राष्ट्रीय

पानी बिन सब सून

सांसें हमारे जीवन का आधार होती हैं,जब तक सांसों का क्रम निरंतर चलता रहता है हम जीवित रहते हैं जैसे ही सांस बंद,जीवन लीला भी समाप्त हो जाती है।सांसों को हवा की आवश्यकता होती है, कहने का तात्पर्य यह हुआ कि जीने के लिए हवा की आवश्यकता है। परंतु केवल सांसों के निरंतर अंदर बाहर जाने से ही जीवन को जिया नहीं जा सकता है। हवा के साथ साथ अन्य अनेक ऐसी चीजें होती हैं जिन पर हमारा जीवन निर्भर होता है और जिनकी अनुपस्थिति में जीवन नहीं जीया जा सकता है।
 जिस प्रकार एक पौधे को बढ़ने के लिए धूप पानी मिट्टी हवा इत्यादि की आवश्यकता होती है उसी प्रकार  संपूर्ण मानव जाति को जीवन जीने के लिए जल की आवश्यकता होती है। पानी का अपना कोई आकार या रंग नहीं होता है परंतु फिर भी यह हमारे जीवन को साकार करता है क्योंकि पानी के बिना कोई रह ही नहीं पाता है।
*ना कोई रंग ना ही आकार,करता फिर भी जीवन साकार*
*पानी बिना कोई रह पाए,पानी पर निर्भर सारा संसार*
सही है कि जल की अनुपस्थिति में कुछ समय गुजारा जा सकता है।यह कुछ समय एक दो या 3 दिन भी हो सकते हैं परंतु यह संभव नहीं कि हम जल के बिना जीवित रह पाएं।जल ही हमारा जीवन है यह तो हमने बचपन से पढ़ा भी है।यह जीवन का आधार माना जाता है।जल की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता इसीलिए प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी मनाया जाता है।
*खेतों की फसलों का सार,प्यासे इसके सब नर और नार*
 *जीव जंतु भी निर्भर इस पर,महिमा पानी की अपरंपार*
विश्व जल दिवस मनाने का उद्देश्य केवल लोगों में जागरूकता पैदा करना है कि जल ही जीवन है इसलिए जीवन को बचाने के लिए हमें जल को भी बचाना होगा। यह भी सत्य है कि यदि जल अपनी सीमाओं के बाहर आ जाए तो सुनामी तक ला सकता है इसलिए जल संरक्षण करने की आदत को भी विकसित करना होगा।
*लाता यह सागर में भी ज्वार,नमन है इस को बारंबार*
 *आए जब बाहर सीमाओं से,मच जाए फिर हाहाकार*
 जल को बचाने से तात्पर्य जल को व्यर्थ नहीं बहने देना है और अनावश्यक कार्यों में जल का प्रयोग बिलकुल नहीं करना है। पृथ्वी पर जल संसाधन संकट पहले ही गहराया हुआ है और यह निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। जल के स्रोत जैसे नदी,तालाब ,सागर नहर आदि में जल की मात्रा अब उतनी नहीं रह गई है जितनी होनी चाहिए।
*स्रोत पानी के अनेक प्रकार जिनको करते सब प्रकट आभार*
*बादल में छिप रहता पानी,बरस जाए तो आए बहार*
 जनसंख्या वृद्धि इसका मूल कारण है।साथ ही साथ जनसंख्या वृद्धि से होने वाला प्रदूषण भी जल स्रोतों को बुरी तरह प्रभावित करता है,अर्थात जनता अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु और सुखदाई जीवन जीने के लिए पेड़ पौधे काटकर बड़े-बड़े मॉल, बिल्डिंग और फैक्ट्री खड़ी कर देते हैं जिनमें खतरनाक केमिकल्स का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है और यही जल प्रदूषण का सबसे महत्वपूर्ण कारण भी है।
 मनुष्य क्यों नहीं समझता कि अगर इसी प्रकार जल प्रदूषित होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमें प्रदूषित जल को ही पीना पड़ेगा और जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां हमें घेर लेंगी।इस बात से कोई अनजान नहीं है कि प्रकृति ने हमें असीम मात्रा में जल प्रदान किया है परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि हम जल को व्यर्थ बहाएं। पृथ्वी पर विभिन्न स्रोत हैं उनमें पीने योग्य पानी की मात्रा बहुत कम है।इसलिए हमें पानी को सोच समझकर उपयोग में लाना होगा इसे बेकार में बहने से बचाना होगा।
यदि यही दृष्टिकोण हम सब अपना ले तो प्रकृति के इस अनमोल उपहार और अमूल्य संसाधन को बर्बाद होने से रोका जा सकता है।एक दूसरे की देखा देखी कर पानी को अनावश्यक कार्य पर बहाना और बहते रहते रहने देना अत्यंत गलत दृष्टिकोण है। हमें पानी को ना तो व्यर्थ बहाना है और ना ही किसी को बहाने देना है।
*हरियाली का यह आधार,है बिन पानी सब निराधार*
*एक बूंद ना व्यर्थ गवायेंगे,अब सब लें संकल्प मिलकर इस बार*
 उन क्षेत्रों की कल्पना भी हम नहीं कर सकते जिनमें आज भी पानी के स्रोत उपलब्ध नहीं हैं और वहां के लोगों को कई किलोमीटर तक पैदल जा कर पानी ढोकर लाना होता है। इसलिए जल का महत्व समझें और एक जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज निभाएं।ऐसी नई नई तकनीकें अपनाएं जिनसे हम जल की बर्बादी को नियंत्रित कर सकें।
ध्यान रहे प्रदूषित पानी हमारे किसी भी काम का नहीं होता है।प्रदूषित पानी को जितना मर्जी साफ कर लिया जाए परंतु उसे पीने के काम नहीं लाया जा सकता ।इसलिए पानी को दूषित होने से बचाना होगा और प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई मुहिम को सफल बनाने में हमें अपना अहम योगदान देना होगा।
पिंकी सिंघल, अध्यापिका
शालीमार बाग दिल्ली
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