HEALTH – Apni Dilli https://apnidilli.com Hindi News Paper Sat, 30 Mar 2024 09:51:32 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 https://apnidilli.com/wp-content/uploads/2023/09/cropped-logo-1-32x32.jpg HEALTH – Apni Dilli https://apnidilli.com 32 32  भूलने की बीमारी को दूर करे योग https://apnidilli.com/23127/ Sat, 30 Mar 2024 09:51:31 +0000 https://apnidilli.com/?p=23127 अल्का सिंह (योग एक्सपर्ट)

अक्सर व्यस्त जीवनशैली के चलते हम कुछ ना कुछ रोजमर्रा की जिंदगी में भूल ही जाते हैं , परंतु जरूरत से ज्यादा इंपॉर्टेंट चीज भी बार-बार भूलना एक बीमारी का संकेत हो सकता है, इसीलिए कम उम्र में ही है भूलने की बीमारी तो हल्के में ना लें, हो जाएं सावधान ।

स्ट्रेस

शायद आपको मालूम नहीं कि मानसिक अवसाद धीरे-धीरे आपकी ब्रेन मेमोरी को खोखला करता है। ज्यादा स्ट्रेस लेने की वजह से लोग डेमेंशिया और अल्जाइमर के शिकार हो जाते हैं।

कम नींद आना

अगर आप भी अनिद्रा (कम नींद लेना) के शिकार हैं तो संभल जाइए, क्योंकि इसका असर आपकी ब्रेन मेमोरी पर पड़ता है। नींद कम आने की वजह से न सिर्फ आपका स्वास्थ्य खराब होता है, बल्कि धीरे-धीरे आपके लिए चीजों को याद रखना मुश्किल हो जाता है। घर में चाबी या जेब में पैसे रखकर भूल जाना कोई आम बात नहीं है। जिस उम्र में लोगों की याद्दाश्त दुरुस्त होनी चाहिए उस उम्र चीजों को भूल जाना गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है। टीनेजर्स में होने वाली इस बीमारी को डेमेंशिया या अल्जाइमर कहा जाता है। आइए जानते हैं आखिर इतनी कम उम्र में इस बीमारी की वजह क्या होती है.? बार-बार भूलने की दिक्कत से न सिर्फ आपको कई मौकों पर शर्मिंदगी उठानी पड़ती है बल्कि यह आपके लिए एल्जाइमर जैसे गंभीर रोग का इशारा हो सकती है।

ऐसे में योग की मदद से आप अपनी याददाश्त तेज कर सकते हैं। हाल में हुए एक अमेरिकी शोध के अनुसार, प्रतिदिन 20 मिनट तक योगासनों का अभ्यास दिमाग के लिए ट्रेडमिल पर घंटों दौड़ने से अधिक फायदेमंद है। आइए जानें याददाश्त बढ़ाने और दिमाग तेज करने वाले कुछ प्रभावी योगासनों के बारे में।

सर्वांगासन

प्रतिदिन सर्वांगासन के अभ्यास से दिमाग में रक्त संचार अच्छी तरह रहता है और याददाश्त तेज रहती है।

– इसे करने के लिए पीठ के बल सीधे लेट जाएं। दोनों पैरों को साथ रखें और हाथों को कमर पर रखें।

– सांस अंदर की ओर लेते हुए दोनों पैरों को को पहले 30 डिग्री के कोण तक उठाएं, कुछ सेकंड इस अवस्था में रहने के बाद 60 डिग्री तक उठाएं और फिर 90 डिग्री तक उठाएं।

– अब सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को नीचे ले आएं और कुछ सेकंड शवासन में लेटें।

नोटः कमर और गर्दन में दर्द के मरीज इस आसन को न करें।

भुजंगासन

भुजंगासन न सिर्फ याददाश्त तेज रखता है बल्कि कमर दर्द से लेकर साटिका और स्लिप डिस्क जैसे रोगों में लाभदायक है।

– इसे करने के लिए पहले पेट के बल सीधे लेट जाएं और दोनों हाथों को कंधों के समानांतर रखें।

– अब सांस लेते हुए हाथों के बल शरीर के अग्रभाग को ऊपर की ओर उठाएं और जितना हो सकें उतना खींचें।

– 30 सेकंड तक इसी अवस्था में रहने के बाद सांस छोड़ते हुए वापस सामान्य अवस्था में आ जाएं।

नोटः हार्निया के मरीज इस आसन को न करें।

कपालभाति प्राणायाम

इसे करने से श्वास की गति सामान्य होती है, एकाग्रता बढ़ती है और मस्तिष्क तक रक्त का प्रवाह अच्छी तरह होता है।

– इसे करने के लिए पहले सुखासन में बैठ जाएं।

– अब गहरी सांस लें और फिर मुंह बंद कर तेजी से सांस बाहर की ओर छोड़ें। इस दौरान पेट की गति साफ दिखनी चाहिए।

– 30 सेकंड बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं।

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कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करना है तो डाइट के साथ-साथ तनावमुक्त बिंदास जीवन जीओ : डॉ. अर्चिता महाजन https://apnidilli.com/23019/ Thu, 15 Feb 2024 11:50:40 +0000 http://apnidilli.com/?p=23019 डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रिशनिस्ट डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्म भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार ने बताया कि जब कोई इंसान ज्यादा तनाव का शिकार होने लगता है तो हेमोकॉन्सेंट्रेशन की सिचुएशन में आ जाता है, ये दरअसल ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में फ्लूइड की कमी हो जाती है, इसी वजह से रक्त में कोलेस्ट्रॉल के कंपोनेंट्स बढ़ने लगते हैं.तनाव और कोलेस्ट्रॉल आपस में कनेक्टेड हैं. ज्यादा तनाव लेने का कोलेस्ट्रॉल ही नहीं ह्रदय रोग से भी संबंध है. ज्यादा तनाव लेने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी हाई हो जाता है. ऐसे में इन दोनों दिक्कतों को कंट्रोल करने के लिए तनाव को भी नियंत्रण में रखना जरूरी हो जाता है.जितना अधिक गुस्सा और शत्रुता जो तनाव आप में पैदा करता है, आपके एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर उतने ही अधिक (और बदतर) होते हैं। तनाव शरीर को चयापचय ईंधन के रूप में अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे यकृत खराब कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल का अधिक उत्पादन और स्राव करता है ।मनोवैज्ञानिक स्ट्रेस या तनाव के कारण लो डेंसिटी वाले एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल हाई हो जाता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई न हो तो आपको भी स्ट्रेस या टेंशन लेने से बचना चाहिए। जब कोई इंसान ज्यादा तनाव का शिकार होने लगता है तो हेमोकॉन्सेंट्रेशन की सिचुएशन में आ जाता है, ये दरअसल ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में फ्लूइड की कमी हो जाती है, इसी वजह से रक्त में कोलेस्ट्रॉल के कंपोनेंट्स बढ़ने लगते हैं.  जब कोई इंसान ज्यादा तनाव का शिकार होने लगता है तो हेमोकॉन्सेंट्रेशन की सिचुएशन में आ जाता है, ये दरअसल ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में फ्लूइड की कमी हो जाती है, इसी वजह से रक्त में कोलेस्ट्रॉल के कंपोनेंट्स बढ़ने लगते हैं डॉ अर्चिता महाजन कपूरी गेट सेवा धाम में रोजाना सुबह 10:00 बजे से 12:00 बजे तक और बाद दोपहर 3:00 बजे से 5:00 बजे तक मंदिर सिद्ध बाबा बालक नाथ( सरपरस्ती अधीन श्री कुणाल भगत जी महाराज) सेवा में उपस्थित है।

