर्पित हरित क्षेत्र है और यह ऊर्जा संरक्षण के लिए दिन के समय सूरज की रोशनी का उपयोग करेगी। लॉजिस्टिक्स फैसिलिटी में परिचालन काफी व्यवस्थित है, जो उत्तराखंड से पूरे भारत में सभी गंतव्य स्थलों के लिए देश का सबसे तेज़ ट्रांजिट-टाइम सुनिश्चित करता है। इस भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ मजबूत आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर और बहुत ही कुशल गोदाम प्रबंधन प्रणाली भी मौजूद रहेगी।
पूरे क्षेत्र में फैले कई उद्योगों और मैन्यूफैक्चरर्स की मांग बढ़ रही है जिसमें सप्लाई चेन एवं लॉजिस्टिक्स की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है। हरिद्वार, उत्तराखंड में सेफएक्सप्रेस लॉजिस्टिक्स पार्क इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कमी को कम करने और उनकी सप्लाई चेन एवं लॉजिस्टिक्स आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से और कुशलतापूर्वक पूरा करने में मदद करेगा।
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निजी हस्पतालों की लूटमार https://apnidilli.com/18807/ Thu, 02 Jun 2022 10:52:39 +0000 http://apnidilli.com/?p=18807 पिंकी सिंघल (शालीमार बाग दिल्ली)। भारत में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के मामले में केरल राज्य प्रथम स्थान पर आता है और दूसरे स्थान पर तमिलनाडु का नाम है ,यह सुनकर मन अति प्रसन्न होता है कि भारत जो कि अभी भी एक विकासशील देश की श्रेणी में ही गिना जाता है ,में भी स्वास्थ्य सेवाएं सभी नागरिकों को बेहतरीन तरीके से उपलब्ध कराई जा रही हैं। देश के हर छोटे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों का निशुल्क इलाज किया जाता है। विभिन्न प्रकार के टेस्ट और दवाइयों के लिए सरकार देशवासियों से एक रूपया तक नहीं लेती। जाहिर है कि जनमानस सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता निभाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है जो कि अति सराहनीय एवं प्रशंसनीय है।
यह तो रही बात भारत के सरकारी अस्पतालों की। सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ सरकार ने देश के प्रत्येक राज्य ,प्रत्येक कस्बे ,शहर और गांव में निजी अस्पतालों को खोलेने और इलाज मुहैया कराने की आज्ञा भी दी हुई है ताकि लोगों के पास अपनी इच्छा अनुसार इलाज कराने के विकल्प और अवसर उपलब्ध हों। देशवासी अपनी इच्छा और सहूलियत के हिसाब से जहां चाहे अपना इलाज करवा सकते हैं। एक तरफ जहां सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता वहीं निजी अस्पतालों की स्थिति अलग है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य की बात करें, तो ,निजी अस्पतालों ने अस्पताल को मानव सेवा केंद्र ना समझ कर लूट का धंधा बनाया हुआ है। गरीब हो अथवा अमीर ,निजी अस्पतालों के मैनेजमेंट को इस बात से कोई लेना-देना नहीं ।इलाज के नाम पर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है और साथ ही साथ मोटी रकम भी वसूली जाती है। जो लोग इलाज के लिए भारी-भरकम फीस नहीं भर पाते उन्हें निजी अस्पतालों में घुसने तक नहीं दिया जाता है। बात इतने तक ही सीमित होती तो भी कोई समस्या नहीं, परंतु जब निजी अस्पतालों की लापरवाही की वजह से मरीज को अपने प्राण गंवाने पड़ जाते हैं तब स्थिति असहनीय हो जाती है। निजी अस्पतालों द्वारा मनचाही फीस वसूलने के पश्चात भी मरीजों को यथोचित इलाज नहीं मिल पाता। कभी-कभी मरीज के परिवार जनों को मरीज के इलाज के लिए उधार तक लेना पड़ता है,अपना घर और जमीन तक गिरवी रखनी पड़ जाती है और जब यह उधार की राशि भी उनके स्वजनों को बचा नहीं पाती तो उस गरीब पर दोहरी मार पड़ती है ,एक तरफ कर्ज चुकाने की जद्दोजहद दूसरी ओर अपने ही परिवार के सदस्य को सदा सदा के लिए खो देने का असहनीय गम।
