EDUCATION – Apni Dilli https://apnidilli.com Hindi News Paper Tue, 30 Jan 2024 11:26:35 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://apnidilli.com/wp-content/uploads/2023/09/cropped-logo-1-32x32.jpg EDUCATION – Apni Dilli https://apnidilli.com 32 32 CUET में सुधार की आवश्यकता https://apnidilli.com/22945/

Tue, 30 Jan 2024 11:26:34 +0000 http://apnidilli.com/?p=22945 CUET देश में सैकड़ों विश्वविद्यालय के लिए आज छात्रों के चयन का एक मात्र जरिया है । हर वर्ष लाखों छात्र CUET की परीक्षा के लिए त्यारी करते है और भविष्य में किस कोर्स में दाखिला लेना है,  उसका फैसला CUET के माध्यम से ही कर पाते है । सरकार ने जब से नेशनल टेस्टिंग अथोरिटी (NTA) का गठन किया है,  सभी उच्च शिक्षण संस्थानों ने अपने शैक्षणिक कोर्सेज में प्रवेश की ज़िम्मेदारी NTA को सौप दी है । CUET दुनिया की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा के रूप में उभर कर आगे आ गई है । इस व्यवस्था से सभी उच्च शिक्षण संस्थान एक ही परीक्षा के माध्यम से सभी छात्रों को उनके अंको के आधार से चयन कर सकते है ।

CUET की स्थापना से पहले, अनेकों विश्वविद्यालय अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षा लेते थे । छात्रों को जगह जगह भटकना पड़ता था । अलग अलग परीक्षा में बैठना पड़ता था । ट्रेन ,बस भर भर के एक राज्य से दूसरे राज्य में छात्र भागते थे, ताकि वो अलग अलग प्रवेश परीक्षा दे सके और उन्हें किसी अच्छी संस्था में दाखिला मिल जाए । आज वह स्तिथि नही है । CUET के आने से छात्र अपने ही शहर में रह कर , एक ही परीक्षा से भारत में किसी भी संस्था में दाखिला ले सकते है । संस्थाओं के लिए भी आसानी हो गई है । उन्हें भी अब अपनी अलग अलग प्रवेश परीक्षा नहीं बनानी पड़ती । वह CUET के माध्यम से ही छात्रों को अपने विभिन्न कोर्सेज में दाखिला दे देते है । 

लेकिन इसी व्यवस्था को और नजदीक से देखे तो शिक्षको का कहना है कि समस्या तो सुलझ गई है लेकिन परिणाम नहीं मिल रहा । उनका कहना है कि क्या एक ही परीक्षा जो वर्ष में एक बार करवाई जाती हो, एक ही प्रश्न पेपर के आधार पर भिन्न भिन्न कोर्सेज के लिए छात्रों का सही चयन कैसे कर सकती है ? सर्व प्रथम तो यह की CUET न तो एक एप्टीट्यूड टेस्ट है और न ही वह कोई मनोविज्ञानिक रूप से जाचा या परखा हुआ पेपर है । फिर क्या जो छात्र केवल सही उत्तर दे सकते है वो सभी कोर्स में दाखिले के लिए पहले दाखिले पाने के लिए कैसे योग्य मान लिए जाते है ? कितने ही विषय ऐसे है जो प्रश्न उत्तर के परे है । जिन कोर्स में कला , संगीत, खेल कूद, शोध, सेवा, समर्पण का भाव या योग्यता चाहिए हो, वो एक ही CUET कैसे जांच सकता है । जहा नई भाषा सीखनी हो, रुचि का होना सर्वप्रथम योग्यता हो, वह CUET जैसी परीक्षा कैसे किसी छात्र की योग्यता जांच कर पाएगी । मनोबल, परिश्रम, उत्साह इत्यादि का आंकलन केवल एक साधारण CUET द्वारा जांचना न सिर्फ मुश्किल है अपितु संभव ही नहीं है । यही वो छात्र है जो फिर काबिल होने के बावजूद अपना वर्चस्व कायम नहीं कर पाते । मां बाप से भी सुनते है और शिक्षा की इस व्यवस्था में कभी शामिल नहीं हो पाते।  काबलियत होती है किसी और गुण की, परंतु समाज द्वारा आधारित माप दंड के चलते वह भंवर में फस जाते है और अपनी राह से भटक जाते है।  इसी बीच उनका मिलना बड़ी बड़ी कोचिंग संस्थानों से होता है और वह न सिर्फ इनका आर्थिक शोषण करती है बल्कि वह मानसिक रूप से भी प्रताड़ित होते है जब उन्हें अपनी मंजिल नहीं मिलती । 

कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का प्रस्ताव लगभग बीस वर्ष पहले सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट इन एजुकेशन (SRDE) द्वारा शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार को दी गई थी । उस समय SRDE ने सरकार को निवेदन किया था की छात्रों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों की जरूरतों को देखते हुए एक एप्टीट्यूड टेस्ट की स्थापना की जानी चाहिए जो की सभी छात्रों की रुचि, अभिक्षमता एवम motivation के आधार पर उनको आगे की शिक्षा का विषय चुनने एवं दाखिला प्राप्त करने में मदद कर सके।  SRDE संस्था ने इसी के चलते एक नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट (नैट) की स्थापना की । नैट एक मनोविज्ञानिक रूप से एक टूल बनाया गया जिसके माध्यम से जब कोई छात्र नैट का इम्तेहान देता था तो उसके अंक इतने जरूरी नहीं होते थे। उसमे उसकी रुचि, अभिक्षमता, motivation को आंका जाता है ताकि न सिर्फ दाखिला देने वाली संस्था छात्र को जान सके अपितु छात्र भी स्वयं को पहचान सके । नैट साइकोमेट्रिक रूप से एक जानकारी का माध्यम बनाया गया । प्रस्ताव यह दिया गया की सभी छात्रों को सिर्फ अपने बोर्ड की परीक्षा पर ध्यान देना चाहिए और साथ में जब वह नैट परीक्षा देगा तो उसका मनोविज्ञानिक विश्लेषण सामने आ जाता है । 

