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डॉक्टरों को देश में ही रुकना चाहिए और देशवासियों की सेवा करनी चाहिए : गृह मंत्री

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के ऋषिकेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंकÓ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उपस्थित थे।
श्री शाह ने नए स्नातकों को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में वैश्विक तौर पर अग्रणी बनाने संबंधी अपने दृष्टिकोण के तहत युवा डॉक्टरों को एक विशेष मंच प्रदान किया है। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले डॉक्टरों को सलाह दी कि वे केवल अपनी आय अथवा पोस्टिंग के बारे में ही न सोचें, बल्कि भारत के लिए एक विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई तमाम पहलों के करण भारत आज स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काफी बदल चुका है। उन्होंने कहा कि अब उन पहलों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी युवा डॉक्टरों की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के लिए एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली की परिकल्पना की है और उसे लागू भी किया है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि का उल्लेख करते हुए श्री शाह ने कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान 157 नए मेडिकल कॉलेजों की मंजूरी दी गई और उन्हें तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में छह नए एम्स की स्थापना की गई थी, लेकिन आज 16 अन्य एम्स के लिए कार्य प्रगति पर है।
श्री शाह ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संबंधी कल्याणकारी योजना है जिसमें जटिल तृतीयक देखभाल भी शामिल है और इसे डॉक्टरों के लिए एक प्रमुख अवसर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकांश राज्यों ने इस योजना को क्रियान्वित किया है और कुछ ने इस योजना में वृद्धि भी की है।
श्री शाह ने नए डॉक्टरों को सलाह दी कि वे इस बात को हमेशा याद रखें कि डॉक्टर मरीजों के लिए भगवान के समान है। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य सेवा पेशेवर समुदाय के लिए ‘स्वयं से पहले सेवाÓ एक आवश्यक अवधारणा है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को देश में अवश्य रुकना चाहिए और भारत में अनुसंधान को मजबूती देते हुए देशवासियों की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उल्लेख करते हुए कहा कि ज्ञान का वास्तविक सार दूसरों की मदद करने में निहित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारी दृष्टि और सोच को बेहतर किया है और प्रत्येक डॉक्टर का लक्ष्य स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत को ऊपर ले जाना होना चाहिए।

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