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श्री वेंकटेश्वर कॉलेज के हिन्दी विभाग द्वारा ऑनलाइन काव्योत्सव का आयोजन

नई दिल्ली। श्री वेंकटेश्वर कॉलेज के हिन्दी विभाग ने ऑनलाइन काव्योत्सव का आयोजन किया। जिसमें हिन्दी के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध कवियों ने काव्य पाठ किया। सर्वप्रथम हिन्दी विभाग के प्रभारी डॉ. जितेंद्र कालरा ने विद्यार्थियों व प्राध्यापकों से कवियों का परिचय करवाया।
कॉलेज प्राचार्य डॉ. शीला रेड्डी ने खुले दिल से आमंत्रित कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि कॉलेज में काव्य पाठ के आमंत्रण को स्वीकार कर सम्माननीय कवियों ने इस पल को ऐतिहासिक बना दिया है। विभाग की वरिष्ठ सदस्या एवं कवियित्री डॉ. पुष्पलता भट्ट ‘पुष्प’ ने काव्यांजलि के रूप में बसंती रंग में सरोबोर पंक्यिों से कवियों का स्वागत किया तथा अपने कुशल व शानदार संचालन से कवि सम्मेलन को रोमांचक बना दिया।
आकाशवाणी के पूर्व महानिदेशक लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने अपने सुंदर काव्य पाठ से सबका मन मोहते हुए अपनी सांस्कृतिक भव्यता के स्वर्णिम पक्ष को ‘वे लोग’ कविता के माध्यम से उजागर किया।
काश ऐसे लोगों का बन सकता एक संग्रहालय
आने वाली पीढिय़ों के लोग, जान पाते
जीने का एक अंदाज, ऐसा भी था।
डॉ. दमयन्ती ने अपने सुरीले अंदाज में मांहिया, गीत व मुक्तकों की रसधारा बहा श्रोताओं के हृदय को आप्लावित किया। इस अवसर पर आजादी के परवानों के जुनून को नमन करते हुए उन्होंने कहा-
तुम् हीं खेलों खिलौनों से, रचाओ ब्याह गुडिय़ों का।
मेरी दुल्हन है, आजादी, मुझे उसकी खुमारी है।
डॉ. कुंवर बेचैन ने अपने चिर परिचित मोहक अंदाज में गीत व गजल सुना श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया7 इस अवसर पर बसंती हवा को आमंत्रण देना भ्ीा वे नहीं भूले-
बड़े दिनों के बद, खिड़कियां खोली हैं
ओ बसंती हवा, हमारे घर आना।
अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने अपने काव्य पाठ का आरंभ करते हुए जैसे ही अपनी ‘डिजिटल’ कविता सुनाई छात्र-छात्राओं ने करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया और फरमाइश करते हुए एक के बाद एक कई गीत सुने। पंडित नीरल के गीतों की गंगा में डुबकी लगा श्रोताओं के मन को एक सुखद अनुभूति का अहसास हुआ-
हंसते अनुप्रयास मिले, सांसों के तुलसी दल में।
तैरते छंद हों ज्यों, गीत के गंगाजल में।
पंडित नीरव के विशेष आग्रह पर कार्यक्रम की संचालिका डॉ. पुष्पलता भट्ट ‘पुष्प’ ने ‘सरहद पर’ कविता सुना शहीदों की शहादत को नमर करते हुए ऐसा करुण बिम्ब प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर सभी की आंखें नम हो गईं-
रक्तबीज बोने वालों तुम, कांधे पर क्यों लाशें ढोते?
गोली, एक चलाते हो, पर छलनी कितने सीने होते।
अंत में डॉ. दमयन्ती शर्मा ‘दीपा’ ने कुमाउंनी लोक गीत ‘स्वर्गी तारा जुन्याली राता’ सुनाकर सबको लोक संस्कृति से जोड़ा। इस अवसर पर हिन्दी विभाग से डॉ. ऋचा मिश्रा, डॉ. पूनम सूद, डॉ. लता, डॉ. अर्चना अन्य विभागों से डॉ. बेबी, डॉ. नंदिता, डॉ. नमिता, डॉ. अजय सिंह, कालेज के छात्र-छात्राओं की गरिमामय भागीदारी ने कवि सम्मेलन सौंदर्य में चार चांद लगा दिए। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. लता ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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