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माइग्रेन पेन को दूर करने में योग है बेहद असरदार https://apnidilli.com/22951/ Tue, 30 Jan 2024 12:07:08 +0000 http://apnidilli.com/?p=22951 अलका सिंह (योग विशेषज्ञ)

माइग्रेन एक ऐसी बीमारी है जिसमें असहनीय सिर दर्द होता है। आमतौर पर ये दर्द सिर के आधे हिस्से में होता है, लेकिन कभी-कभी ये सिर के पूरे हिस्से में भी फैल जाता है। माइग्रेन का दर्द किसी भी वक्त उठ सकता है जिसे बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल है। अपने सिरदर्द को कभी इग्नोर न करें और ये जानने की कोशिश करें कि आपको कब माइग्रेन का दर्द उठता है। तेज गंध, डिहाइड्रेशन, एल्कोल का सेवन या बहुत ज्यादा स्ट्रेस की वजह से माइग्रेन का दर्द हो सकता है। कई बार मौसम बदलने या दूसरे कारणों से भी माइग्रेन का दर्द आपको घेर सकता है।

माइग्रेन (Migraine) नाड़ीतंत्र की विकृति से उत्पन्न एक रोग है जिसमे बार बार सिर के अर्ध भाग में मध्यम से तीव्र सिरदर्द होता है।  यह सिर किसी एक अर्ध भाग में होता है और दो घंटे से लेकर दो दिन की अवधि तक रहता है। माइग्रेन के आक्रमण के समय अक्सर रोगी प्रकाश और शोर के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है।  इसके अन्य लक्षणों में उलटी होना, जी मिचलाना तथा शारीरिक गतिविधियों के साथ दर्द का बढ़ जाना शामिल है।

यूनाइटेड किंगडम के एक न्यास के अनुसार केवल यूनाइटेड किंगडम में लगभग 80 लाख लोग इस रोग से ग्रस्त है।  इनमे से लगभग 20 हजार लोगों को प्रति दिन माइग्रेन (Migraine) के दर्द का दौरा पड़ता है। यह भी माना जाता है कि माइग्रेन के रोगियों की संख्या अस्थमा, मिर्गी व मधुमेह के रोगियों की संयुक्त सख्या से अधिक है।

इस रोग का उपचार कैसे किया जाये?

अगर आप वर्षों से सिर के दो टुकड़े कर देने जैसे दर्द से ग्रस्त है या आपको हाल में ही माइग्रेन  के रोग का पता चला है, तो इस दर्द से निजात पाने की दवाओं के अतिरिक्त और भी कई उपाय है। इसमें धमनियों व माँसपेशियों की शल्य चिकित्सा, ओसिपिटल नाड़ी का उद्दीपन, बोटोक्स, बीटा ब्लोकर्स तथा अवसादरोधी औषधियों के प्रयोग से माइग्रेन के दौरों को रोकने की चिकित्सा की जाती है।  पर इन सभी उपचारों के कई घातक दुष्प्रभाव होते हैं।  इन दुष्प्रभावों में हृदयाघात, निम्न रक्तचाप, नींद की कमी, जी मिचलाना इत्यादि प्रमुख है।

तो क्या ऐसा कोई प्राकृतिक तरीका है जिससे हम शरीर को बिना कोई क्षति पहुंचाए इस रोग से मुक्त हो सकें?

“हाँ है” इसका उत्तर योग है। योगासन माइग्रेन को दूर करने के लिए | योग एक प्राचीन स्वास्थ्य रक्षक विधा है जो विभिन्न शारीरिक मुद्राओं व श्वसन क्रियाओं के संगम से सम्पूर्ण स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करती है।  योग से शरीर पर कोई अन्य दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।

 यहाँ उल्लेखित योगों के दैनिक व नियमित अभ्यास से आप माइग्रेन के अगले आक्रमण से निपटने व बचने के प्रभावी उपाय कर सकते हैं।

शिशु-आसन |

यह आसन मस्तिष्क को शांत करता है तथा इसके अभ्यास से व्यक्ति चिंता-मुक्त हो जाता है।

सेतुबन्धासन | 

यह आसन नाड़ी तन्त्र को शिथिल व शान्त करता है तथा प्रभावी रूप से पीड़ा को कम करता है।इस आसन से रक्त संचार बढ़ता है और या मन को शांत करता है।

हस्त-पादासन

सीधे खड़े होकर आगे की तरफ झुकने से हमारे नाड़ी तन्त्र में रक्त की आपूर्ति अधिक होती है जिससे वह प्रबल होता है।  इससे मन भी अधिक शांत होता है।

पश्चिमोतानासन 

बैठ कर दोनों पैरो को आगे की ओर फैला कर, हाथो को पैर की तरफ लेजाते हुए आगे की ओर झुकने से मस्तिष्क शांत होता है और तनाव दूर होता है. इस आसन से सिरदर्द में भी आराम मिलता है।

