धर्म-कर्म

नरक से मुक्ति दिलवाते हैं अगस्त्येश्वर महादेव

महाकाल की नगरी उज्जैन में महाकाल ज्योर्तिलिंग के अलावा 84 महादेव भी स्थापित हैं जिनका अपना-अपना अलग महत्व है। इन 84 महादेवों के दर्शन करना बेहद लाभकारी होता है। आइये जानते हैं इन 84 महादेव के महत्व एवं इतिहास के बारे में।
हरसिद्धि मंदिर के पीछे स्थित अगस्त्येश्वर महादेव 84 महादेवों में प्रथम महादेव कहलाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय देवता राक्षसों से हार गए। इधर उधर भटकते हुए उन्हें अगस्त्य मुनि के दर्शन हुए। अगस्त्य मुनि ने देवताओं का संकट जानकर राक्षसों को अपने तेज से जलाकर पृथ्वी पर पटक दिया। इस हत्या से अगस्त्य मुनि का मन उद्विग्न हो गया। उस समय वहां ब्रह्माजी उपस्थित हुए। अगस्त्य मुनि ने ब्रह्माजी से निवेदन किया कि दानवों की हत्या से मेरा सब तप क्षीण हो गया है। तब ब्रह्माजी ने समझाया कि आप महाकाल-वन में वटयक्षिणी के उत्तर में तथा पिशाचेश्वर के दक्षिण में स्थित लिंग की आराधना करो।
अगस्त्य मुनि ने उस लिंग की पूजा की और वे ब्रह्म हत्या से मुक्त हो गए। तब शिवजी ने प्रसन्न होकर कहा कि यह लिंग तुम्हारे ही नाम से प्रसिद्ध होगा। अष्टमी और चतुर्दशी को जो इस लिंग की पूजा करेगा, उसके कई कुल तर जाएंगे और उन्हें नरक प्राप्त नहीं होगा।

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