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कांग्रेस ने उच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली के तीनों नगर निगमों की फोरेंसिक ऑडिट की मांग की

नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस पार्टी के नेता अभिषेक दत्त (साउथ एमसीडी),  मुकेश गोयल (नॉर्थ एमसीडी) और सुश्री रिंकू (ईस्ट एमसीडी) ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा भाजपा शासित दिल्ली के नगर निगम की फोरेंसिक ऑडिट की मांग की। उन्होंने कहा कि आय के कई स्रोत होने के बावजूद, दिल्ली के नगर निगमों में भाजपा शासन के तहत धन की कमी हो रही है, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी MCDs का बकाया न देकर काफी गड़बड़ी की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा दिल्ली के तीनों नगर निगमों की फोरेंसिक ऑडिट की मांग करती है। उन्होंने कहा कि यदि फोरेंसिक ऑडिट होता है, तो धनराशि में हुई गड़बडी के कारणों के लिए जवाबदेही तय की जा सकती है कि वें कौन से कारण है जिनकी वजह से एमसीडी के कर्मियों, डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स व कोविद -19 महामारी के समय स्वच्छता कार्यकर्ताओं को वेतन नहीं दिया गया।
डीपीसीसी कार्यालय, राजीव भवन में आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, श्री अभिषेक दत्त, श्री मुकेश गोयल और सुश्री रिंकू ने कहा कि तीनों महापौर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद लोगों का ध्यान अपनी नाकामियों व जिम्मेदारियों, कोविड-19 संक्रमण तथा करोना से दिन-प्रतिदिन हो रही मौते व दिल्ली की सीमाओं पर किसान धरने से ध्यान हटाने के लिए काल्पनिक नाटक कर रहे है। सीएम अरविंद ने दावा किया कि उन्हें दिल्ली पुलिस ने उनके ही घर पर मोदी सरकार के निर्देश पर हिरासत में लिया हुआ है क्योंकि मुख्यमंत्री आवास के बाहर मेयरों की हड़ताल है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और AAP के राजनीतिक षडयन्त्र ने MCD और दिल्ली सरकार के कामकाज को ठप कर दिया है। उन्होंने कहा कि एमसीडी में भ्रष्टाचार इतना गहरा है कि वसंत कुंज के एक भाजपा पार्षद को सीबीआई ने 3 दिसंबर, 2020 को घर बनाने वाले एक व्यक्ति से 10 लाख रुपये मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था और वें भाजपा पार्षद आज भी बीजेपी पार्टी के सदस्य बने हुए हैं। आज की इस प्रेसवार्ता में निगम पार्षद अमरलता सांगवान भी मौजूद थी।
श्री अभिषेक दत्त ने कहा कि जब दिल्ली की सत्ता कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित के अधीन थी तब तीसरे वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार 2013-14 में एमसीडी को धन आवंटित किया गया था, जो कि तीन नगर निगमों के प्रत्येक कर्मचारी को कर रसीदों और केंद्र सरकार से मिलने वाले अनुदान का 12.67 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि अरविंद सरकार ने कांग्रेस के उदाहरण का पालन करते हुऐ केवल एक वर्ष के लिए तीसरे वित्त आयोग की सिफारिशों का पालन किया और AAP सरकार पर अभी भी एमसीडी का 626 करोड़ रुपये बकाया है। उन्होंने कहा कि अगर 2019 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने का निर्णय लिया गया था, और अरविंद सरकार ने इसे लागू किया था, तो इसे दिल्ली सरकार के बजट अनुमान के अनुसार एमसीडी को 7169 करोड़ रुपये देने चाहिए थे जो नही दिए गए।
श्री मुकेश गोयल ने कहा कि अगर अरविंद सरकार ने 2013-14 में विकास कार्यों के लिए कांग्रेस सरकार के 12.46 प्रतिशत फंड आवंटन के पैटर्न का पालन किया था, तो तीन एमसीडी को अब तक दिल्ली सरकार से 4563 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि यह एक अजीब बात है कि भाजपा के तीनों महापौर कर्मचारियों के वेतन के भुगतान के लिए धन का आवंटन न करने के विरोध में है। कर्मचारियों के दबाव के बावजूद, अरविंद सरकार ने भी एमसीडी द्वारा विकास कार्यों के लिए धन वापस ले लिया है।
सुश्री रिंकू ने कहा कि एमसीडी स्वास्थ्य विभागों को 22453 डीबीसी (घरेलू प्रजनन चेकर्स) श्रमिकों की आवश्यकता होती है लेकिन तीन एमसीडी ने एक साथ केवल 3500 कर्मचारियों को ही नियुक्त किया है, और यह कर्मचारी डेंगू प्रसार की ठीक से जांच करने के लिए अपर्याप्त है। उसने कहा कि यह एक बडे ही आश्चर्य की बात है कि कोरोना वारियर्स, जिन्होंने कोविद -19 महामारी के दौरान अपनी खुद की जान जोखिम में डालकर निस्वार्थ दिल्ली की जनता की जान बचाने की एक अहम भूमिका निभाई है उन कर्मियों को भी अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया है। उसने कहा कि अरविंद सरकार दिल्ली के नगर निगमों के नियंत्रण में अस्पतालों को संभालने की कोशिश कर रही है, हालांकि विडंबना यह है कि दिल्ली सरकार कोरोना महामारी के दौरान अपने स्वयं के अस्पतालों का प्रबंधन करने में विफल रही है।

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