अधोमुखश्वानासन 

नीचे की ओर चेहरा रखते हुए श्वानासन करने से रक्त संचार में वृद्धि होती है जिससे सिर दर्द से मुक्ति मिलती है।

शवासन

शवासन शरीर को गहन ध्यान के विश्राम की स्थिति में ले जाकर शरीर में शक्ति व स्फूर्ति का संचार करता है।  इसे सभी योग आसनों के अभ्यास के बाद अंत में करना चाहिए।

 अंततः निष्कर्ष निकलता है कि इन साधारण योगासनों के अभ्यास से माइग्रेन के आघात का असर काफी कम हो जाता है और समय के साथ कई बार आप स्थायी रूप से रोग मुक्त हो सकते हैं। अत: अब देर किस बात की? अपनी योग की चटाई खोलिए, प्रतिदिन कुछ समय योग करिए । योग माइग्रेन के रोग में आपकी प्रतिरोधक शक्ति को बढाता है योगाभ्यास से शरीर व मन को बहुत प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।

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वैपिंग पर जारी टॉप रिसर्च, ग्लोबल अनुभव की जांच कर रहे भारतीय स्वास्थ्य अधिकारी  https://apnidilli.com/20077/ Tue, 20 Dec 2022 11:20:54 +0000 http://apnidilli.com/?p=20077 (मूल लेख अंग्रेजी में वरिष्ठ पत्रकार अशोक प्रधान द्वारा लिखा गया है)
भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी लगभग तीन साल पहले वैपिंग पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए दबाव में बने हुए हैं।
भारतीय राजधानी में ऊंचे पदों पर काबिज़ कुछ सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय के अधिकारियों को वैश्विक अध्ययन प्राप्त हो रहे हैं जो सुझाव देते हैं कि स्मोकिंग छोड़ने के लिए सिगरेट की तुलना में वैपिंग एक बेहतर विकल्प है। और यूनाइटेड किंगडम सहित दुनियाभर के कई देशों में डॉक्टर्स एक विकल्प के रूप में वैपिंग की सिफारिश कर रहे हैं।
स्मोकिंग की स्वास्थ्य खराब करने वाली आदत को छोड़ना शायद सबसे अच्छे निर्णयों में से एक है जो आप ले सकते हैं। हालाँकि, इस जानवर की प्रकृति ऐसी है कि यह केवल वापस आने के लिए बाहर जाता है। सदियों से, मानव जाति ने रामबाण खोजने के लिए, स्थानांतरणका एक उपयुक्त रास्ता निकालने का प्रयास किया है।
बहुत से लोग ई-सिगरेट के उपयोग को एक संभावित उपाय मानते हैं जो कई लोगों को स्मोकिंग की आदत से पीछा छुड़ाने में मदद कर सकता है। आंकड़े और यहां तक ​​कि अध्ययन भी इस बात का सुझाव देते हैं कि स्मोकिंग के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका वैपिंग ही है।
हालांकि कुछ मजबूत तर्क भी हैं जो सुझाव देते हैं कि वैपिंग अपनी समस्याओं से भरा एक सेट ला सकता है। नतीजतन, कई अन्य देशों की तरह, वैपिंग को पूरे भारत में भी बैन कर दिया गया था।
*क्या बैन वाकई कोई समाधान है?*
सत्ताधारी व्यवस्था के लिए अक्सर किसी नई इकाई पर बैन लगाना सबसे आसान उपाय होता है। लेकिन कौन सा दिन बैन लगाने के लिए बेहतर है, यह भी बहस का विषय है। दूसरी तरफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई-सिगरेट आदि के उपयोग पर गंभीर विचार किया है, हालांकि इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या नियम कायदे बेहतर अवसर प्रदान कर सकते हैं?
यदि एक अध्ययन में पाया गया है कि निकोटीन जैसे कैमिकल की एक निश्चित मात्रा सूंघने से नुक्सान हो सकता है,  तो ऐसे में क्या यह संभव है कि इसके उपयोग की अनुमति केवल एक निश्चित मात्रा तक ही दी जाए? क्या कम या कोई हानिकारक प्रभाव वाले वैकल्पिक पदार्थ हो सकते हैं? क्योंकि कुल मिलाकर, सिगरेट पीने से ही कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।
*वैपिंग पर ग्रेटर साइंटिफिक डिबेट की जरुरत* 
पॉलिसी बनाते समय सिर्फ तार्किक डिबेट ही महत्वपूर्ण नहीं है, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारीयों को विभिन्न विभागों द्वारा बताया जा रहा है कि इन सब में यह भी महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक जानकारी का अध्यन किया जाए और उसे खुद में समाहित किया जाए। किसी भी अध्ययन के गुण और दोष, जो वैपिंग का सुझाव देते हैं या इसे अस्वीकार करने की मांग करते हैं, उसे अच्छी तरह से सुनने की आवश्यकता है। क्या ई-सिगरेट से पैदा होने वाली समस्याओं का समाधान हो सकता है? क्या वैपिंग किसी तरह से तंबाकू छुड़ाने के प्रयासों का हिस्सा बन सकता है?
इस तरह की डिबेट्स को समझ और खुलेपन के माहौल में होना चाहिए, जहाँ सभी पक्ष अपने जायज दावों को सामने रख सकें।
ऐसे मामलों में निर्णय अक्सर इस आधार पर लिए जाते हैं कि अन्य देशों में क्या किया जा रहा है। हालाँकि, भारत अब एक ऐसे चरण में चला गया है, जहां वह अपने व्यापक रिसर्च के साथ आ सकता है और दुनिया को नेतृत्व प्रदान कर सकता है। इसे ऐसे देखें कि आखिर दुनिया के कितने देश एक नहीं दो-दो वैक्सीन बनाने में सफल हुए हैं?
*न्यूजीलैंड अनुभव*
न्यूज़ीलैंड उन देशों में से एक है जो लोगों को स्मोकिंग छोड़ने में मदद करने के लिए वैपिंग की संभावनाओं के प्रति अधिक खुला हुआ था। जबकि देश के पॉलिसी मेकर्स, वैपिंग की अनुमति देने के लिए अधिक स्वतंत्र हैं, हालांकि इस शर्त पर कि सांस द्वारा ली जाने वाली मात्रा कम हो। यह तम्बाकू सेवन का संभावित रूप से कम हानिकारक तरीका हो सकता है।
हालांकि, न्यूजीलैंडवासियों की एक बड़ी चिंता यह रही है कि इसे बच्चों के लिए लागू नहीं किया जाना चाहिए। बहुत से द्वीप देशों में तमाम लोगों का मानना ​​है कि वैपिंग लंबे समय से मौजूद नहीं है, जिस कारण इसके लम्बे समय के प्रभावों के बारे में पर्याप्त डाटा भी मौजूद नहीं हैं। न्यूज़ीलैंड के अलावा, कुछ अन्य देशों जैसे मॉरीशस, सेशेल्स और इथियोपिया आदि में कथित तौर पर वैपिंग से संबंधित कानून कम सख्त हैं।
*भारतीय संदर्भ*
भारत सरकार ने ई-सिगरेट पर बैन लगाने का निर्णय, मुख्य रूप से अपने लोगों, खासकर युवाओं और बच्चों को एडिक्शन के जोखिम से बचाने के लिए लिया था। ई-सिगरेट पर बैन लगाने पर विचार करने के लिए सभी राज्यों को 2018 में सरकार द्वारा जारी एक सलाह के बाद यह निर्णय आया था। 16 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश ने पहले ही अपने अधिकार क्षेत्र में ई-सिगरेट पर बैन लगा दिया था। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने हाल ही में इस विषय पर एक श्वेत पत्र में, मौजूदा वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ई-सिगरेट पर पूरी तरह बैन लगाने की सिफारिश की है। डब्ल्यूएचओ ने सदस्य देशों से इन प्रोडक्ट्स को बैन करने के साथ-साथ उचित कदम उठाने का भी आग्रह किया है।
