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दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने हैदरपुर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया

नई दिल्ली । दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने हैदरपुर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। हैदरपुर प्लांट पर पानी का उत्पादन बढ़ाने की तैयारियों का जायजा लिया। इस दौरान राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा सरकार की ओर से सीएलसी-डीएसबी में जो पानी छोड़ा गया है, उसका जल उत्पादन पर कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, इसे देखने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने और दिल्ली वासियों के संघर्ष का हरियाणा सरकार पर दवाब पड़ा, उसके बाद हरियाणा ने 16 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा है। हरियाणा से दिल्ली तक पानी आते-आते 3 दिन लग जाते हैं। इसके बाद पानी को शोधित कर घरों तक पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी-इंजीनियर दिल्ली ही नहीं हरियाणा में भी पानी पर नजर रख रहे हैं कि किस गति से कितना पानी आ रहा है, ताकि उसके हिसाब से पानी उत्पादन की योजना बनायी जा सके। दिल्ली में कल सुबह देखेंगे कि जो नदी सूख गयी थी, उसमें वापस पानी का स्तर बढ़ गया है। दिल्ली के अंदर जल आपूर्ति बहुत जल्द सामान्य हो जाएगी। राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा सरकार कहती है कि दिल्ली का पानी नहीं रोका है और दूसरी तरफ सूखी हुई नदी की तस्वीरें मीडिया के कैमरों में कैद हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में उस वक्त की आबादी के हिसाब से मापदंड तय किए थे कि हरियाणा को रोजाना इतना पानी दिल्ली को देना है। हरियाणा की निकम्मी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही थी। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए हम इसकी मांग सुप्रीम कोर्ट में करेंगे।
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री राघव चड्ढा ने गुरूवार को हैदरपुर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड की ओर से संचालित भारत के सबसे बड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हैदरपुर का मुआयना करने आए हैं। हरियाणा सरकार की ओर से यमुना नदी में जो पानी छोड़ा गया है, उसका जल उत्पादन पर कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, इसे देखने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने और दिल्ली वासियों के संघर्ष का हरियाणा सरकार पर खूब दवाब पड़ा, उसके बाद हरियाणा ने 16 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा है। दिल्ली तक पानी आते-आते 3 दिन लग जाते हैं। इस पानी का प्रभाव वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर सकारात्मक पड़ने और लोगों के घरों तक पानी पहुंचने में एक-दो दिन और अतिरिक्त लग जाते हैं। इसी स्थिति का मुआयना करने के लिए कि पानी किस गति से, किस मात्रा में यहां पहुंच रहा है, उसके लिए यहां निरीक्षण किया है।
राघव चड्ढा ने कहा कि यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है जिसको दिल्ली जल बोर्ड चलाता है। यमुना नदी का पानी दिल्ली में 2 बड़े चैनल सीएलसी और डीएसबी के जरिए आता है, इन दोनों चैनल में अच्छी मात्रा में पानी आना शुरू हो गया है। इसका सकारात्मक प्रभाव हमारी जल उत्पादन क्षमता पर भी पडने जा रहा है। हैदरपुर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से 200 एमजीडी से अधिक पानी साफ करके लोगों के घरों तक पहुंचाते हैं। यहां पर जिस मात्रा में पानी आएगा, उसी हिसाब से पानी की उत्पादन की क्षमता को बढाएंगे।
उन्होंने कहा कि हरियाणा ने 16 हजार  क्यूसेक पानी ढाई दिन पहले छोड़ा था, जबकि पानी को आने में तीन दिन लगते हैं। सीएलसी, डीएसबी और वजीराबाद चैनल में आज रात को पानी नजर आएगा। जहां पर यमुना नदी के पानी को हम सीधा उठाते हैं, वहां पर भी पानी की गुणवत्ता में उछाल नजर आएगा। दिल्ली जल बोर्ड के तमाम अधिकारी-इंजीनियर उन सभी पॉइंट पर मौजूद हैं, जहां पर पानी आ रहा है। दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी सिर्फ दिल्ली ही नहीं हरियाणा में भी निगरानी कर रहे हैं कि किस गति से कितना पानी आ रहा है, ताकि उसके हिसाब से पानी उत्पादन की योजना बना सकें। उन्होंने कहा कि दिल्ली में शाम या कल सुबह देखेंगे कि जो नदी सूख गयी थी उसमें वापस जल स्तर बढ़ जाएगा। मुझे विश्वास है कि दिल्ली के अंदर जल आपूर्ति और उत्पादन बहुत जल्द सामान्य हो जाएगा।
राघव चड्ढा ने कहा कि एक तरफ हरियाणा सरकार कहती है कि दिल्ली का पानी नहीं रोका है और दूसरी तरफ सूखी हुई नदी की तस्वीरें मीडिया के कैमरों में कैद हुई हैं। हरियाणा सरकार के अधिकारी, मंत्रियों और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बयानों पर भरोसा मत करिए, अपनी आंखों पर भरोसा करिए कि आखिर नदी का पानी क्यों सूख गई है। दिल्ली के अंदर आज से कुछ दिन पहले तक 120 एमजीडी पानी की उत्पादन क्षमता घट गई थी। हरियाणा सरकार के निकम्मे रवैये और ढिलाई के चलते दिल्ली के एक चौथाई इलाकों का पानी रोक लिया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में तय किया था कि हरियाणा को इतना पानी रोजाना दिल्ली को देना है। दिल्ली एक लैंड लॉक शहर है और पड़ोसी राज्यों से घिरा हुआ है। दिल्ली के पास अपना कोई समुद्र नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने मापदंड तय किए कि हरियाणा सरकार को रोजाना इतना पानी दिल्ली को देना है। दिल्ली की 1995 की आबादी को ध्यान में रखते हुए 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। उसका भी पालन हरियाणा की निकम्मी सरकार नहीं कर रही थी, जिसका खामियाजा दिल्ली को भुगतना पड़ रहा था।
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि तीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के पानी उत्पादन में 120  एमजीडी की गिरावट देखी गई। हरियाणा की तरफ से 120 एमजीडी पानी की गिरावट आपूर्ति में आयी थी। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। इसके बारे में उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इसकी मांग हम सुप्रीम कोर्ट में आने वाले समय में करेंगे। हरियाणा ने जो 120 एमजीडी पानी रोक रखा था, अब वह पानी आ जाएगा। उसको हम दिल्ली के कोने-कोने में पहुंचाएंगे। हमने 945 एमसीडी पानी उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया था, उस स्तर पर हम वापस पहुंच जाएंगे। दिल्ली जल बोर्ड लोगों के घर पीने का साफ पानी पहुंचाएगा।

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