निजी अस्पतालों के इस निरंकुशता पूर्ण रवैए पर सरकार को लगाम कसनी ही होगी ।सरकार को कुछ मानदंड तय करने होंगे,जिनका पालन प्रत्येक निजी एवं प्राइवेट अस्पताल को हर हाल में करना ही होगा और ऐसा न करने पर निजी अस्पतालों का लाइसेंस सरकार रद्द कर सकती है और चेतावनी दे सकती है कि उपयुक्त मानदंडों पर जो भी अस्पताल खरा नहीं उतरा, उस निजी अस्पताल को तत्काल बंद करवा दिया जाएगा। साथ ही साथ सरकार यह भी स्पष्ट कर सकती है कि प्रत्येक अस्पताल में गरीबों और असहाय लोगों के इलाज की मुफ्त सुविधाएं उपलब्ध हों ताकि कोई भी व्यक्ति इलाज से वंचित न रहने पाए ।वर्तमान में निसंदेह अधिकतर अस्पतालों में यह सुविधा दी जाती है परंतु हकीकत तो यह है कि यह सुविधा केवल अस्पतालों में लगे नोटिस बोर्ड और फाइलों में बंद कागजों पर ही नजर आती है। परंतु सच तो यह है कि निजी अस्पताल किसी ना किसी बहाने टालमटोल करते हैं और जिन लोगों के पास इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में धन नहीं होता उन्हें वे वापस लौटा देते हैं जो कि बेहद शर्मनाक है ।ऐसे मामलों को सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए और  दोषी पाए जाने पर उचित कार्यवाही भी करनी चाहिए।
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विश्व तंबाकू निषेध दिवस (31 मई) https://apnidilli.com/18781/ Mon, 30 May 2022 13:59:11 +0000 http://apnidilli.com/?p=18781 पिंकी सिंघल (शालीमार बाग दिल्ली) । हमें यह मानव जीवन ईश्वर से उपहार स्वरूप मिला है।उपहारों की कीमत नहीं लगाई जाती और उपहारों को संभाल कर रखने की जिम्मेदारी हमारी होती है  और जो उपहार स्वयं प्रभु ने हमें दिया हो उसके प्रति हमारी जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है। ईश्वर प्रदत्त इस जीवन को सजाना सवारना और संभाल कर रखना हमारा दायित्व ही नहीं,अपितु हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है ।अपने जीवन को अच्छे गुणों से ,अच्छी आदतों से और अच्छे व्यवहार से हम बेहतर से बेहतरीन बना सकते हैं ।अपने भीतर सकारात्मक प्रवृत्तियों को विकसित कर नकारात्मकता को दरकिनार कर हम जीवन की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं ।स्वयं को प्रसन्न रख और अपने व्यवहार से दूसरों के जीवन में खुशियां भर कर हम एक सुखद जीवन व्यतीत कर सकते हैं। ऐसा कर कर हम ईश्वर को रिटर्न गिफ्ट भी दे सकते हैं।
परंतु ,कभी-कभी, गलत संगति और गलत आदतों के वश में आकर हम अपने इस दायित्व को भूल जाते हैं और व्यसनों का शिकार हो जाते हैं। धीरे-धीरे यह हमारी लत बन जाती है और हम इसके नियंत्रण में आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में हमारा खुद पर से नियंत्रण खत्म होने लगता है और हम नशे के नियंत्रण में आकर अपना पूरा जीवन बर्बाद कर लेते हैं ।नशा चाहे जिस भी चीज का हो बुरा ही कहा जाता है ।नशे की स्थिति में हम आत्म नियंत्रण खो बैठते हैं। नशा कई प्रकार का हो सकता है ,जैसे ,सिगरेट ,तंबाकू ,शराब ,जुआ इत्यादि ।इसके अतिरिक्त भी अनेक प्रकार की गलत आदतों के नशे का शिकार होने पर व्यक्ति अपने आप और अपनों को भूल जाता है और नशा ही उसकी पहली प्राथमिकता बनने लगता है जो कि उसके विनाश और पतन का कारण भी बनता है।
प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। तंबाकू भी एक प्रकार का नशा ही होता है। कुछ लोग थकान उतारने ,स्वयं को अवसाद की स्थिति से बाहर निकालने और तनाव को कम करने के लिए तंबाकू का सेवन करते हैं क्योंकि उनके अनुसार तंबाकू का सेवन करने से वे हल्का महसूस करते हैं, उनके मस्तिष्क को शांति मिलती है और वे उन्हें अपने कार्य में दोहरी ताकत के साथ जुट जाते हैं। तंबाकू का सेवन करने वाले लोग शायद यह भूल जाते हैं कि तंबाकू का उनके शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है जिसकी वजह से प्रत्येक वर्ष लाखों लोग अपनी जान गवा देते हैं।