*आगे का रास्ता* 
यहां जबकि बैन मौजूद है और कानून का सम्मान किया जाना जरुरी है, इसके बीच वैपिंग के संभावित अच्छे-बुरे परिणामों पर डिबेट जारी रहनी चाहिए। वैपिंग के खिलाफ एक तर्क यह भी है कि यह अन्य तम्बाकू प्रोडक्ट्स के लिए प्रवेश द्वार साबित हो सकता है। यह प्रवेश द्वार इसके उपयोग के लिए भी किया जा सकता है और इसके निकासी के लिए भी किया जा सकता है। वैपिंग, अगर सही तरीके से उपयोग किया जाता है, तो बेशक लाभ मिल सकता है।
प्रत्येक बीतते दिन के साथ अधिक से अधिक रिसर्च सामने आ रही हैं, और ऐसे में एक गुमनाम बीस्ट, सबसे परिचित इकाई के रूप में सामने आ रहा है। सामने आने वाले सभी डेटा और रिसर्च की जांच की जानी चाहिए, जिसे पॉलिसी मेकर्स द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। आखिरकार नीतियों और कानूनों को लगातार विकसित होने की जरूरत है और ऐसे ही यह डिबेट तेज हो जाएगी।
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90 प्रतिशत मरीज गलत तरीके से लेते हैं इन्हेलर : डॉ. सलिल भार्गव https://apnidilli.com/18685/ Fri, 20 May 2022 13:23:58 +0000 http://apnidilli.com/?p=18685 इन्हेलर दवाई लेने का वह उपकरण है जिससे वाष्पीकृत दवा मुँह से ले जाती है और जो स्वांस नलिका में जाकर एक सेकेन्ड के अन्दर अपना कार्य संपादित करने लगती है तथा मरीज को त्वरित लाभान्वित करती है। इन्हेलर उपकरण से स्वांस, दमा, सर्दी, ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी आदि के रोगियों को दवा लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा कि 90 प्रतिशत लोग इन्हेलर गलत तरीके से लेते हैं। जब दवा ही ठीक से नहीं ली जायेगी तो मरीज ठीक कैसे होगा ? किसी से भी डॉक्टर पूछता है कि वह इन्हेलर लेना जानता है, प्रथमतः वह कह देता है- हाँ, जानते हैं। प्रायःकर लोगों ने फिल्मों में देखा होता है, किसी दमा की मरीज महिला से जबरन नृत्य करवाया जाता है, उसकी स्वांस फूलने लगती है, वह इन्हेलर निकालती है तो उससे वह छीन लिया जाता है या निकट कहीं रखा होता है, तो उसे लेने नहीं दिया जाता। तंग करने के उपरांत जब उसके प्राणों पर बन आती है तब उसे इन्हेलर लेने देते हैं। इन दृश्यों को देखकर लोग समझते हैं, केवल इन्हीं आपात स्थितियों में ही इन्हेलर लिया जाता है, जबकि संबंधित रोगियों को इन्हेलर लेना एक नियमित दवा है।
एमजीएम कॉलेज इन्दौर के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. सलिल भार्गव ने एक साक्षात्कार में उक्त जानकारी देते हुए कहा कि अधिकतर लोग इन्हेलर मुँह के सामने करते हैं और दबा देते हैं, जिससे उसकी वाष्पीकृत अधिकतर दवा या तो मुँह में नहीं जाती है या मुँह में जाकर वापिस बाहर निकल जाती है। इन्हेलर लेने के कुछ तरीके हैं, इन्हें ध्यान देकर पढ़ने और तदनुसार इन्हेलर लेने से दवा की सही मात्रा मरीज को मिलती है और उसका लाभ होता है।
1. इन्हेलर की जांच-  इन्हेलर का उपयोग पहली बार शुरू करने से पहले इसे अच्छी तरह हिला लें।  उपयोग शुरू करने से पहले अच्छी तरह हिलाकर पहली भाप हवा में छोड़ दें। 2. इन्हेलर के मुँह का ढक्कन खोलें और देखें कि इन्हेलर का मुँह साफ है कि नहीं। इन्हेलर को अच्छी तरह ऊपर नीचे कर हिलावें। 3. अब एक बार मुँह में हवा भर कर इन्हेलर के ऊपर छोड़ें। 4. इन्हेलर के मुँह को अपने दांतों के बीच में रखें और होंठों से अच्छी तरह जकड़ लें। ऐसे में उसका दबाने वाला पंप ऊपर की ओर रहना चाहिए।
5. धीरे धीरे मुँह से अन्दर की ओर हवा खींचना चालू करें, जब आप हवा खींच रहे हों तब कनिस्तर को थोड़ा दबाएँ और लम्बी स्वांस अंदर की ओर खींचें। 6. पश्चात् इन्हेलर को मुँह से बाहर निकालें और 10 सेकेण्ड तक श्वांस रोक कर रखें। पश्चात् धीरे धीरे नाक से स्वांस बाहर की ओर छोड़ें या जैसा आरामदायक हो स्वांस बाहर की ओर छोड़ें। 7. यदि दूसरी खुराक की जरूरत हो तो एक मिनिट रुकें एवं इन्हेलर को ऊपर-नीचे हिलायें एवं दोबारा ऊपर बताये अनुसार खुराक लें। 8. इन्हेलर लेने में शीघ्रता न करें। यह महत्वपूर्ण है कि खुराक लेने के पूर्व जहां तक संभव हो स्वांस को धीरे-धीरे लेवें। खुराक लेने से पूर्व कुछ समय के लिए आइने के सामने प्रेक्टिस कर लेवें, अगर कहीं चूक हो रही हो तो दोबारा प्रथम बिन्दु से प्रयास करें।
सही तरीके से इन्हेलर से खुराक लेने पर ही दवाई का असर होगा।
प्रस्तुति-  डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
22/2, रामगंज, जिंसी, इन्दौर, मो.9826091247
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हाइपरटेंशन कहीं जानलेवा न बन जाये https://apnidilli.com/18648/ Fri, 13 May 2022 11:59:17 +0000 http://apnidilli.com/?p=18648 हायपरटेंशन अर्थात उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर वह स्थिती हैं जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है, दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये हृदय को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती हैं। उच्च रक्तचाप मे ब्लड प्रेशर बहुत अधिक होता है। उच्च रक्तचाप यह गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है और हृदय रोग, स्ट्रोक और कभी-कभी मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकता है, यह साइलेंट किलर की तरह काम करता है। हर साल विश्व उच्च रक्तचाप दिवस 17 मई को दुनियाभर में जन जागरूकता के लिए मनाया जाता है, इस वर्ष विश्व उच्च रक्तचाप दिवस 2022 की थीम “अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, दीर्घायु जीवन जियें” यह है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार, उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे और अन्य बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देती है। अफ्रीकी क्षेत्र में उच्च रक्तचाप (27%) का उच्चतम प्रसार है जबकि अमेरिका में उच्च रक्तचाप (18%) का प्रसार सबसे कम है। दुनिया भर में 30-79 वर्ष की आयु के अनुमानित 1.28 अरब वयस्कों को उच्च रक्तचाप है, जिनमें से अधिकांश (दो-तिहाई) निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। उच्च रक्तचाप से ग्रस्त अनुमानित 46% वयस्क स्थिति से अनजान है। उच्च रक्तचाप वाले आधे से भी कम वयस्कों (42%) का निदान और उपचार किया जाता है। उच्च रक्तचाप से ग्रस्त 5 में से लगभग 1 वयस्क (21%) में यह नियंत्रण में होता है। उच्च रक्तचाप दुनिया भर में अकाल मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।

