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सीएम ने एलएनजेपी अस्पताल में जीनोम सिक्वेंसिंग सुविधा का किया उद्घाटन

नई दिल्ली। अब दिल्ली सरकार के अस्पताल में कोरोना के नए वेरिएंट की जांच हो सकेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोक नायक अस्पताल और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के संयुक्त जेनेटिक लेबोरेटरी में सार्स सीओवी-2 जीनोम सिक्वेंसिंग (अनुक्रमण) सुविधा का उद्घाटन किया। उत्तर भारत में इस तरह की यह तीसरी सुविधा है। सीएम ने कहा कि अभी तक हमें सैंपल केंद्र सरकार के एनसीडीसी लैब भेजने पड़ते थे, लेकिन अब हम अपनी लैब में जांच कर पाएंगे। जेनेटिक एनॉलाइजर मशीन से विश्लेषण कर नए वेरिएंट का पता लगाया जा सकेगा और जब वेरिएंट का पता चल जाएगा, तो हमें उससे निपटने के लिए रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। सीएम ने कहा कि यह मशीन संभावित तीसरी लहर में बहुत मददगार साबित होगी और कोरोना खत्म होने के बाद भी इससे दूसरी बीमारियों का विश्लेषण किया जा सकेगा। सीएम ने लोगों से अपील की है कि जहां गतिविधियां खोली जा रही हैं, वहा सोशल डिस्टेसिंग का भी पालन किया जाए। अगर ऐहतियात नहीं बरतेंगे, तो फिर से कोरोना फैल जाएगा। उद्घाटन समारोह के दौरान स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) और लोक नायक अस्पताल के एमडी समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सार्स सीओवी-2 जीनोम सिक्वेंसिंग लैब का उद्घाटन करने के उपरांत कहा कि एलएनजेपी अस्पताल में आज जीनोम सिक्वेंसिंग करने के लिए लैब की शुरूआत की गई है। हम अखबारों में रोज पढ़ते आ रहे हैं कि कोरोना के नए-नए वैरिएंट्स निकल कर आ रहे हैं। अभी तक हम लोग केंद्र सरकार की लैब एनसीडीसी के उपर निर्भर होते थे। हमें अपने सारे सैंपल जांच के लिए एनसीडीसी भेजने पड़ते थे। अब दिल्ली सरकार द्वारा एलएनजेपी अस्पताल में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए जेनेटिक एनॉलाइजर मशीन खरीदी गई है। इस मशीन के जरिए हम कोरोना के जो भी वेरिएंट्स होंगे, उसका यहां पर विश्लेषण (एनॉलाइज्ड) कर पाएंगे और हम देख पाएंगे कि दिल्ली के अंदर जो कोरोना अभी है या भविष्य में कभी फैलेगा, तो उसका कौन सा वेरिएंट है। अगर हमें कोरोना के वेरिएंट का पता चल जाता है, तो उसके हिसाब से उसके खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलती है और उससे निपटने में रणनीति बनाने में मदद मिलती है। अभी तक यह सुविधा नहीं थी, लेकिन आज से एलएनजेपी अस्पताल के अंदर यह सुविधा शुरू की गई है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और नए वायरल वेरिएंट सामने रहे हैं। इसलिए सर्कुलेटिंग वायरल स्ट्रेन की पहचान करना सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि वेरिएंट के प्रसार की जांच के लिए संपर्क ट्रेसिंग की जा सके। निरंतर जीनोम सिक्वेंसिंग बीमारी के वायरस के प्रसार, गतिविधि और विकास की निगरानी में मदद करता है। इसलिए सार्स सीओवी-2 जीनोमिक सिक्वेंसिंग बीमारी की निगरानी रखने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।

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