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दानबीर महिन्द्र शर्मा से साक्षात्कार 

उत्तराखण्ड सरकार ने दानबीर उद्योगपति श्री महिन्द्र  शर्मा  को  रिलायंस इंडस्ट्रीज  के चेयरमैन मुकेश अम्बानी के बेटे अनन्त अम्बानी तथा  मुम्बई  के प्रशिद्ध   उद्योगपति एवं  भारत में सबसे बड़े प्राइवेट स्टील  उत्पादक जे एस डब्लू  ग्रुप के चेयरमैन  सज्जन जिंदल के साथ

उत्तराखंड  चार धाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड में  नामित किया है/

उत्तराखंड  सरकार द्वारा उन्हें हिन्दू धार्मिक मामलों में बिशेष रूचि रखने बाले दानदाताओं  की श्रेणी में इस प्रतिष्ठित बोर्ड में मनोनीत किया गया है जोकि हिन्दुओं के चार पावन स्थलों श्री  बद्री नाथ , श्री  केदार नाथ , यमुनोत्री और गंगोत्री के प्रबंधन  का कार्य देखते हैं /

/ उत्तराखण्ड शासन के सांस्कृति /धर्मस्व बिभाग के सचिव ने राजयपाल  की ओर  से  इस सम्बन्ध में आधिकारिक अधिसूचना जारी की है /

श्री महिन्द्र  शर्मा ऊना जिला के   बढेड़ा राजपूतां  से सम्बन्ध रखते हैं/  बह नई दिल्ली के  इस्कॉन  मन्दिर की नवीकरण /पुनरद्धार  समिति के वाईस चेयरमैन हैंऔर यमुना नदी के पुनर्रुद्धान के लिए गठित हरी यमुना समिति के उपाध्यक्ष भी हैं /

उनसे लिए साक्षात्कार के अंश निम्नलिखित हैं /

 

 

प्रश्न   1 —कृप्या अपनी परिबारिक पृष्ठ भूमि के बारे में बताएं

 

 

उत्तर —-मेरे पिताजी का जन्म हिमाचल के ऊना जिले के बड़ेरा गांव में हुआ। वह बहुत छोटे थे जब उनके माता-पिता का देहांत हो गया। उन्होंने अपनी आरम्भिक शिक्षा गांव से प्राप्त की। परन्तु उस समय गावं में अत्यधिक साधन, सुख-सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी। कुछ कर गुजरने की चाह से मेरे पित्ता स्व. श्री अमरनाथ शर्मा गावं से दिल्ली आ गए। यहाँ पर उन्होंने बहुत छोटे-मोटे काम से अपनी शुरुआत की। धीरे-धीरे उन्होंने अपने काम को आगे बढ़ाया और अपनी कड़ी मेहनत व लगन से ए.एन.एस कम्पनी की नींव रखी। ए.एन.एस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटड कंपनी उन्हीं की सफलता का साक्षात उदाहरण है। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 

प्रश्न 2 —आप के परिबार के सामाजिक सेवा में उपलब्धियों पर चर्चा डालें

 

उत्तर —- लेकिन इतना सब कुछ हासिल कर लेने के बाद भी वह अपनी संस्कृति और जड़ों को नहीं भूले । वह अपने गांव से पहले की भांति जुड़े रहे। वह अपने गांव और वहाँ रहने वाले व्यक्तियों के लिए वो सब सुख-सुविधाएं उपलब्ध करवाना चाहते थे, जिससे वह खुद वचिंत रहे। इसी चाह से उन्होने अपने गांव बड़ेरा में स्कूल, मन्दिर, अस्पताल, सड़कांे, पियाउ इत्यादि का निर्माण कार्य करवाया। उनके जीवन पर डेरा बाबा स्वामी रूद्रानंद महाराज जी का अत्यंत प्रभाव पड़ा। मेरे पिताजी ने उनके साथ मिलकर कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया फिर चाहे वह  शिबरात्रि  का भण्डारा हो या फिर गरीब कन्याओं का विवाह सम्मेलन हो, उन्होंने हर क्षेत्र में अपना योगदान दिया। गांव के लोग भी उन्हें अटूट, प्रेम और सम्मान देते थे। जब तक वह जीवित रहे अपने गांव के प्रति समर्पित रहे और गांव की उन्नति में निरंतर अपना योगदान देते रहे। उन्होने अपना अधिकतर समय अपने गांव बड़ेरा में ही व्यतीत किया। मेरे पिता स्व. श्री अमरनाथ शर्मा के इन कार्यों में मेरी माता श्रीमती संतोष शर्मा का भी बहुत बड़ा योगदान रहा। उन्होने हर कदम पर मेरे पिता जी को संपूर्ण सहयोग दिया।