लैंसेट अध्ययन के अनुसार, 2016 में भारत में कुल मौतों में हृदय रोग और स्ट्रोक ने लगभग 28.1% का योगदान दिया। हर 10 में से 3 भारतीय हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं। हाइपरटेंशन मौत और विकलांगता का चौथा सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर भी है। भारत में लगभग 20 करोड़ वयस्कों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है। भारत दुनिया में उच्च रक्तचाप के निदान की सबसे कम दरों में से एक है। देश में 60% से 70% के बीच पुरुष और महिलाएं अपनी वास्तविक स्थिति से अनजान हैं। भारत की स्थिति 200 देशों में उच्च रक्तचाप निदान की दर में महिलाओं के लिए 193वें और पुरुषों के लिए 170 वें स्थान पर है। निदान की ऐसी निम्न स्थिति उच्च रक्तचाप की बीमारी को घातक स्तर पर पहुँचाती है, जिससे लोगों को दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्थितियों का शिकार होना पड़ता है। भारत में, उच्च रक्तचाप के साथ रहने वाले वयस्कों (30-79 वर्ष) का प्रतिशत 1990 में 25.52% से बढ़कर 2019 में पुरुषों में 30.59% और महिलाओं में 26.53% से 29.54% हो गया, जैसा कि द लैंसेट में प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में कहा गया है।

भारत में उच्च रक्तचाप का समय पर पता लगाने और बेहतर उपचार से हृदय सम्बंधित रोगों का बोझ कम हो जाएगा। यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में सिस्टोलिक रक्तचाप में 2 मिमी की व्यापक कमी, कोरोनरी धमनी की बीमारी के कारण 151,000 मौतों को रोकेगी और स्ट्रोक के कारण 153,000 मौतों को रोका जा सकेगा। उच्च रक्तचाप को कम करने से दिल का दौरा, स्ट्रोक और गुर्दे की क्षति के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है जैसे :- नमक का सेवन कम करना (प्रतिदिन 5 ग्राम से कम), अधिक फल और ताजी हरी, अंकुरित सब्जियां खाना, तला-भुना, पापड़, अचार, चाट-मसाला खाने पर लगाम लगाना। नियमित व्यायाम, टहलना, पैदल चलना, साइकिल चलाना, एरोबिक, तैराकी जैसे हल्के-फुल्के शारीरिक व्यायाम करना, वजन संतुलित रखना, सभी तरह के नशे से दूरी, पौष्टिक खाद्य लेना व संतृप्त वसा में उच्च खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करना, अब तो  आधुनिक जीवन शैली से दूरी बनाना भी बहुत जरूरी हो गया है। उच्च रक्तचाप की समस्या होने पर चिकित्सक से इलाज करना, चिकित्सक द्वारा बताये गए दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना, तनाव को कम करना, खुशनुमा माहौल बनाये  रखना, सकारात्मक सोच-विचार, खुद पर ग़ुस्सा हावी न होने देना, विचारशक्ति बढ़ाना, शारीरिक और मानसिक मजबूती के लिए योग करना। सबसे जरूरी है खान-पान पर उचित नियंत्रण रखना क्योंकि थोडेसे चटोरी जुबान के स्वाद के चक्कर में अपने पूरे शरीर को खराब कर तड़पा-तड़पा कर मारना और महंगी बीमारियों का शिकार होना कहां की समझदारी है, इस विषय पर गहनता से विचार करना बहुत जरुरी है।

