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जन स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए संस्थानों के बीच तालमेल की आवश्यक : हर्षवर्धन

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (एनआईएचएफडब्ल्यू) के 43वें वार्षिक दिवस की अध्यक्षता करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सक्रिय सामुदायिक सतर्कता की हमारी शक्ति के कारण हम भारत में कोविड-19 के मामलों का पता लगाने में सक्षम हुए हैं।
आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना आवश्यक है, जिसमें ये केन्द्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य आयुष्मान भारत के जरिये मजबूत है। इसके तहत रक्तोचाप, मधुमेह, तीन प्रकार के कैंसरों, कुष्ठ आदि रोगों की स्क्रीनिंग होती है। संचारी और गैर-संचारी रोगों के मद्देनजर रोकथाम वाली स्वासथ्य सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है। इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में भी सर्वोच्चग प्राथमिकता दी गई है।
विभिन्न संस्थाचनों के बीच सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि संगठनों के बीच तालमेल होना चाहिए, ताकि जन स्वास्थ्य संबंधी संगठनों में प्रयासों को दोहराया न जाए। उन्होंने कहा कि हमारे संस्थानों में अपार क्षमता है, लेकिन उनमें से कुछ संस्थान ही अपनी क्षमता का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि सूक्ष्म : निदानों पर प्रयास किये जाएं, ताकि एमएमआरए आईएमआरए यू5एमआर में कमी आए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें अपनी रणनीति को सुधारना होगा। उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य संस्थानों और अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संगठनों को नई सोच के साथ काम करना होगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने समारोह के दौरान अकादमिक पुरस्कार प्रदान किये। उन्होंने वर्ष के बेहतरीन कर्मचारियों को भी पुरस्कृत किया। एनआईएचएफडब्ल्यू दिल्ली में स्थित है और उसकी स्थापना 1977 में हुई थी। यह संस्थान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन है और स्वास्थ्य प्रोफेशनलों तथा अग्रणी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देकर उनका क्षमता निर्माण करता है। आशा और एएनएम तथा केन्द्र और राज्य अधिकारियों व स्वास्थ्य सुविधाओं कर्मियों को इसके द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है।
एनआईएचएफडब्ल्यू के 43वें वार्षिक दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एएस एंड एफ, डॉ. डी.एस. गंगवार, एनआईएचएफडब्ल्यू के निदेशक डॉ. हर्षद ठाकुर, एनआईएचएफडब्ल्यू के डीम प्रो. वी.के. तिवारी तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित थे।

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