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काव्य परंपरा गोष्ठी में साहित्य जगत से जुड़ी विभूतियों को श्रद्धांजली अर्पित की

नई दिल्ली। आईपेक्स भवन वेलफेयर सोसाइटी की प्रतिष्ठित मासिक काव्य परंपरा गोष्ठी की श्रृंखला में 125 वीं गोष्ठी ऑन-लाइन संपन्न हुई। इस बार की गोष्ठी को कोरोना काल में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए साहित्य जगत से जुड़ी विभूतियों को श्रद्धांजली के रूप में समर्पित किया गया। इन विभूतियों में प्रख्यात कलमकार पद्मश्री नरेंद्र कोहली (दिल्ली), गीतकार डॉ. कुंवर बेचैन (गाजियाबाद), गीतकार राजेंद्र राजन (सहारनपुर), राष्ट्रवादी कवि वाहिद अली वाहिद (लखनऊ), के साथ-साथ परंपरा के मंच से जुड़े स्व. जगदीश अग्रवाल (पिता-कविं राजेश अग्रवाल, दिल्ली), स्व. साधना व्यास (धर्मपत्नी कवि श्री गोविंद व्यास, दिल्ली), एवं स्व. देवेंद्र शर्मा (भ्राता कवि श्री योगेंद्र शर्मा, भीलवाडा) को भी भाव-भीनी श्रद्धांजली दी गई।
सभी दिवंगत आत्माओं के करीबी आत्मजनों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इनमे डॉ कुंवर बेचैन की बेटी वंदना कुँवर, कवि वाहिद अली वाहिद की बेटी अंजुम, पद्मश्री नरेंद्र कोहली के सुपुत्र, स्व. देवेंद्र शर्मा के भ्राता कवि योगेंद्र शर्मा आदि सभी के भावपूर्ण शब्दों ने माहौल को बहुत भावुक बना दिया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल, पद्मश्री कवि सुरेन्द्र शर्मा, कवि डॉ. प्रवीण शुक्ल, कवि दिनेश रघुवंशी, कवि चिराग जैन, कवि रसिक गुप्ता, कवि दिनेश अवस्थी, केन्द्रीय हिन्दी विभाग के उपाध्यक्ष अनिल जोशी, समेत साहित्य जगत की तमाम हस्तियों ने अपनी यादें साझा की।
पद्मश्री कवि सुरेन्द्र शर्मा ने सबको अकाल मृत्यु की असहनीय पीड़ा सहने की प्रेरणा दी। कुरुक्षेत्र के दृष्टांत के साथ, जहां अपनों की मृत्यु के बीच बचे हुए योद्धाओं ने अंतिम साँसों तक अपना धर्म युद्ध जारी रखा, कवि चिराग जैन ने सभी को अपनी प्रतिबद्धता के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित किया। डॉ. प्रवीण शुक्ल ने अपने गुरु डॉ. कुँवर बेचैन के बारे में अविस्मरणीय यादे साझा करते हुए बताया की वो एक ऋषि तुल्य व्यक्तित्व थे। नए कलमकारों को अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच न सिर्फ समय देते वरन उन्हे प्रोस्तासित करने के लिए।
उनकी अच्छी रचनाओं पर इनाम भी दिया करते थे। अनिल जोशी ने आज के समय के वाल्मीकि पद्मश्री नरेंद्र कोहली से जुड़े कई प्रेरणादायक प्रसंग साझा किए। उनकी कृति दीक्षा से शुरू हुई सफल साहित्य यात्रा से लेकर आज तक के तमाम व्यक्तिगत अनुभवों ने श्री कोहली के व्यतित्व की विशालता का दर्शन करवाया। कवि राजेश अग्रवाल ने अपने पिताश्री जगदीश अग्रवाल के संदर्भ में कहा की उनकी सभी सफलताओं के मूल में उनके पिता ही हैं। राजेश अग्रवाल ने अपने पिता के साहित्य प्रेम, कवि सम्मेलनों से लगाव, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा और उनके व्यक्तित्व के अनेक पहलुओं से अवगत कराया। हिन्दी भवन के महामंत्री व काव्य परम्परा के सरंक्षक गोविद व्यास की जीवन संगनी साधना व्यास के सम्बन्ध में साहित विभाग के चैयरमैन सुशील गोयल ने भाव भीनी श्रद्धान्जली अर्पित करते हुऐ उनकी मामतामयी, प्रेरेणा दायक, शिक्षिका के स्वरूप पर प्रकाश डाला। ओज के कवि योगेन्द्र शर्मा ने अपने पिता तुल्य शिक्षाविद् भ्राता देवेन्द्र शर्मा को श्रद्धांजली देते हुऐ भावुक हो गये। उनकी आंखे सजल हो उठी। कार्यक्रम के समन्वयक कवि श्रेष्ठ राजेश चेतन ने सभी के साथ अपने जीवने के सस्मरण साझा किये।
संस्था के महामंत्री सुरेश बिंदल ने सभी विभूतियों से जुड़ी यादों और उनके योगदान का उल्लेख किया। इस क्रम में संस्था के प्रधान प्रमोद अग्रवाल, चेयरमैन सुशील गोयल व समाज के अनेकानेक गणमानय जनों ने अपने शब्द सुमन अर्पित किए। गोष्टी का सफल संचालन वरिष्ठ कवि व संस्था के सलाहकार कवि राजेश चेतन किया। कोरोनाकाल की भेंट चढ़ रहे तमाम लोगो के लिए सभी ने ईश्वर से कामना की और इस कठिन समय की समाप्ती के लिए सामूहिक प्रार्थना की।

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