आज भागमभाग के वातावरण में सभी लोग खुद को व्यस्थ बनाये हुए है, खाद्य मिलावट, प्रदुषण, शोर, असंस्कृत व्यवहार, प्रकृति का अतिदोहन, यांत्रिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग के कारण जीवन उलझनभरा हो गया है, ऐसे में अपने सेहत को संभालना बहुत जरुरी है। तनावमुक्त जीवन के द्वारा हम हाइपरटेंशन के साथ ही अनेक घातक बीमारियों से दूर रह सकते है। तनाव नियंत्रण में रखना, हमने अपने देश के नेताओं से सीखना चाहिए, नेताओं की कितनी भी उम्र हों, सत्तापक्ष या विपक्ष में हों, उनपर कितने भी गंभीर आरोप लगे हों या फिर किसी घोटाले में नाम आया हों, या किसी ने उनके लिए अपशब्द, कटुभाषा का प्रयोग किया हों, नेता हर परिस्थिति में सकारात्मक रहकर अपने धैर्य का परिचय देते हुए हमेशा आगे बढ़ते रहते है, नेता हर स्थिति में सक्षम बने रहते है, उम्मीद का दामन नहीं छोड़ते, सभी पार्टियों से संपर्क बनाये रखते है, कितनी भी व्यस्त दिनचर्या हो, वे हमेशा ऊर्जावान नजर आते है, वे सामान्य व्यक्ति की तरह छोटी-छोटी बात पर अपना आपा नहीं खोते है, ये जिंदादिली प्रत्येक मनुष्य ने सीखनी चाहिए। परोपकारी भावना और सद्गुणों को अपनाएं, समाधानी बनना सीखें, प्रकृति से जुड़े, खुश रहें, तनावमुक्त जीवन जियें।

