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समय पर जानकारी और परामर्श लेने से लीवर संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है

नई दिल्ली। भारतीय युवाओं पर बढ़ते पश्चिमी प्रभाव ने उनकी लाइफस्टाइल पर बुरा असर डाला है जिस वजह से वे लीवर संबंधी कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। हर किसी की जिंदगी के लिए लीवर की स्वस्थ बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। लीवर रोग के लक्षणों को दिखाने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर देर से ध्यान देना ही भारत में गंभीर बीमारी की चपेट में आने का एक बड़ा कारण बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में लगभग 45 फीसदी बीमारियों और 60 फीसदी मृत्यु दर गंभीर बीमारियों का कारण बनती है। जिनसे हर साल 3.5 करोड़ लोगों की मौत हो जाती है। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो लीवर संबंधी बीमारियां गंभीर बीमारियों का दूसरा बड़ा कारण हैं जो भारत में मृत्यु दर बढ़ाने की बड़ी वजह बनती जा रही है।
हर साल सिरोसिस के लगभग 10 लाख नए मरीज सामने आते हैं। भारत में लीवर संबंधी बीमारी से प्रति 10 लाख व्यक्तियों में से लगभग 22.2 व्यक्तियों की मौत हो जाती है। देश में सिरोसिस का सबसे बड़ा कारण अल्कोहल सेवन है। जिस वजह से 40 से 60 फीसदी तक मरीज लीवर संबंधी बीमारियों के होते हैं। यह भी आकलन किया गया है कि 30 फीसदी भारतीयों पर फैटी लीवर रोग की चपेट में आने का खतरा रहता है।
मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल पटपड़गंज, नई दिल्ली के गैस्ट्रोइंटरोलॉजी विभाग में प्रमुख कंसल्टेंट और यूनिट टू के प्रमुख डॉ. विभु मित्तल ने कहा, फैटी लीवर की समस्या लीवर सेल में बहुत ज्यादा चर्बी जमा होने से आती है। हालांकि कोशिकाओं में फैट की कुछ मात्रा का होना सामान्य बात है लेकिन 5 फीसदी से अधिक फैट होने पर इसे फैटी माना जाता है। अल्कोहल का ज्यादा सेवन फैटी लीवर का कारण बनता है जबकि कई मामलों में दूसरे कारण भी सामने आए हैं। जब तक कोई लक्षण नहीं उभरता तब तक कई वर्षों तक फैटी लीवर का पता ही नहीं चलता। लीवर धीरे-धीरे सूजने लगता है और फाइब्रोसिस इकट्ठा होने लगता है। जब यह सिरोसिस या लीवर कैंसर जैसे खतरनाक स्तर पर पहुंच जाते हैं तो रोग के कई लक्षण नजर आने लगते हैं। सिरोसिस के स्टेज में लीवर खराब हो जाता है और इसका इलाज लीवर ट्रांसप्लांट समेत कई अन्य प्रक्रियाओं से किया जाता है। बिना लक्षणों वाले चरण में इस बीमारी की पहचान से रोग को गंभीर स्तर पर  जाने से रोका जा सकता है और मरीज पूरी तरह स्वस्थ भी हो सकता है। चिकित्सा क्षेत्र के लिए बिना लक्षणों के फैटी लीवर रोग से पीड़ित मरीजों को सामने लाना एक बड़ी चुनौती होती है।
सिरोसिस कई तरह की लीवर संबंधी बीमारियों का अंतिम स्तर होता है जिसे लीवर में फाइब्रोसिस और संरचात्मक विकृति से जाना जाता है। इसे जानलेवा रोग बनने से पहले समय पर डॉक्टरी परामर्श लेना जरूरी होता है। वर्ल्ड लीवर दिवस हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाता है जिसका उद्देश्य मानव शरीर में लीवर के महत्व, लीवर संबंधी समस्याओं, लीवर रोग के मामलों और इनके इलाज के लिए उपलब्ध नई खोजों के बारे में लोगों को जागरूक करना होता है।
डॉ. विभु मित्तल ने कहा, लीवर ट्यूमर निकालने के लिए सर्जरी का इस्तेमाल स्वस्थ होने का सबसे अच्छा अवसर देता है, लेकिन प्रारंभिक लीवर कैंसर से पीड़ित दो तिहाई से ज्यादा मरीजों के लिए सर्जरी कोई विकल्प नहीं है। लीवर कैंसर को कैंसर होने का पांचवां सबसे बड़ा कारण और दुनिया में कैंसर से होने वाली मौत का तीसरा बड़ा कारण माना जाता है। लीवर कैंसर से पीड़ित लगभग 70 फीसदी मरीज कई कारणों से सर्जरी नहीं कराते हैं। मसलन किसी मरीज का ट्यूमर इतना बड़ा होता है कि सर्जरी से नहीं निकाला जा सकता या वह ट्यूमर रक्तनलिकाओं या अन्य अंगों से बिल्कुल चिपका रहता है। कई मरीजों के लीवर में तो इतने सारे ट्यूमर होते हैं कि सर्जरी से इन्हें निकालना जोखिमपूर्ण या अव्यावहारिक हो जाता है।
मानव शरीर में लीवर एक महत्वपूर्ण अंग होता है और इसमें शारीरिक शुद्धिकरण की विशेष क्षमता होती है। जो कुछ हम खाते हैं, वह लीवर से होते हुए जाता है और यह भोजन को पचाने में मदद करता है। यह संक्रमण से लड़ता है, विषैला पदार्थ बाहर करता है, कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण रखता है, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखता है और प्रोटीन का निर्माण करता है। लिहाजा लोगों को स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाकर, अल्कोहल का सेवन त्यागकर, संतुलिन आहार और नियमित व्यायाम करने की आदत अपनाकर अपने लीवर का ख्याल रखना चाहिए। हमें मोटापा और श्रमरहित लाइफस्टाइल से तत्परता से बचने की जरूरत है।
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