किसान आंदोलन के कारण 27 हजार करोड़ के व्यापार का नुक्सान : कैट
नई दिल्ली। दिल्ली एवं दिल्ली के आस-पास चल रहे वर्तमान किसान आंदोलन के चलते गत एक महीने से ज़्यादा समय में दिल्ली तथा उससे सटे राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब एवं राजस्थान को लगभग 27 हज़ार करोड़ रुपए के व्यापार का नुक़सान हुआ है। यह बताते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज (कैट) ने यह कहा की कैट एवं ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सबसे बड़े संगठन आल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर, एसोसिएशन (एटवा) के संयुक्त प्रयासों से आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई निर्बाध रूप से जारी है और आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी । इसके लिए अन्य राज्यों से दिल्ली में सामान लेकर आने वाले वाहनों को राजमार्ग को छोड़कर अन्य वैकल्पिक मार्गों से काफी लम्बा चक्कर लगा कर दिल्ली आना पड़ रहा है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा से दिल्ली आने वाले माल की आपूर्ति पर बड़ा फर्क पड़ा है। इन दोनों राज्यों से मशीनरी के सामान, कल पुर्ज़े, पाइप फिटिंग,सैनिटेरी फिटिंग, अन्य स्पेयर पाट्र्स, बिजली एवं पानी की मोटर, बिल्डिंग हार्डवेयर, कृषि वस्तुएं आदि की आपूर्ति प्रभावित हुई है वहीं देश के अन्य राज्यों हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों से दिल्ली आने वाले सामान में प्रमुख रूप से एफएमसीजी प्रोडक्ट, कंज्यूमर डयूरेबल, खाद्यान, आम ज़रूरतों की वस्तुएँ, कोसमेटिक्स, कपड़ा, फल एवं सब्ज़ी, किराने का सामान, ड्राई फ्रूट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, बिजली का सामान, दवाइयां, भवन निर्माण का सामान, लोहा-स्टील, लकड़ी एवं प्लाइवुड, रेडीमेड वस्त्र, फोटोग्राफिक इक्विपमेंट, सर्जिकल का सामान, तेल एवं अन्य खाद्य सामग्री आदि शामिल हैं। कहीं न कहीं इन वस्तुओं की आपूर्ति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 50 हज़ार ट्रक देश भर के विभिन्न राज्यों से सामान लेकर दिल्ली आते हैं और लगभग 30 हज़ार ट्रक प्रति दिन दिल्ली से बाहर अन्य राज्यों के लिए सामान लेकर जाते हैं। दिल्ली न तो कोई औद्धयोगिक राज्य है एवं न ही कृषि राज्य बल्कि देश का सबसे बड़ा वितरण केंद्र है जहां अनेक राज्यों से सामान आता है और देश भर के राज्यों में दिल्ली से भेजा ज़ाता है। किसान आंदोलन के चलते न केवल दिल्ली सामान आने पर बल्कि दिल्ली से सम्पूर्ण देश में सामान जाने पर भी काफी प्रभाव पड़ा है। दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 5 लाख व्यापारी अन्य राज्यों से सामान की खरीदी करने आते हैं जो लगभग वर्तमान में न के बराबर है। इस दृष्टि से जितना जल्दी सरकार और किसान नेताओं के बीच चर्चा के जरिये समाधान निकल जाए उतना अच्छा होगा।