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

मोबाइल नं. 082374 17041

prit00786@gmail.com

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विश्व हृदय दिवस पर, &TV कलाकार स्वस्थ हृदय के लिए अपने रहस्य साझा करते हैं https://apnidilli.com/16660/ Wed, 29 Sep 2021 11:32:55 +0000 http://apnidilli.com/?p=16660 विश्व हृदय दिवस व्यक्तियों और समुदायों के लिए अपने हृदय स्वास्थ्य का प्रभार लेने और हृदय रोगों को रोकने के तरीकों को संबोधित करके जागरूकता फैलाने के लिए एक वैश्विक अभियान है। इस अवसर पर &TV कलाकार – आकांक्षा शर्मा (सकिना मिर्जा, और भाई क्या चल रहा है?), पीयूष सहदेव (पुलिस इंस्पेक्टर राठौर, मौका-ए-वरदात – ऑपरेशन विजय), सपना सिकरवार (बिमलेश, हप्पू की उलटन पलटन), केनिशा भारद्वाज (निशा अग्रवाल, घरेक मंदिर – कृपा अग्रसेन महाराजा की) और आसिफ शेख (विभूति नारायण मिश्रा, भाभीजी घर पर हैं) एक स्वस्थ दिल के लिए अपने रहस्यों को साझा करते हैं।
आकांक्षा शर्मा एंड टीवी के और भाई क्या चल रहा है में सकीना मिर्जा के रूप में दिखीं? साझा करता है, “नृत्य मेरा जुनून है, और यह मुझे स्वस्थ और फिट रहने में भी मदद करता है। यह कैलोरी जलाने का एक मजेदार तरीका है। स्वस्थ भोजन करना जरूरी है। फलों और सब्जियों से भरपूर रंगीन भोजन की थाली आपके चयापचय को बढ़ाती है और जोखिम को कम करती है कोलेस्ट्रॉल।” एंड टीवी के मौका-ए-वरदात – ऑपरेशन विजय में पुलिस इंस्पेक्टर राठौर के रूप में देखे जाने वाले पीयूष सहदेव कहते हैं, “मैं एक सरल मंत्र का पालन करता हूं – स्वस्थ भोजन करें, अच्छी नींद लें और व्यायाम करें। ये तीन कारक आपको एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने और आपको दूर रखने में मदद करते हैं। कई बीमारियों से। मैं उच्च पोषक तत्वों के साथ कम तेल के साथ स्वस्थ भोजन खाना सुनिश्चित करता हूं। मैं कम से कम आठ घंटे की शांतिपूर्ण नींद लेने की कोशिश करता हूं और अपना नियमित कसरत करने के लिए जल्दी उठता हूं।” &TV के हप्पू की उलटन पलटन में बिमलेश के रूप में नजर आने वाली सपना सिकरवार ने साझा किया, “मैं अपने परिवार के स्वास्थ्य के बारे में बहुत खास हूं, और मैं यह सुनिश्चित करती हूं कि हम सभी स्वस्थ दिल के बुनियादी नियमों का पालन करें जिसमें नियमित रूप से तेज चलना, कम मसाले वाले भोजन का सेवन करना शामिल है। और तेल, और बहुत अधिक तनाव नहीं लेना। जिस दिन हम अपने शरीर को एक मंदिर के रूप में मानना ​​​​शुरू करेंगे और एक स्वस्थ जीवन शैली में बदलेंगे, हम अंतर देखना शुरू कर देंगे।” &TV के घर एक मंदिर-कृपा अग्रसेन महाराजा की में निशा अग्रवाल के रूप में नजर आने वाली केनिशा भारद्वाज कहती हैं, “जब मैंने अपना करियर शुरू किया, मेरे माता-पिता नियमित रूप से फोन करता और मुझे याद दिलाता कि अच्छा खाना, आराम करना और दिन भर पर्याप्त पानी पीना। यह अब मेरी दिनचर्या का अभिन्न अंग बन गया है। इसके अतिरिक्त, मैं काम के बीच में बार-बार मेडिटेशन ब्रेक भी लेता हूं जिससे मुझे आराम मिलता है। इस विश्व हृदय दिवस पर, मैं सभी से स्वस्थ खाने, नियमित जांच करने और अपने दिल को खुश और स्वस्थ रखने का आग्रह करता हूं।” फिट और शानदार आसिफ शेख, जिन्हें एंड टीवी के भाबीजी घर पर है में विभूति नारायण मिश्रा के रूप में देखा जाता है, साझा करते हैं, “मुझे पूरा विश्वास है इस कहावत में – ‘स्वास्थ्य ही धन है’। स्वस्थ आहार का पालन करने और कार्डियो व्यायाम में शामिल होने के अलावा, नियमित रूप से अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर की निगरानी करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।”
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एक साथ कई सर्जरी कर नवजात की जान बचाई गई https://apnidilli.com/16637/ Sat, 25 Sep 2021 08:05:17 +0000 http://apnidilli.com/?p=16637  मस्तिष्क और रीढ़ में दुर्लभ जन्मजात विकृति से पीडि़त तीन महीने के शिशु की जटिल जीवनरक्षक सर्जरी करते हुए आकाश हॉस्पिटल, द्वारका के डॉक्टरों ने जान बचा ली। बच्चे के जन्म के चार दिन बाद ही माता-पिता ने शिशु के कमर के पास हल्का जख्म महसूस किया। मस्तिष्क और रीढ़ की विस्तृत जांच और एमआरआई से स्पाइनल कॉर्ड में अपर्याप्त वृद्धि का पता चला जिस कारण स्पाइनल फ्लूइड में कई जगह से लीकेज हो रहा था। ऐसी स्थिति में एकदम किसी बड़े अस्पताल लेकर जाना चाहिए अन्यथा बच्चे में जानलेवा इन्फेक्शन हो सकता है। नवजात की गंभीर  स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों की टीम ने तत्काल एन आई सी यू में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया।
बच्चे को सर्जरी के लिए ले जाने से पहले उसकी स्थिति की जांच के लिए अलग-अलग विभागों की टीम बुलाई गई। बच्चे को दो अलग-अलग सर्जरी की जरूरत थी। एक तो उसके स्पाइनल कॉर्ड में गड़बड़ी ठीक करने के लिए जबकि दूसरी सर्जरी अत्यधिक जमा हुए द्रव को बाहर निकालने के लिए की गई। प्रोग्रामेबल वीपी शंटिंग के नाम से जाने जानी वाली एडवांस्ड चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल करते हुए सर्जरी करने में 5से 6 घंटे लगे। सर्जरी के बावजूद बच्चे के सिर का आकार बढ़ता जा रहा था और बच्चे में दिमाग का दौरा भी विकसित हो गया था, जिसके लिए फिर से शंटिंग की जरूरत पड़ी।
नई दिल्ली स्थित आकाश हेल्थकेयर के न्यूरो सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. अमित श्रीवास्तव ने बताया, बच्चे को 20 दिन के लिए एसिनेटोबैक्टर और एंटीसीजर मेडिकेशन का प्रभाव कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स पर रखा गया और फिर दूसरी बार स्टराइल कल्चर रिपोर्ट के साथ सफल प्रोग्रामेबल वीपी शंट किया गया। नर्व फाइबर को दुरुस्त करने के लिए आखिरी उपाय के तौर पर सर्जरी ही बच गई थी। लिहाजा मस्तिष्क और रीढ़ पर दबाव कम करने के लिए सर्जरी की गई और सामान्य फ्लूइड सर्कुलेशन को बहाल किया गया। इस केस में बच्चे का सफल इलाज हो गया और भविष्य में किसी तरह की विकलांगता की संभावना को भी खत्म कर दिया।
बच्चे की स्थिति स्पाइनल कॉर्ड में दुर्लभ जन्मजात गड़बड़ी से जुड़ी थी जिसमें अन्य हिस्से को प्रभावित किए बिना स्पाइनल कॉर्ड की सफल सर्जरी की गई। आकाश हेल्थकेयर के न्यूरोसर्जरी और स्पाइन सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख,डॉ नागेश चंद्र, ने बताया, इस तरह की कई समस्याओं  के मामले में अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग लक्षण होते हैं। कुछ लोगों में युवावस्था तक कोई लक्षण नजर नहीं आता, जबकि कुछ लोगों में बचपन में ही लक्षण लगातार दिखने लगते हैं। यदि बच्चे को इसी विकृति के साथ छोड़ दिया जाता तो वह बाद की जिंदगी में कई परेशानियों से जूझ सकता था। इसमें चलने फिरने में दिक्कत, सीखने की समस्या, ब्लाडर या पेट की समस्या, स्पाइनल कॉर्ड में जकडऩ महसूस करना जैसी समस्या प्रमुख हैं। स्पाइनल फ्लूइड के लगातार लीकेज के कारण सिर का आकार असामान्य रूप से बढऩे लगता है क्योंकि खोपड़ी के अंदर दबाव बढ़ता जाता है। साथ ही बार-बार सिरदर्द, एक ही चीज का दो-दो दिखना और बढ़ती उम्र के साथ संतुलन बिगडऩा तथा किसी भी वक्त यह स्थिति खतरनाक हो जाने की समस्या होती है।
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कील मुहांसों का घरेलू उपचार : शहनाज़ हुसैन  https://apnidilli.com/16397/ Wed, 25 Aug 2021 12:52:22 +0000 http://apnidilli.com/?p=16397 मुहांसे और ब्लैकहेड्स त्वचा से जुड़ी  समस्याएं है  किसी भी उम्र के लोगों को परेशान कर सकती हैं। यह समस्या महिलाओं और पुरुषों  में बराबर रूप में  देखने   को मिलती हैं। हालांकि कील ,मुहांसे और ब्लैकहेड्स हर तरह की त्वचा पर निकल आते हैं। लेकिन तैलीय त्वचा पर इनका प्रकोप गर्मियों और बरसात में कहीं  अधिक होता है।  

अगर आप  त्वचा पर मुंहासों से ज्यादा ही परेशान हैं  है तो उन्हें दूर करने के लिए घरेलू नुस्खे काफी प्रभावी  साबित होते हैं

