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वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में ट्यूबवेल के जरिए 55 एमजीडी अतिरिक्त पानी निकालने का लक्ष्य रखा

नई दिल्ली। दिल्ली के जल मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येन्द्र जैन ने गुरुवार को दिल्ली जल बोर्ड के सदस्यों एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें उन्होंने दिल्ली में जल आपूर्ति को बढ़ाने की आवश्यकताओं को सामने रखा। उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड विभिन्न वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से लगभग 55 एमजीडी पानी की निकासी सुनिश्चित करेगा। बैठक में यह चर्चा की गई कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकांश वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बाढ़ के क्षेत्रों में बनाए गए हैं, जहा बाढ़ के दौरान मानसून में हर साल भूमिगत जल को रिचार्ज किया जाता है। इस पानी को ट्यूबवेलों के माध्यम से निकाला जाएगा और जलाशयों में नियमित पानी की आपूर्ति के साथ मिक्स किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि दिल्ली में पानी की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो सके और खासतौर पर गर्मी के मौसम के दौरान दिल्ली जल बोर्ड पर पानी की आपूर्ति को लेकर अतिरिक्त दबाव न पड़े। श्री जैन ने दिल्ली जल बोर्ड को निर्देश दिया है कि ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए सभी खराब पड़े ट्यूबवेल को दुरुस्त कर उनका पुनः उपयोग किया जाए, ताकि मानसून के दौरान वर्षा जल का संचयन बेहतर तरीके से किया जा सके।
जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने यह भी कहा कि पानी का सही उपयोग पानी से संबंधित सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है। दिल्ली जल बोर्ड को निर्देश दिया गया है कि वह दिल्ली में पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नए इनोवेटिव कदम उठाए। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सप्लाई होने वाले पानी की मात्रा को बढ़ाने की जरुरत है।
इस दौरान जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने पानी की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकताओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि दिल्ली जल बोर्ड अपने मौजूदा सक्रीय ट्वूबवेलों और बंद पड़े ट्यूबवेलों को ठीक करा कर सड़कों पर जमा होने वाले वर्षा जल का उपयोग भूजल को रिचार्ज में इस्तेमाल कर सकता है। इस संबंध में उन्होंने अधिकारियों से कार्ययोजना मांगी है। उन्होंने कहा कि शहरीकरण के कारण मिट्टी में पानी को अवशोषित करने की क्षमता कम हो गई है। बंद पड़े ट्यूबवेलों को ठीक करके उनका उपयोग आवासीय क्षेत्रों में भूजल को सीधे रिचार्ज करने में किया जा सकता है। इस वर्षा जल के भूजल में मिलने के बाद उसमें मौजूद टीडीएस में भी कमी आएगी। 600 जल निकायों और झीलों के कायाकल्प, बाढ़ जल संचयन, पुरानी नहरों के कायाकल्प होने से भूजल के स्तर में सुधार आएगा। दिल्ली सरकार की बाढ़ जल संचयन की पहल का भी अच्छा परिणाम सामने आया है, इससे पल्ला इलाके में 2 मीटर तक भूजल में सुधार हुआ है।

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