कैट ने 1 प्रतिशत टीडीएस के प्रस्ताव को वापिस लेने की मांग का विरोध किया
नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने मीडिया रिपोर्टों के हवाले से अमेजऩ और फ्लिपकार्ट द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट में ई कॉमर्स व्यापार पर 1 प्रतिशत टीडीएस लगाने के प्रस्ताव को वापिस लेने की मांग की तीखी आलोचना की है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने इस मांग का होरदार प्रतिवाद करते हुए कहा कि यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि उद्योग संगठन फिक्की द्वारा सरकार को अधिक राजस्व कैसे मिले इस पर सुझाव देने के बजाय उन ई-कॉमर्स कंपनियों की पैरवी कर रही है जो न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी अनैतिक व्यापार प्रथाओं के लिए दोषी पाए गए हैं और टैक्स के दायरे से बचाने के लिए ई-कॉमर्स पर 1 प्रतिशत टीडीएस लगाने के सरकार के प्रस्ताव को वापिस लेने में जुटी है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने अमेजऩ एवं फ्लिपकार्ट तथा फिक्की के इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ई-कॉमर्स लेन-देन पर 1 प्रतिशत टीडीएस का प्रस्तावित कर न केवल कर राजस्व में वृद्धि के लिए, बल्कि ई कॉमर्स पर होने वाले संदिग्ध व्यापार को सुव्यवस्थित करने के लिए सरकार का एक सही कदम है। यह सर्वविदित तथ्य कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफार्मों पर बेचे जाने वाले उत्पादों पर उचित बाजार मूल्य के बजाय कृत्रिम रूप से कम की गई कीमतों पर जीएसटी कर लेती हैं जिससे सरकार को बड़ी मात्रा में जीएसटी कर का नुक्सान होता है। यह मांग एक तरीके से कर विभाग से बचने का एक प्रयास है।
फिक्की द्वारा यह दलील देना इस टीडीएस कर से इन कंपनियों को अपूरणीय क्षति होगी और इन पर कर अनुपालन बोझ बढ़ेगा और यह छोटे ऑनलाइन विक्रेताओं के लिए हानिकारक होगा, बेहद ही तर्कहीन दलील है। श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा कि टीडीएस अंतत: उपभोक्ता द्वारा वहन किया जाएगा और विक्रेता या ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कोई बोझ नहीं होगा। जबकि दूसरी तरफ, जब व्यापारी जो तकनीक से लैस भी नहीं हैं, वे कानूनों का अनुपालन कर रहे हैं तो तकनीकी कंपनियों के लिए यह अनुपालन बोझ क्यों है। इस तरह के तर्क सरकार और कर अधिकारियों की निगाहों से बचने प्रयास के अलावा कुछ नहीं हैं।
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल दोनों ने कहा कि प्रस्तावित 1 प्रतिशत टीडीएस कर राजस्व वृद्धि के लिए जरूरी है। कैट केंद्रीय वित्त मंत्री से ई-कॉमर्स कंपनियों के दबाव के आगे नहीं झुकने का आग्रह करेगा तथा ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा माल की डिलीवरी पर कैश ऑन डिलीवरी (सीओडी) पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग करेगा क्योंकि डिजिटल इंडिया के लिए प्रधानमंत्री मोदी के विजन को पूरा करने के लिए ई प्लेटफॉर्म पर डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है।
यह बेहद खेदजनक है कि फिक्की जैसा संगठन गैर जिम्मेदाराना मांग कर रहा है। फिक्की ने कभी भी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अपने ई-कॉमर्स पोर्टलों पर की जा रही कुप्रथाओं के मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं कहा। ई-कॉमर्स कंपनियों का समर्थन करना, जो पहले से ही भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों के साथ-साथ अपने व्यापारिक व्यवहारों के बारे में बहुत ही दुस्साहसी हैं और कैट ने फिक्की द्वारा की गई ऐसी मांग की कड़ी आलोचना की है।
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल दोनों ने कहा कि जल्द ही कैट का एक प्रतिनिधिमंडल वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से मुलाकात करेगा ताकि ई-कॉमर्स कंपनियों विशेषकर अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट द्वारा जीएसटी कर राजस्व से बचने के मुद्दे पर जांच के लिए आग्रह करेगा। दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि हम अपने आरोपों की पुष्टि के लिए वित्त मंत्री को इस बारे में पर्याप्त सबूत सौंपेंगे।