SRDE द्वारा यह प्रस्ताव दिया गया था की छात्रों को बोर्ड की परीक्षा के बाद भिन्न भिन्न प्रवेश परीक्षा नहीं देनी होगी बल्कि नैट (जो की एक मनोविज्ञानिक इम्तेहान बनाया दया), जिसकी कोई तैयारी  या पढ़ाई की जरूरत नहीं होती, और न ही कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट में दाखिले की;  छात्रों को उनकी स्वयं की जानकारी उनको प्रस्तुत करेगा जिससे वह भविष्य में अपने कोर्स एवं संस्थानों का चयन तर्क पूर्ण करने में मदद कर पाएगा  । संस्थान भी छात्रों की अभिक्षमता के अनुसार उनको भिन भिन कोर्स में दाखिला दे सकते है । 

SRDE के इस प्रस्ताव पर तत्कालीन सरकार द्वारा बहुत गहराई से कई महीनो तक विचार विमर्श किया गया । अंत में इस विषय की उपयोगिता को देखते हुए CBSE द्वारा कक्षा 9 और कक्षा 10 के लिय  Student Global Aptitude Test (SGAI) की शुरुवात की गई । इसके नतीजे बहुत सराहनीय पाए गए । परंतु कुछ समय बाद सीबीएसई इस टूल को लंबे समय तक नहीं चला पाई । इसी दौरान, नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट (नैट) की तर्ज पर CUET की शुरुवात NTA द्वारा की गई । महत्वपूर्ण बात यह है की CUET को मात्र एक प्रवेश परीक्षा के रूप में ही चलाया गया । इसकी पायलट स्टडी, मनोसिज्ञानिक आकलन या साइकोमेट्रिक स्टडी नही हो पाई । प्रत्येक वर्ष मात्र किसी और प्रवेश परीक्षा की तरह इसका उपयोग होने लगा । फर्क इतना ही हुआ की पहले के अनेकों प्रवेश परीक्षा स्थान पर अब एक प्रवेश परीक्षा हो गईं। लेकिन इस से छात्रों को और अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पढ़ रहा है । एक परीक्षा परंतु छात्र लाखो । इससे छात्रों को अपनी बोर्ड परीक्षा से भी ध्यान हट गया है । कोचिंग संस्थाएं और अधिक मात्रा में स्थापित होने लगी है। मानसिक रूप से भी छात्रों एवं उनके अभिभावकों पर जोर पढ़ने लगा है । 

आज की यह व्यवस्था उचित नहीं है । एक इम्तेहान से छात्रों का भविष्य तय किया जा रहा है । इतना बड़ा देश और इतनी अधिक प्रतिस्पर्धा उच्चित नही है । जब देश में अनेकों विश्वविद्यालय स्थापित हुए है जो अपनी अपनी विशेषता के लिए जाने जाते है, तो निश्चित रूप से उनके आवेदन करने वाले छात्रों की विशेषताएं अलग होंगी ।  वैसे ही उनके सफल छात्रों के गुण और क्षमताएं अलग ही अर्जित की गई होंगी । इस प्रकार सभी छात्रों को शिक्षण कार्यक्रम में दाखिले के पूर्व CUET जैसे एक सांचे में से प्रत्येक छात्र को निकालने की कवायद उचित नही है । न तो इससे समस्या का समाधान हो रहा है और न ही रिज़ल्ट बेहतर हो रहा है । सभी शिक्षण संस्थानों को एक जैसा बनाने का प्रयास, विशेषज्ञ  संस्थान बनाने के प्रतिकूल में काम करती है ।  सभी उच्च शिक्षण संस्थान का उद्देश्य गुणात्मक शिक्षा, तकनीकी बेहतरी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जल, थल, नभ, स्पेस में अनेकों प्रयोग करना है । एक जीवन को अनेकों दिशाओं से समझना है और बेहतर करना है । इन सब उदेश्यो को हम तभी हासिल कर पाएंगे जब शिक्षा पर से एक सांचा, एक ढांचा वाली नीति दूर रखेंगे । 

शिक्षा मंत्रालय को CUET में जल्द से जल्द सुधार करना चाहिए ताकि इसके कारण लाखों छात्रों का जीवन और बेहतर हो सके और उच्च शिक्षण संस्थान अपने अपने शैक्षणिक उदेश्यों में कामयाब हो सके । सीबीएसई को भी वापस कक्षा 9 और 10 के लिए SGAI वापस शुरू करना चाहिए ताकि अभिभावक एवम सभी छात्र स्वयं की मनोविज्ञानिक जानकारी प्राप्त कर सके और अपने जीवन में बेहतर फैसले ले सके । 

मुकेश जी गुप्ता

(सेक्रेटरी जनरल)

सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट इन एजुकेशन (SRDE)

www.srde.in

9811605286

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