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गोबर प्लांट से लौटेगी भलस्वा झील की रौनक !

नई दिल्ली। भलस्वा झील का पानी अब लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। झील के आसपास की कॉलोनियों में रहने वाले लोग झील के गंदे पानी और गोबर की बदबू से परेशान हैं। वे लगातार इसकी शिकायत एमसीडी अफसरों से कर रहे हैं। इसके बाद नॉर्थ एमसीडी के सीनियर अफसर झील और भलस्वा डेयरी का मुआयना करने पहुंचे थे।
झील का मुआयना करने के बाद अफसरों ने फैसला लिया है कि भलस्वा झील के पानी में गोबर जाने से रोकने के लिए एक गोबर प्लांट लगाया जाएगा, ताकि उसे ट्रीट किया जा सके। इन अफसरों में अडिशनल कमिश्नर रश्मि सिंह, चीफ इंजीनियर नौरंग सिंह और डिप्टी कमिश्नर आरव गोपी कृष्णन शामिल थे।
अफसरों के अनुसार, भलस्वा झील का दायरा कभी 58 हेक्टेयर में था। हालांकि गांवों के शहरीकरण के बाद झील का दायरा सिमटता गया। अब झील का एरिया मुश्किल से 34 हेक्टेयर ही रह गया है। इसके आसपास जो अवैध कॉलोनियां हैं, उनका गंदा पानी इसी झील में आता है। लोगों की भी शिकायत है कि भलस्वा की डेयरियों से पशुओं के गोबर इसी झील में बहा दिया जाता है। इससे झील का पानी बेहद गंदा हो गया है और उससे बदबू आती है। लोगों की बढ़ती शिकायतों के बाद एमसीडी के अफसरोंं ने इस झील का मुआयना किया।
इस दौरान एमसीडी अफसरों ने कहा कि पशुओं का गोबर झील के पानी में न जाए, इसके लिए डेयरियों के आसपास के ही एक गोबर प्लांट बनाया जाएगा। यहां 200 मैट्रिक टन क्षमता का गोबर प्लांट बनाने का प्लान है। प्लांट लगाने वाली एजेंसी गोबर डेयरियों के मालिकों से लेगी। इसके लिए एजेंसी डेयरी मालिकों को 65 पैसे प्रति किलोग्राम के हिसाब से भुगतान भी किया जाएगा। इस गोबर को ट्रीट कर गैस बनाई जाएगी। प्लांट लगाने में 15.5 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें से 3 करोड़ एमसीडी देगी और बाकी पैसे एजेंसी देगी। इसके बाद समस्या से कुछ निजात मिलने की उम्मीद है।

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