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रेलवे तथा रक्षा क्षेत्रों में इस्पात उपयोग बढ़ाने से रोजगार सृजन में मदद मिलेगी : धर्मेन्द्र प्रधान

नई दिल्ली। केन्द्रीय इस्पात और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से इस्पात मंत्रालय द्वारा भारतीय इस्पात रेलवे तथा रक्षा क्षेत्र में इस्पात उपयोग बढ़ाने के बारे में आयोजित कार्यशाला में शामिल हुए। इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य इस्पात आपूर्ति तथा इस्पात उत्पादन में खाई और उपलब्ध अवसरों को चिन्हित करने के लिए रेलवे तथा रक्षा क्षेत्रों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करना है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि रणनीतिक बाध्यताओं के अतिरिक्त रेलवे तथा रक्षा क्षेत्रों में इस्पात उपयोग बढ़ाने की व्यापक आर्थिक और सामाजिक बाध्यताएं हैं। उन्होंने कहा कि इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी। इस्पात मंत्रालय को इस्पात उद्योग, रेलवे तथा रक्षा क्षेत्रों के बीच सेतु की भूमिका में काम करते हुए कि एक रणनीतिक पत्र तैयार करने की बात कहीं, जिसमें घरेलू आवश्यकता पूरी करने के लिए इस्पात उद्योग के साथ मिलकर कार्य योजना बनाने के लिए विशेष दीर्घकालिक आवश्याकताओं को बताया जाए।
आयात कम करने के बारे में उन्होंने रेलवे तथा रक्षा क्षेत्र में शून्य आयात पर बल देते हुए कहा कि स्वदेशी को समर्थन देने के लिए घरेलू उद्योग द्वारा आवश्यकता के मुताबिक विशेष इस्पात के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस्पात उत्पादन में समर्थन देने वाले स्टार्ट-अप के लिए व्यवस्था बनाने की आवश्यकता पर बल दिया और निवेशकों तथा उद्योग से देश हित में एकसाथ आने का आग्रह किया।
उन्होंने बताया कि जापान और कोरिया पहले कच्चा सामान मंगाते थे और फिर निर्यात के लिए मूल्यवद्र्धित इस्पात का उत्पादन करने लगे। अब उन्हें बढ़ती लागत का अनुभव हो रहा है। इसलिए भारतीय उद्योग और मंत्रालय के लिए घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय मांग पूरी करने के लिए मूल्य वद्र्धित इस्पात के उत्पादन के लिए कार्य योजना बनाने का उचित समय है।
श्री प्रधान ने कहा कि हमारी सरकार ने ‘हर काम देश के नामÓ मिशन की शुरूआत की है। उन्होंने कहा है कि हमारे सभी कार्य मजबूत और अधिक समृद्ध नया भारत बनाने की दिशा में होने चाहिए। इस्पात क्षेत्र के लिए शून्य दुर्घटना कार्य स्थल सुनिश्चित करने के लिए श्री प्रधान ने लौहा तथा इस्पात क्षेत्र के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों को जारी किया।
रेल बोर्ड तथा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठश अधिकारियों ने रेलवे के लिए इस्पात के महत्व पर बल दिया। पिछले वर्ष भारतीय रेल में 7 एमटी इस्पात की खपत हुई और यह खपत पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत बढ़ी। भारतीय रेल की योजना विविध ट्रैकिंग, उच्च गति की परियोजना के माध्यम से भीड़भाड़ कम करना और 58 सुपर क्रिटिकल परियोजनाओं पर फोकस करना है। इस परियोजनाओं से तेज गति से मांग बढऩे की संभावना है। इसके अतिरिक्त अथवा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजनाओं में अगले पांच वर्षों में 17 एमटी इस्पाजत की खपत होने की आशा है। कार्यशाला में फोर्ज एक्साल तथा पहियों की घरेलू मांग पूरी करने के लिए भारतीय रेल और सेल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताकक्षर किये गये।

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