उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 – कौन सी पार्टी मजबूत स्थिति में ?
डॉ अजय कुमार मिश्रा
लोकतान्त्रिक व्यवस्था की एक खूबसूरती यह भी है की पांच वर्षो पश्चात् आपको जनता के सम्मुख पुनः वोट के लिए अपनी उपलब्धियों के साथ पहुँचना होता है | जनता आपको न केवल मूल्यांकित करती है बल्कि अपने उद्देश्यों में फिट पाने के पश्चात् ही आपको पुनः सत्ता चलाने का अवसर देती है | सोशल मीडिया, इन्टरनेट की पहुँच तेजी से ग्रामीण इलाकों तक में होने से लोगों में न केवल जागरूकता बढ़ी है बल्कि लोग अन्य राज्यों की उपलब्धियों और प्रशासन की तुलना भी करने लगे है | ऐसे में राजनीतिक दलों को अपनी प्राथमिकता समूह में बनाये रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है | देश की राजनीति का केंद्र बिंदु जहाँ से न केवल सत्ता बड़ी आबादी वाले प्रदेश की प्राप्त होती है बल्कि केंद्र में किसकी सरकार आनी है लगभग तय हो जाता है | यहाँ की राजनीति से न केवल केंद्र की राजनीति निर्धारित होती है बल्कि राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद चुननें में भी विशेष भूमिका अदा करता है | जी हाँ हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की जो आगामी वर्ष में होना अपेक्षित है और सभी राजनैतिक पार्टियाँ सत्ता प्राप्त करने के लिए कठीन कार्य में लगी है |
यदि देखा जाये तो मौजूदा सरकार को पुनः सत्ता में आने के लिए कोरोना काल की चुनौतियों, किसान बिल विवाद, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से न केवल दो-चार होना होगा बल्कि अनेकों महत्वपूर्ण उपलब्धियों को सीधे जनता को कैसे अवगत कराना है यह भी सुनिश्चित करना होगा | पार्टी में आन्तरिक दुरी और विभिन्न अफवाहों से न केवल सम्बंधित लोगों में बल्कि जनता में भी हलचल रही है | प्रदेश में मुख्यमंत्री के नेतृत्व की पहली और कड़ी परीक्षा होने का समय आने वाला है जिसे जनता अपने विभिन्न कसौटियों पर आकलन करके वोट करेगी | मुख्यमंत्री के नेतृत्व में यह पहला और बेहद महत्वपूर्ण चुनाव होगा जिसे जीत कर इन्हें न केवल अपने कार्यो को प्रमाणित करना होगा बल्कि आगामी पांच वर्षो के भरोसे को भी बनाये रखने का आश्वासन देना होगा | विपक्ष का जमीनी स्तर पर पुरे पांच वर्षो तक संघर्ष न करना, मात्र ट्विटर पर ट्विट करके राजनीति करना, अच्छे वक्ताओं की कमी, जन मानस से दुरी कही न कही मौजूदा सरकार के ही पक्ष में है |
वर्ष 2007 के विधान सभा चुनावों में जहाँ मायावती के नेतृत्व में बहुजन समाजवादी पार्टी ने 206 सीटों पर चुनाव जीत कर पांच वर्षो तक सत्ता सम्हाला था और उन्हें इस बात का तनिक भी एहसास नहीं था की वर्ष 2012 के चुनाव में वो सत्ता बचाने में असफल होगी | जबकि मायावती के कार्यकाल के दौरान उनके मजबूत प्रशासन की जबरजस्त चर्चा रही थी | वर्ष 2012 में मुलायम सिंह के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने 224 सीटों पर चुनाव जीत कर, अप्रत्याशित बदलाव करते हुए अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया और उनके कार्यो और विकास को नारा दिया गया “काम बोलता है” | पर समाजवादी पार्टी भी 2017 के विधानसभा चुनाव में सत्ता बचा न पायी और भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटों पर जीत दर्ज कराया | यह और भी चौकाने वाला इसलिए रहा की भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव पूर्व बिना मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा के चुनाव लड़ा था | यानि की आगामी 2022 चुनाव में अपने नेतृत्व के दम पर 2007 में चुनाव जितने वाली मायावती की, अखिलेश यादव के अपने पांच वर्षो के सत्ता और पांच वर्षो के विपक्ष के अनुभवों की, कांग्रेस के वर्षो से अपनी जमीन के तलाश की और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की भी कड़ी परीक्षा होनी है | आम आदमी पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन पार्टी इस चुनाव के जरिये अपनी भविष्य की यात्रा आरंभ कर सकती है |