 

प्रश्न 3 —— सामाजिक पटल पर जो सेवाएं आप दे रहे है। उसकी प्रेरणा आपको कहा से मिली

उत्तर —-हर बच्चे के जीवन में पिता की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मेरे जीवन पर भी मेरे पिता स्व. श्री अमरनाथ शर्मा का अत्यंत प्रभाव पड़ा है

मेरे जीवन और रहन-सहन पर मेरे माता-पिता का अत्यंत प्रभाव पड़ा है। मेरा जन्म दिल्ली शहर में हुआ। हम एक संयुक्त परिवार में पले बढ़े। जहाँ हमें घर के बड़े लोगों का सानिध्य और मार्गदर्शन मिला जोकि बाद में जिन्दगी में सफलता की सीढ़िया चढ़ने में काफी सहायक रहा। मेरी शिक्षा यही दिल्ली शहर में हुई दिल्ली विश्वविद्यालय से मैने बी.एस.सी की डिग्री हासिल की। इसके बाद मैंने एम.बी.ए की डिग्री हासिल की।

सामाजिक पटल पर जन सेवा की प्रेरणा मुझे मेरे माता-पिता      श्रीमति सन्तोष शर्मा एवं स्व. श्री अमरनाथ शर्मा,जी

 

से मिली क्योंकि मैने बचपन से उन्हें गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करते हुए देखा। मैं लोगों में उनके प्रति कृतज्ञता के भाव को भी देखता था। वही से मेरे मन में भी समाज के प्रति मदद का जज़्बा जागृत हुआ जोकि बाद में एक जनून बन गया। मै बचपन से ही समाज सेवा में अपने माता-पिता का हाथ बटाँता था।

उन्हें इस प्रकार धार्मिक कार्य और समाज की उन्नति करते देख मेरा रुझान भी धार्मिक क्षेत्र की ओर बढ़ गया। अपने पिता जी के कदमों का अनुसरण करते मैने उनके द्वारा स्थापित ए.एन.एस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी हुए को अपनी मेहनत और लगन से नई दिशा दी और ऊँचाइयों तक पहुंचाया। इसी तरह अपने माता-पिता के आर्शिवाद और भगवान की असीम कृपा से मैंने कई और कम्पनियों की नींव रखी। मैने ए.एन.एस इंडस्ट्री, ए.एन.एस इन्फ्रास्ट्रक्चर इत्यादि कम्पनियों को आगे बढ़ाते हुए अपने पिता जी के सपने को साकार किया।

 

प्रश्न 4- सेवा के पटल पर आप जो सेवाएं दे रहे। इस बारे में कुछ बताएं

उत्तर – —- देखिए मैं सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान देने का प्रयास कर रहा हूँ। धार्मिक क्षेत्रों में मैंने अनेक मंदिर, शिवालयों के निर्माण में सक्रिय भागीदारी की है। मुझे याद है, गांव में अनेक बार महापुराण/ भागवत/रामायण कथा आर्थिक कारणवश रुक जाती थी तो मैंने आगे हाथ बढाकर धार्मिक आयोजनों को संपन्न करवाया। मैंने शक्तिपीठ मां चिन्तपूर्णी और श्री केदारनाथ जी के प्रति असीम श्रद्धा भाव रखते हुए इन दोनों स्थानों पर की गर्भ गृह की दीवारों पर चाँदी की परत चढ़वायी। जिससे मुझे असीम शांति और संतुष्टि प्राप्त हुईं। मुझे लगा कि अपने माता-पिता द्वारा दर्शाये हुए मार्ग पर चलकर मेरा जीवन धन्य और सार्थक हो गया। दिल्ली के इस्कान मंदिर की निर्माण समिति के उपाध्यक्ष के तौर पर निर्माण कार्यों के देखभाल से मुझे अत्यंत खुशी का अहसास और शांति प्राप्त होती है।

मुझे किसी भी धार्मिक कार्य हो या फिर लोगों की मदद करना हो, से मुझे असीम संतुष्टि का अहसास होता है फिर चाहे वह एम्स या उस जैसे विभिन्न अस्पतालों में लंगर बांटना हो या फिर जरूरतमंद लोगों को मेडिकल सुविधा प्राप्त करवाना। क्योंकि दूसरों की मदद करके इंसान को जो सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है वह कहीं और नहीं होती है। सेवा हृदय और आत्मा को पवित्र करती है।