कील मुहांसो से छुटकारा पाने के लिए बेसन में थोड़ा सा शहद मिलाकर बने पेस्ट को चेहरे पर लगाकर पानी से धो डालिए। 2 चम्मच बेसन, 2 चम्मच चन्दन पाउडर, एक चम्मच दूध तथा थोड़ी सी हल्दी को मिलाकर पेस्ट बना लीजिए। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाने के कुछ मिनटों के बाद गुनगुने पानी से धो डालिए इस प्रक्रिया से कील मुहांसों से मुक्ति मिलेगी।
धनिया तथा लैमन ग्रास के पेस्ट से कील मुहांसों को रोकने में मदद मिलती है।एक चम्मच धनिया रश तथा एक चम्मच लेमन ग्रास को उबलते पानी में डालकर एक घण्टा तक रहने दें तथा इससे बने पेस्ट को कील, मुहांसों पर लगाकर आधा घण्टा बाद ताजे साफ पानी से धो डालिए। ताजा धनिया पत्तियों के जूस तथा नींबू जूस को मिलाकर कील-मुहांसों तथा ब्लैक हैडस पर लगाकर आधा घण्टा बाद साफ ताजे पानी से धो डालिए।
एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी , एक चम्मच जौ के आटे में  कच्चा दूध , कुछ पुदीने की पत्तियां और थोड़ी सी खस खस मिलाकर स्क्रब बना लें तथा इसे चेहरे पर लगाने के बाद गोलाकार दिशा में स्क्रब करें और बाद में  ताजे पानी से धो डालें /इससे ब्लैक हैड्स की समस्या खत्म हो जाएगी /

मुलतानी मिट्टी, चंदन पाउडर , नीम की पत्तियों का पाउडर  और गुलाब जल को मिलाकर बने मिश्रण   को चेहरे पर लगाकर प्राकृतिक तौर पर सूखने दें  और सूखने के बाद ताजे साफ जल से धो डालें / आप इस फेस पैक को सप्ताह में 3 से 4 बार उपयोग कर सकती हैं । कील  मुंहासे  ठीक होने के बाद चेहरे पर  दिखने वाले  गाढ़े और जिद्दी निशानों को दूर करने के लिए  मुल्तानी मिट्टी एक चम्मच , नींबू का रस,  गुलाब जल तीनों चीजों को मिलाकर बने  फेस पैक को चेहरे पर लगाने के बाद सामान्य बाताबरण में आधा घण्टा तक सूखने दें तथा उसके बाद साफ ताजे पानी से धो डालें । यदि आपकी त्वचा को   नींबू के रस से एलर्जी है   तो आप नींबू के रस की जगह एलोवेरा जेल का उपयोग कर सकती हैं।मुहांसे और ब्लैकहेड्स या वाइटहेड्स की समस्या आमतौर पर तैलीय त्वचा पर अधिक होती है तथा इसके लिए   मुल्तानी मिट्टी और गुलाब जल का फेस पैक का उपयोग करें। इस मिश्रण  को सूखने तक चेहरे पर लगाएं। फिर त्वचा को धोकर साफ कर लें। इस मिश्रण को आप  सप्ताह में 3 से 4 बार इसका उपयोग कर सकती हैं ।आपकी त्वचा सामान्य प्रकृति की है लेकिन आप मुहांसो की समस्या से परेशान हैं तो फेस पैक की यह विधि आपके बहुत काम आएगी।एक  चम्मच केओलिन क्ले,  दो  चम्मच एलोवेरा जेल , दो बूंद टी.ट्री ऑइल इन तीनों को मिलाकर फेस पैक तैयार करें और सूखने तक चेहरे पर लगाएं। ।यदि आपकी त्वचा पर मुहांसे नहीं हैं तो आप बिना टी.ट्री ऑइल का उपयोग करे/ इन दोनों चीजों से फेस पैक बनाकर चेहरे पर लगाएं और सप्ताह में 3 से 4 बार उपयोग करें तथा इस से आपकी त्वचा मुलायम और कोमल बनी रहेगी
(लेखिका अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौन्दर्य बिशेष्ज्ञ हैं और हर्बल क़्वीन के रूप में लोकप्रिय हैं )
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सही डायग्नोसिस और सही समय पर इलाज से बची मरीज की जान https://apnidilli.com/16385/ Tue, 24 Aug 2021 13:34:34 +0000 http://apnidilli.com/?p=16385 कोविड से उबरी 52 वर्षीया मरीज को बार-बार बेहोश हो जाने की स्थिति से सफलतापूर्वक निजात दिलाई गई
18 अगस्त 2021ः फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के डॉक्टरों ने कोविड से उबरी मरीज को बार-बार पड़ने वाले दौरे की स्थिति से निजात दिलाते हुए उनकी जान बचा ली। रेवाड़ी की 52 वर्षीया गृहिणी को बार-बार बेहोशी का दौरा पड़ने की गंभीर शिकायत के बाद फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम लाया गया था। अस्पताल में भर्ती होने से चार दिन पहले से उन्हें यह परेशानी हो रही थी। बेहोश होने पर महिला के चेहरे, होठ, शरीर में असामान्य अकड़न हो जाती थी, इसलिए उसे अस्पताल में ऑक्सीजन की जरूरत महसूस की गई। पहले समझा गया कि वह मानसिक रूप से बीमार है, क्योंकि अपने साथ वाली बेड पर किसी मरीज की मौत हो जाने के बाद से ही उसके लक्षण बढ़े थे। उनकी जांच की गई तो पता चला कि कोविड से उपजी मनोविकृति के कारण दौरा पड़ता है। उन्हें एंटीबायोटिक, एंटीफंगल और एंटीसीजर दवाइयों पर रखा गया। गुरुग्राम स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता ने कहा, ’विस्तृत जांच से पता चला कि उनका एमआरआई और सेरेब्रोस्पाइन फ्लड लेवल सामान्य था, लेकिन उन्हें अधिक ऑक्सीजन देना जरूरी था। उनकी स्थिति को देखते हुए एंटी-सीजर दवाइयां बढ़ा दी गईं और उन्हें पल्स स्टेरॉयड पर रखा गया। धीरे-धीरे दौरा पड़ने की समस्या कम होने लगी और वह होश में आने लगी तो ऑक्सीजन सपोर्ट से हटा दिया गया। वह परिवार से बात करने की स्थिति में आ गई और इंजेक्शन निकालने से पहले कमरे में शिफ्ट कर दिया गया ताकि चल-फिर सके और जल्दी डिस्चार्ज किया जा सके। मामूली कोविड मामलों में बेहोशी और मिरगी के मामले बहुत कम ही होते हैं, लेकिन अधिक गंभीर मामलों में यह स्थिति आ सकती है।’
हालांकि जिन मरीजों को मिरगी की शिकायत पहले से नहीं है, उनमें कोविड से उबरने के बाद दौरा पड़ने की समस्या का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। मरीजों पर गंभीर कोविड संक्रमण के प्रभावों को लेकर अभी शोध हो रहे हैं।
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