उत्तर प्रदेश की जनता के चुनावी मूड को समझने के लिए विगत के तीन विधानसभा चुनावों में प्रमुख पार्टियों को प्राप्त वोट प्रतिशत को यहाँ समझना जरुरी है जिससे 2022 के चुनाव की अपेक्षित तस्वीर को समझा जा सकता है | वर्ष 2007 के चुनाव में बीएसपी 30.43 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 7.37 प्रतिशत अधिक), एसपी 25.43 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 0.06 प्रतिशत अधिक), भाजपा 16.97 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 3.11 प्रतिशत कम) और कांग्रेस 8.61 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 0.35 प्रतिशत कम) वोट प्राप्त हुए थे | बहुजन समाज पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ और मायावती ने पांच वर्षो तक प्रदेश का नेतृत्व किया था | वर्ष 2012 के चुनाव में बीएसपी 25.91प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 4.52 प्रतिशत कम), एसपी 29.15 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 3.70 प्रतिशत अधिक), भाजपा 15 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 1.97 प्रतिशत कम) और कांग्रेस 11.63 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 3.04 प्रतिशत अधिक) वोट प्राप्त हुए थे | समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ था और अखिलेश यादव ने पांच वर्षो तक प्रदेश का नेतृत्व किया था | वही 2017 के चुनाव में बीएसपी 22.23 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 3.68 प्रतिशत कम), एसपी 21.82 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 7.33 प्रतिशत कम), भाजपा 39.67 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 24.67 प्रतिशत अधिक) और कांग्रेस 6.25 प्रतिशत (पूर्व के चुनाव से 5.38 प्रतिशत कम) वोट प्राप्त हुए थे | भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ और योगी आदित्यनाथ प्रदेश का नेतृत्व कर रहें है | ये आकड़े इस बात के सटीक गवाह है की प्रदेश की जातिगत राजनीति में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी कार्यशैली और केंद्र की जनकल्याण नीतियों से गहरी पैठ बनाकर अधिक वोट प्रतिशत को प्राप्त किया है | लोगो का विशवास बनाये रखना भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद जरुरी है |
चुनावी घोषणाओं पर अमल कर कार्यवाही करना, प्रत्येक बूथ तक टीम को संगठित करना, एक प्रदेश में हो रहें चुनाव में देश की बड़ी-छोटी सभी हस्तियों को महीनो पहले प्रचार प्रसार में लगा देना, जनता के मुद्दों के अनुरूप कार्य करना, अपनी पूर्ण शक्ति और रणनीति के साथ चुनाव लड़ना, शीर्ष नेतृत्व द्वारा आम जनता से सीधे संवाद करना भारतीय जनता पार्टी को अन्य पार्टियों से अलग करता है साथ ही सभी जाति धर्म समुदायों को अपने साथ जोड़ने की नवीनतम कला विधि से ये अपना प्रमुख स्थान आगामी चुनाव में बनाये हुए है | अन्य पार्टियों की कमजोर रणनीति, असंगठित टीम, आम जनता से सीधे संवाद न करने, और विवादास्पद बयान, अधूरी चुनावी रणनीति में व्यापक बदलाव करने की जरूरत है | मौजूदा परिस्थिति में भले ही भारतीय जनता पार्टी मजबूत स्थिति में दिख रही हो परन्तु यह भी सोचनीय विषय है की पिछले तीन बार के चुनावों के इतिहास को देखे तो सत्ता में रहने वाली पार्टी को जनता ने दोबारा सत्ता में आने का मौका नहीं दिया है | प्रदेश के चुनाव में अभी भी समय है अपनी बदली रणनीति, प्रभावशाली आम जनता से संवाद, संगठित टीम, जमीनी मुद्दों को प्रकाश में लाकर जमीनी रूप से कार्य करने पर चुनावी परिणाम में कई पार्टिया अपनी मुख्य भूमिका निभा सकती है ऐसे में चुनावी परिणाम कुछ भी हो सकता है | क्योंकि राजनीति सिर्फ तथ्यों और आकड़ों की अपेक्षा जनता के मन में चल रही रणनीति से ही निर्धारित होती है | जिसकी बागडोर विशवास जीत कर कोई भी ले सकता है |