बस घोटाले में मुख्यमंत्री इस्तीफा दें : आदेश गुप्ता
नई दिल्ली। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने 5000 करोड़ रूपये के डीटीसी बस घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे, परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को बर्खास्त करने और घोटाले की जांच भ्रष्टाचार निरोधी विभाग से कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री आवास के बाहर नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी और सभी भाजपा विधायकों के साथ विरोध प्रदर्शन करते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि इस मामले में समाधान होने तक भाजपा का धरना और विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष जांच के लिए घोटाले में शामिल परिवहन मंत्री और अधिकारियों का हटना जरूरी है। प्रदर्शन में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक विजेन्द्र गुप्ता, विधायक सर्व ओ. पी. शर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, अनिल बाजपेयी, अभय वर्मा, अजय महावर एवं जितेंद्र महाजन सहित अन्य प्रदेश पदाधिकारीगण मौजूद थे।
आदेश गुप्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर उपराज्यपाल द्वारा गठित एक समिति ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि बस खरीद और बसों के रख-रखाव के लिए हुए टेंडर में सामान्य वित्त नियमों के साथ-साथ सी.वी.सी. के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बसों की खरीद के मूल्यों से लगभग 3 गुना ज्यादा का बसों की रख-रखाव का टेंडर जारी किया गया है जो कि बसों की खरीद के साथ पहले ही दिन से मान्य होता है। जबकि रख-रखाव टेंडर बसों के गारंटी समय के बाद लागू होना चाहिए। श्री गुप्ता ने आरोप लगाया कि गारंटी समय के पहले दिन से ही रखरखाव का वर्कऑर्डर जारी करने से साफ है कि इसमें बहुत बड़ा घोटाला हुआ है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि बस खरीद में दो ही कंपनियां आई जिनसे क्रमश: 700 और 300 बसों की खरीद होनी थी। इसके साथ ही सरकार ने यह तय कर दिया कि बसों की रखरखाव के टेंडर में वे कंपनी शामिल हो सकती हैं जिनसे बस खरीद की जाएगी। इससे स्पष्ट है कि जिन दो कंपनियां बस सप्लाई करेंगी, रख-रखाव का काम भी उन्हें ही मिलेगा जो कि 3500 करोड़ रुपये का रहेगा। इस तरह सरकार ने बस खरीद और रख-रखाव के नाम पर 5000 करोड़ का घोटाला कर लिया जिसे भाजपा लगातार जोर-शोर से उठा रही है। अब जांच समिति ने 3500 करोड़ के रख-रखाव के टेंडर को रद्द करए नए सिरे से टेंडर करने को कहा है जिससे स्पष्ट है कि घोटाला तो हुआ है। इसलिए इस मामले के दोषी परिवहन मंत्री और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि जांच समिति ने जब मान लिया है कि रख-रखाव के टेंडर को नये सिरे से जारी किया जाए तो इससे स्पष्ट है कि मामले में कोई घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार बेईमानी करने जा रही थी, लेकिन भाजपा ने इसे बीच में ही रोक दिया।
श्री बिधूड़ी ने कहा कि डीटीसी के पास अपने डिपो के वर्कशॉप है, कर्मचारी हैं तो फिर रख-रखाव का काम बाहर से क्यों कराया जाए। अब जब जांच की रिपोर्ट भी कह रही है कि रखरखाव में जो 3500 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया था, उसे नये सिरे से जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि जांच समिति ने अब मान लिया है कि इसमें गड़बड़ी हुई है, इसलिए मामले की आगे की जांच के लिए उपराज्यपाल भ्रष्टाचार विरोधी विभाग को आगे की जांच के निर्देश दें।