धर्म किये धन न घटे, नदी न घट नीर।

अपनी आँखों देखिले, यों कथ कहहिं कबीर।।

मैं कबीर दास जी के इन वचनों का पूर्ण रूप से अनुसरण करता हूँ कि धार्मिक कार्य, परोपकार सेवा करने से धन घटता नहीं है। जैसे नदी सदैव बहती रहती है परन्तु उसका पानी कभी कम नहीं होता।

प्रश्न 5 —– आपको देवस्थानम बोर्ड का सदस्य नामित किया गया है। इसके लिए आपकी क्या प्राथमिकताएं रहेगी

उत्तर – —- देवस्थान बोर्ड के सदस्य के रूप में मेरा ध्यान ज्यादातर श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा सुविधायें देने पर रहेगा। ताकि श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ौतरी हो । मेरा मानना है कि श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ौतरी से ही देवस्थान की आमदनी बढ़ेगी तथा देवस्थान के विकास कार्यों को गति मिलेगी। मुझे लगता है श्रद्धालुओं के आने-जाने की व्यवस्था उत्तम होनी चाहिए और इसके लिए सड़क के ढांचे को सुदृढ़ करने की जरूरत है क्योंकि सड़क मार्ग ही यातायात का अकेला साधन है। श्री केदारनाथ जी में श्रद्धालुओं के चलने के लिए पक्का सुगम मार्ग तथा रास्ते में जन-सुविधाएँ, शाकाहारी भोजनालय, मेडिकल सुविधाए इत्यादि सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि श्रद्धालुओं को आधुनिक सुविधाएं उचित दामों पर मुहैया करवाकर हम धार्मिक पर्यटन को काफी बढ़ावा दे सकते है तथा हरिद्वार आने वाले ज्यादातर श्रद्धालुओं को चार धाम की यात्रा के लिए प्रेरित कर सकते हैं। किफायती दामों पर रहन सहन और खान-पान की सुविधाएं मिलने पर लोग अपने परिवार समेत धार्मिक स्थलों के अलावा उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थलों पर भी ठहरेंगे जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के साधन मिलेंगे तथा राज्य में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। मेरा यह मानना है कि उत्तराखण्ड के देवस्थान राज्य के विकास की धुरी बन सकते हैं और राज्य में नई आर्थिक क्रांति के सूत्रधार बन सकते हैं।

प्रश्न  6 —-   आज की पीढ़ी के लिए क्या संदेश देना चाहेेंगे आप

उत्तर – — मेरा आज की पीढ़ी से यह अनुरोध है कि सबसे पहले वह अपनी धर्म, संस्कृति, आस्था, वेद पुराणों की गहन की जानकारी ग्रहण करे, और अपनी आधुनिक सोच विचारधारा को उचित दिशा प्रदान करे क्योंकि संस्कृति के ज्ञान के अभाव में युवा पीढीपी पश्चिमी संस्कृति की ओर भटक रही है। इससे समाज में नशा, हिंसा आदि अनेक कुरीतियों का इजाफा हो रहा है। मेरा युवा पीढ़ी से अनुरोध है कि वह अपने संस्कारों से जुड़े और अपनी सकारात्मक ऊर्जा को समाज के निर्माण के लिए उपयोग करे । युवाओं को चाहिए कि समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ एक जुट होकर नए भारत के निर्माण में अपना योगदान करे।

मेरा लक्ष्य युवा पीढ़ी को सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक कार्यों से जोड़ना है। हरी यमुना सहयोग समिति के उपाध्यक्ष के रूप में यमुनानदी के पुनर्जागरण अभियान के अन्तर्गत नदी तटों पर पौधारोपण, साफ सफाई में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है और अगर हम इस अभियान में युवाओं को भावनात्मक तौर पर जोड़ने में सफल रहेंगे तभी राष्ट्रिय महत्व की इन परियोजनाओं को लम्बे समय तक चलाया जा सकता है और समाज की भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है।

मेरा यह मानना है कि व्यक्त्तिगत या प्रोफेशनल जीवन में आप तभी कामयाब हो सकते है जब आपकी प्रतिबद्धता हो । व्यापार में आप अपने ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं देंगें तभी इस प्रतिस्पर्धा के माहौल में आप ग्राहकों का विश्वास जीत पाएंगे । यही नियम व्यक्तिगत जीवन पर भी लागू होता है। अगर आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के प्रति ईमानदार तथा समर्पित होगें तो लोग भी आपको उसी भावना और तरीके से देखगें और यही जीवन में सफलता की राह आसान बनाता है।

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