ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों के लिए 12वीं तक निशुल्क शिक्षा के लिए कानून में बदलाव से सरकार का इनकार
नई दिल्ली। देशभर के निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को 12वीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा देने के लिए केंद्र सरकार ने शिक्षा के अधिकार कानून में बदलाव करने से सनकार कर दिया है। सरकार ने उच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल करते हुए यह जानकारी दी है। इसमें कहा गया है कि सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 को जल्द से जल्द लागू करने की कवायद कर रही है।
जस्टिस नज्मी वजीरी के 4 मार्च के आदेश पर केंद्र सरकार ने यह हलफनामा दाखिल किया है। न्यायालय को बताया गया है कि 20 साल के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 तैयार किया गया है और 2030 तक इसके प्रावधानों को लागू कर दिया जाएगा। सरकार ने कहा है कि 2030-40 के दशक में पूरी तरह ने नई शिक्षा नीति प्रभावी रहेगी और इसके बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। सरकार ने कानूनी पहलुओं का हवाला देते हुए कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के सिर्फ एक प्रावधान में संशोधन करने के बजाए, इसे समग्रता में देखना होगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत ईडब्ल्यूएस और वंचित समूह के बच्चों को 8वीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा देने के प्रवाधन को महज 17 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों ने ही लागू कियाहै। इसके अलावा सरकार ने कहा है कि ‘जहां तक दिल्ली का सवाल है तो यहां पर आरटीई में बदलाव नहीं किए जाने के बाद भी छात्रों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी।
केंद्र सरकार ने कहा है कि राजधानी में दिल्ली सरकार के स्कूलों में भी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था है, ऐसे में निजी स्कूलों में 8वीं कक्षा तक शिक्षा पाने वाले ईडब्ल्यूएस व वंचित समूह के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। सरकार ने कहा है कि 8वीं कक्षा के बाद निजी स्कूलों में निशुल्क पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला देने का प्रावधान है। साथ ही कहा है कि राजधानी में निजी व सरकारी दोनों स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है, ऐसे में पाठ्यक्रम भी एक समान है। उच्च न्यायालय ने आदेश के बावजूद ईडब्ल्यूएस व वंचित समूह के बच्चों के लिए 12वीं तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान नहीं करने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। न्यायालय ने सरकार के वकील से पूछा था कि कानून के तहत निजी स्कूलों में पढ़ने वाले ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चे आठवीं कक्षा के बाद आखिर कहां जाएंगे, दरअसल, शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में इस श्रेणी के बच्चों के लिए सिर्फ आठवीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। न्यायालय ने यह आदेश वकील अशोक अग्रवाल की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर विचार करते हुए दिया था।
साभार: हिन्दुस्तान लाइव