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भगवान महावीर जयंती को महावीर जन्म कल्याणक के रूप में मनाया जाए : मनोज जैन

नई दिल्ली (स्वदेश जैन)। भगवान महावीर देशना फाउंडेशन के निदेशक मनोज जैन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर महावीर जयंती को जयंती के रूप में न मना कर महावीर जन्म कल्याणक के रूप में मनाने का अनुरोध किया है साथ ही इस पावन पर्व पर पूरे भारत वर्ष में मांस-मदिरा की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने व इस पावन पर्व को सरकारी अवकाश घोषित करने की मांग की है। श्री जैन ने अपने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री को कहा कि भारतीय परंपराओं, संस्कृति व त्योहारों पर 130 करोड़ भारतीयों की भावनाओं और उनकी संवेदनाओं को आपसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता है। आपने हमेशा से ही भारतीय वाड़मय के प्रचलित और यहां तक की कम लोकप्रिय नायकों के जन्म दिवस पर शुभकामनाएं देकर भारत की वैविध्यपूर्ण और गरिमापूर्ण संस्कृति को सम्मान देने का काम किया है।
इसलिए आपसे विनम्र निवेदन है कि जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की 2621 वीं जन्म जयंति को महावीर जन्म कल्याणक के रुप में मनाया जाए। वैसे भी जैन-परंपराओं और संस्कृति के अनुसार जन्म कल्याणक का प्रयोग ज्यादा समीचीन है।
इसके पीछे तर्क यह है कि जैन धर्म के शास्त्रोक्त परंपरा में तीर्थंकरों के जन्म कल्याणक मनाए जाते हैं। इसके अनुसार तीर्थंकरों के पांच कल्याणक गर्भ, जन्म, तप, केवल ज्ञान और मोक्ष के समय मनाने का शास्त्रीय प्रावधान है। हिंदु परंपरा में भी भगवान विष्णु के राम और कृष्ण के रुप में अवतार हुए हैं, जन्म का प्रयोग करना उनके लिए उपयुक्त नहीं है। कई बार विभागीय अधिकारी, विशिष्ट धार्मिक समूहों की धार्मिक परंपराओं सें संबद्ध में इन बारीकियों को नहीं समझ पाते हैं और उनसे इस तरह की भूल हो जाती है।
श्री जैन ने कहा कि जिस प्रकार नवरात्र में मांस की दुकाने बंद रहती हैं, महावीर जन्म कल्याणक के पुनीत अवसर पर भी मांस की किसी भी प्रकार की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। क्योंकि भगवान महावीर अहिंसा के पुजारी थे। प्रधानमंत्री जी आप स्वयं भी शाकाहार पर काफी जोर देते हैं और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी शाकाहार का समर्थन किया है।
अत: आपसे सादर अनुरोध है कि इस बार महावीर जयंति के अत्यंत पावन अवसर को महावीर जन्म कल्याणक के रुप में आशीष दिया जाए और मांस-मंदिरा की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए और अंबेडकर जयंति की तरह इस पावन पर्व पर भी सरकारी अवकाश घोषित किया जाए। इससे लाखों जैन मतावलंबी आपके आभारी होंगे और पूरे जैन समुदाय में एक सकारात्मक संदेश जाएगा।

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