 विश्व तंबाकू निषेध दिवस को मनाए जाने का मुख्य प्रयोजन लोगों को तंबाकू सेवन से होने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराना है। लोगों को यह समझाना है कि तंबाकू सेवन करने से हमारे शरीर का नाश होता है और नकारात्मक प्रवृत्तियां प्रबल होने लगती हैं जो सीधे हमारे विनाश का कारण बनती हैं। इसलिए हमें तंबाकू सेवन नहीं करना चाहिए और ना ही किसी को इसका सेवन करने देना चाहिए। यह हमारी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है ।अपने राष्ट्र के प्रति सच्ची राष्ट्रभक्ति दिखाने का इससे बेहतर माध्यम दूसरा कोई हो ही नहीं सकता क्योंकि नशे की आदत के शिकार नागरिक कभी भी देश के उत्थान और विकास में भागीदार नहीं बन सकते।
तंबाकू ,गुटखा शराब ,सिगरेट ,बीड़ी इस प्रकार के नशे के आदी होने के बाद इंसान यह भूल जाता है कि उसकी इस गंदी आदत का शिकार वह खुद नहीं अपितु उसके साथ-साथ उसके अपने भी होते हैं। यदि इस प्रकार के नशे को समय रहते न रोका जाए, न नियंत्रित किया जाए तो यह विकराल रूप धारण कर लेता है और मनुष्य के पतन का कारण बनता है।
हमारे राष्ट्र के प्रति हमारी बहुत से जिम्मेदारियां होती हैं,जिन जिम्मेदारियों का निर्वहन हम अपने आप को स्वस्थ रखने के बाद ही कर सकते हैं ।यदि हम स्वयं स्वस्थ नहीं होंगे तो एक स्वस्थ राष्ट्र की कल्पना का सपना कभी साकार नहीं हो सकता क्योंकि किसी भी देश की मजबूत नींव उस देश के स्वस्थ नागरिक ही होते हैं। यदि जड़ ही कमजोर होगी तो उस जड़ से उगने वाला पौधा ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएगा और कुछ ही समय बाद धराशाई होकर वसुधा पर आ गिरेगा।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस प्रत्येक वर्ष 31 मई को मनाया जाता है और प्रत्येक वर्ष इस दिवस के लिए एक नया थीम भी रखा जाता है। वर्ष 2021 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस का थीम था कमिट टू क्विट अर्थात तंबाकू छोड़ने के लिए प्रतिबद्धता का होना। इस थीम का उद्देश्य लोगों को नशे की तंबाकू की आदत को छोड़ने के लिए प्रतिबद्धता दिलवाना था ।लोगों को यह कसम खिलवाना था कि वे अब से कभी भी तंबाकू का सेवन नहीं करेंगे और ना ही किसी को करने देंगे।
तंबाकू निषेध दिवस को प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें नुक्कड़ नाटक ,रोल प्ले, इत्यादि का मंचन किया जाता है ताकि लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जा सके,उन्हें बताया जा सके कि तंबाकू का सेवन करने से अनेक प्रकार की खतरनाक और लाइलाज बीमारियां हो जाती हैं, जैसे ,फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग, गर्भाशय का कैंसर मुंह का कैंसर इत्यादि इत्यादि।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तंबाकू निषेध की इस अंतरराष्ट्रीय मुहिम को सहयोग देने के लिए विश्व भर की अनेक संस्थाएं अपने स्तर पर कार्य कर रही हैं और लोगों के बीच जागरूकता फैला रही हैं ।ये संस्थाएं अपने दायित्वों का निर्वाह पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करते हुए लोगों को समझा रही हैं कि नशा किसी भी प्रकार का हो, यह जानलेवा होता है और हमें हमारे अपनों से दूर कर देता है। इसलिए हमें नशे की आदत का शिकार नहीं बनना चाहिए और ना ही किसी को बनने देना चाहिए ।हमारी अपने प्रति और अपनों के प्रति पूरी जिम्मेदारी बनती है और हमें इस जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाना चाहिए तभी हम अपने राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी निभा पाएंगे अपने कर्तव्यों का पूरी शिद्दत के साथ निर्वाह करना हमारा फर्ज है जिसे हमें हर हाल में निभाना ही होगा तभी हम अपने राष्ट्र को प्रगति की राह पर लेकर जा सकते हैं। यकीन मानिए ,फिर वह दिन दूर नहीं जब हम और हमारा राष्ट्र विकसित देशों की श्रेणी में शुमार हो जाएगा और हमारा विश्व गुरु कहलाने का सपना भी बहुत जल्द साकार होगा।
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