स्थानीय

अब कॉलोनियों में ही किया जाएगा कूड़े का निपटारा

नई दिल्ली। दिल्ली वालों के लिए कुछ राहत की खबर है। भलस्वा, ओखला और गाजीपुर लैंडफिल साइट्स के अलावा भविष्य में दिल्ली में कोई नई लैंडफिल साइट नहीं बनाई जाएगी। कूड़े का प्रोसेस लोकल स्तर पर ही कॉलोनियों या ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में किया जाएगा। पार्कों से जो ग्रीन वेस्ट निकलता है, उसे उसी पार्क में ही प्रोसेस किया जाएगा। कूड़े को प्रोसेस करने के लिए हर कॉलोनी में डिसेंट्रलाइज्ड सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे, जिनकी क्षमता 5 या 10 टन प्रतिदिन की होगी।साउथ एमसीडी अफसरों के अनुसार दिल्ली में भलस्वा, गाजीपुर और ओखला तीन बड़ी लैंडफिल साइट्स हैं, जहां लाखों टन कूड़ा एकत्रित हैं। इससे न केवल आसपास रहने वाले लोगों को बदबू की समस्या होती है, बल्कि आसपास के इलाकों में भूजल भी दूषित होता है। ऐसे में प्लान बनाया जा रहा है कि हर कॉलोनी या दो चार कॉलोनियों को मिलाकर लोकल लेवल पर ही एक डिसेंट्रलाइज्ड कूड़ा ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाए, ताकि कॉलोनियों से निकलने वाले कूड़े को आसपास ही ट्रीट किया जा सके। इंडस्ट्रियल वेस्ट को ट्रीट करने के लिए हर इंडस्ट्रियल एरिया में भी ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। इसके अलावा ई-वेस्ट को ट्रीट करने के लिए भी अलग इलेक्ट्रॉनिक हब वाले स्थानों पर ही एनवायरमेंट मिनिस्ट्री की गाइडलाइंस के अनुसार ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। कूड़े को लोकल स्तर पर ट्रीट करने के लिए मास्टर प्लान-2041 में भी नियम-कायदे तय किए गए हैं। नए मास्टर प्लान में भी लैंडफिल साइट को भविष्य में न बनाने की बात कही गई हैं। होटल, रेस्टोरेंट या मॉल से बल्क में जो गीला या सूखा कूड़ा निकलता है, उसे ट्रीट करने के लिए इन प्राइवेट एजेंसियों को ही ट्रीटमेंट प्लांट बनाना होगा। कॉलोनियों में जनसंख्या के आधार पर सॉलिड वेस्ट प्लांट बनाए जाएंगे। जिनकी क्षमता 5 या 10 टन प्रतिदिन की हो सकती है।
भविष्य में एमसीडी कूड़ा उठाने का काम नहीं करेगी। कूड़ा उठाने या उठवाने का काम लोकल स्तर पर रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन को करना होगा। ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों के मैनेजमेंट कमिटी को यह काम सौंपा जाएगा। एमसीडी सिर्फ यह सुनिश्चित करेगी कि रोजाना जितना कूड़ा उठाया जाता है, वह उठा या नहीं। उसे पूरी तरह से ट्रीट किया गया है या नहीं। किसी एरिया में अगर कूड़ा उठाने में कोई अन्य तरह की दिक्कतें हैं, तो एमसीडी उसे सुलझाएगी।
कूड़ा रखने या उसकी छंटाई के लिए हर 10 हजार की जनसंख्या पर एक ढलाव होगा, जो 200 वर्ग मीटर में बनेगा।
प्रति 5 लाख की जनसंख्या पर कूड़ा एकत्रित करने के लिए एक मटीरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर होगा, जो 6 हजार से 8 हजार वर्ग मीटर में होगा।
प्रति 20 लाख की जनसंख्या पर 10 हजार टन प्रतिदिन की क्षमता का एक मटीरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर बनेगा, इसका एरिया 10 हजार से 20 हजार वर्ग मीटर में होगा।

Translate »